डिजिटल व्यवहार को गति देने के लिए सरकार से चेकबुक रद्द होने की आशंका

नई दिल्ली: पिछले वर्ष १००० और ५०० के नोट रद्द होने का निर्णय लेने वाले केंद्र सरकार ने डिजिटल व्यवहार को गति देने के लिए और एक महत्वपूर्ण निर्णय लेने की तैयारी की है। आने वाले समय में केंद्र सरकार चेक बुक रद्द करने का निर्णय घोषित करने वाला है, ऐसी आशंका ‘कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स’ (सीएआयटी) के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने व्यक्त की है।

नोटबंदी के बाद अनेक लोग विशेषरूप से व्यापारी चेक द्वारा व्यवहार करने पर जोर दे रहे हैं। पर चेक व्यवस्था रद्द होने के बाद डिजिटल व्यवहारों को अधिक गति मिले, इस दृष्टि से सरकार यह निर्णय ले सकता है, ऐसा सीएआयटी के महासचिव खंडेलवाल का कहना है।

चलन नोटों की छपाई के लिए सरकार को २५ हजार करोड़ रुपयों का खर्च हो रहा है। उसके सिवाय इस चलन की सुरक्षा एवं देखभाल के लिए ६ हजार करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं, ऐसी जानकारी खंडेलवाल ने दी है। डेबिट कार्ड द्वारा होने वाले व्यवहार पर १ प्रतिशत एवं क्रेडिट कार्ड द्वारा होने वाले व्यवहार पर २ प्रतिशत कर सरकार ले रही है। पर यह कर बंद करके बैंकों को सीधे सब्सिडी देने पर सरकार विचार कर रही है, ऐसा खंडेलवाल ने कहा है।

इस वर्ष डेबिट एवं क्रेडिट कार्ड द्वारा होने वाले व्यवहार पिछले वर्ष की तुलना में ८४ प्रतिशत बढ़कर ७४ हजार ९० करोड़ रुपयों पर जाने की बात उजागर हुई है। पर अभी भी ९० प्रतिशत से अधिक व्यवहार यह नोट और चेक के माध्यम से हो रहे हैं। चेक के व्यवहार बंद होने के बाद डीजल व्यवहारों को अधिक प्रोत्साहन मिलेगा, ऐसा अंदाजा चेक रद्द करने के पीछे हो सकता है। इस वित्तीय वर्ष के आखिर तक २५ अब्ज रुपयों के व्यवहार डिजिटल माध्यम से करने का उद्देश्य केंद्र सरकार के सामने रखे गए हैं।

यह उद्देश्य हासिल करना अत्यंत कठिन है, फिर भी चेक रद्द करने के निर्णय की वजह से डिजिटल व्यवहारों को अधिक गति मिलेगी एवं उसका विस्तार होगा ऐसी आशंका है। पर भारत जैसे देश में जहां स्थित्यंतर करना इतना आसान नहीं होने, का दावा विशेषज्ञों से किया जा रहा है। विशेष रुप से नोटबंदी के बाद ऐसे समय में कैश से होने वाले व्यवहारों का प्रमाण अभी भी कम न होने के दावे को अधिक बल मिल रहा है।

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