भारत के प्रधानमंत्री एवं रशियन राष्ट्राध्यक्ष में प्रदीर्घ चर्चा

नई दिल्ली: सीरिया में हुए रासायनिक हमले के बाद अमरिका और रशिया में किसी भी क्षण महायुद्ध का भड़का उड़ने की आशंका जताई जा रही है। ऐसी परिस्थिति में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन की फोन पर चर्चा हुई है। इस दौरान दोनों देशों के विशेष धारणात्मक सहयोग अधिक दृढ़ करने पर चर्चा होने की जानकारी दी जा रही है। पर इस चर्चा की अधिक जानकारी उजागर नहीं हो सकी है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गतिविधियां और सामरिक बातों को गति मिल रही है और भारत के प्रधानमंत्री तथा रशियन राष्ट्राध्यक्ष में हुई चर्चा अलग ही संकेत देने का दावा विशेषज्ञ कर रहे हैं।

सीरिया में रासायनिक हमले होने के बाद अमरिका ने संयुक्त राष्ट्रसंघ के सुरक्षा परिषद में सीरिया के विरोध में कठोर प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। रशिया ने इनकार के अधिकार का उपयोग करके यह प्रस्ताव ठुकराया था। उसके बाद अमरिका और रशिया में युद्ध की भाषा शुरू हुई थी। सीरिया के राष्ट्राध्यक्ष अस्साद यह जानवर होने की बात कहकर अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने ऐसे नेताओं के पक्ष से खड़े रहना रशिया के लिए गलती का इशारा हो सकता है। तथा रशिया से अमरिका के विरोध में युद्ध के इशारे दिए जा रहे थे इस पृष्ठभूमि पर अमरिका ने सीरिया के प्रश्न पर अपने मित्र देशों के साथ चर्चा करके सामरिक गतिविधियां बढ़ाई है। रशिया भी उन्हें प्रत्युत्तर देने की कार्यवाही कर रहा है।

ऐसी परिस्थिति में भारत का निकटतम सहयोगी देश, ऐसी पहचान होने वाले रशिया के राष्ट्राध्यक्ष ने भारत के प्रधानमंत्री के साथ की चर्चा अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह चर्चा प्रदीर्घ थी। उसमें दोनों नेताओं ने दोनों देशों के बीच विशेष धारणा से साझेदारी अधिक दृढ़ करने पर चर्चा की है, ऐसी जानकारी दी गयी। पर इस चर्चा के बारे में अधिक स्पष्ट जानकारी देने की बात भारत की विदेश मंत्रालय तथा रशिया के क्रेमलिन ने भी टाली है। फिलहाल के समय में जागतिक स्तर पर गतिविधियां देखते हुए दोनों नेताओं में चर्चा औचित्यपूर्ण है और उसे बहुत बड़ा अंतरराष्ट्रीय महत्व होने का दावा विशेषज्ञों से किया जा रहा है।

रशिया के साथ निकटतम सहयोग कायम रखने पर भारत ने अमरिका के साथ सभी स्तर पर सहयोग विकसित कीया है। अमरिका और रशिया के साथ एक ही समय पर संबंध विकसित करके भारत ने अपनी विदेश धारणा का संतुलन कायम रखने का पूर्ण प्रयत्न किया था। इसकी वजह से चीन जैसे देश के साथ रशिया के संबंध अधिक दिन हुए हैं एवं रशियाने पाकिस्तान से भी सहयोग प्रस्थापित किए हैं। फिर भी रशिया ने भारत को दुखाने की बात टाली थी। इसीलिए अमरिका और रशिया पर भारत का प्रभाव होकर इन दोनों देशों में संघर्ष की स्थिति निर्माण हुई, तो ऐसे समय में भारत अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसकी वजह से प्रधानमंत्री मोदी और रशियन राष्ट्राध्यक्ष में हुई चर्चा को असाधारण महत्व होने की बात विशेषज्ञों ने कही है।

पिछले कुछ वर्षों में भारत का आशिया खंड के साथ दुनियाभर मे महत्व बढ़ रहा है। उसे भारत ने अपने विदेश धारणा की स्वतंत्रता को कायम रखने से भारत की भूमिका को महत्व आने के बात दिखाई दे रही है। भारत ने रशिया एवं अमरिका के साथ मैत्री मित्रता में संतुलन रखने का प्रयत्न किया है। तथा पैलेस्टाइन के बारे में अपनी पारंपरिक भूमिका ना बदलते हुए भारत ने इस्राइल से भी संबंध विकसित किए हैं। साथ ही सऊदी अरेबिया और खाड़ी के अन्य देशों के साथ भारत के राजनैतिक आर्थिक सहयोग बढ़ते जा रहे हैं। भारत के इस धारणा की वजह से पैलेस्टाईन के राष्ट्राध्यक्ष महमूद अब्बास ने पैलेस्टाईन की समस्या सुलझाने के लिए इस्राइल एवं पैलेस्टाईन के विवाद में भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, ऐसा कहा था।

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