आसाम और अरुणाचल प्रदेश को जोड़नेवाले देश के सबसे लंबे पुल का प्रधानमंत्री द्वारा लोकार्पण

सदिया (आसाम), दि. २६ : आसाम और अरुणाचल प्रदेश के बीच परिवहन की दूरी और समय कम करनेवाले भारत के सबसे लंबे पूल का शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया| चीन से सटी सीमारेखा होनेवाले अरुणाचल प्रदेश में सेना के ठिकानों पर रक्षासामग्री और अन्य ज़रूरी सामान की तेज़ी से सप्लाई करना इस पुल की वजह से आसान होगा| इस वजह से व्यूहरचनात्मक दृष्टि से इस पुल की काफी बड़ी अहमियत है| अरुणाचल प्रदेश पर अपना अधिकार जतानेवाले चीन को, भारत ने इस पूल का निर्माण करके सही संदेश दिया है, ऐसा दावा जानकारों की ओर से किया जा रहा है|

आसाम और अरुणाचल प्रदेशआसाम और अरुणाचल प्रदेश से बहनेवाली लोहित नदी पर ९.१५ किलामीटर लंबे पुल का निर्माण किया गया है| यह पुल भारत का सबसे बड़ा और एशिया का दुसरे नंबर का लंबा पुल है| इस पुल के निर्माण के लिए २ हज़ार ५६ करोड़ रुपये का खर्च आया है| इस पुल को जानेमाने संगीतकार, गायक और कवी भूपेन हजारिका का नाम दिया गया है| १८२ खंबो पर खड़ा किया यह पुल भारत का एक और अभियांत्रिकी चमत्कार माना जा रहा है| यह पुल ६० टन के टैंक का भार उठा सकता है, यह इस पुल की ख़ासियत है| इस वजह से चीन सीमा तक टैंक, तोपों के अलावा अन्य भारी युद्धसामग्री के साथ जवानों को भी सीमा तक जल्द से जल्द पहुँचाने के लिए इस पुल का इस्तेमाल होनेवाला है|

आसाम के सदिया और अरुणाचल प्रदेश के ढोला के बीच २८.५ किलोमीटर का मार्ग बनाया गया है| इसमें नौ किलोमीटर से अधिक लंबाई के पुल का समावेश है| इस वजह से इन दोनों जगह के बीच यात्रा की दूरी सात-आठ घंटो से कम हुई है| इससे आसाम के तेजपूर के पास ब्रह्मपुत्रा पर बने पुल से अरुणाचल प्रदेश के ढोला तक पहुँचा जा सकता था| लेकिन इसके लिए लंबी दूरी तय करनी पडती थी| अन्यथा नदी को पार करने के लिए बोट का इस्तेमाल करना पड़ता था| आसाम का सदिया इलाका लोहित, ब्रह्मपुत्रा और दिबांग इन नदियों से घिरा हुआ है| इस वजह से यह इलाका यातायात की दृष्टि से देश से मानो अलग ही हो चुका था| लेकिन भूपेन हजारिका पुल की वजह से यह इलाका आसाम और अरुणाचल प्रदेश की प्रमुख भूमि से जुड़ा हुआ है|

इस पुल की वजह से समय, इंधन और पैसे की बचत होने के साथ ही, ईशान्य भारत में आर्थिक क्रांति होगी, विकास का रास्ता आसान होगा| ईशान्य भारत का विकास होने की वजह से पूरा भारत अधिक तेज़ी से प्रगतिपथ पर चलेगा, ऐसा विश्‍वास इस पुल के उद्घाटन के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताया|

भारत सरकार पिछले कुछ सालों से ईशान्य के राज्यों के विकास पर ज़ोर दे रहा है| ईशान्य के राज्यों में मूलभूत सुविधाओं का विकास हुआ, तो यातायात बढ़ेगी| यहाँ की यातायात सुविधाओं में बढ़ोतरी हुई, तो यह इलाका आग्नेय एशिया की अर्थव्यवस्था से जुड़ जायेगा, ऐसा प्रधानमंत्री ने इस समय कहा|

देश के पूर्व और ईशान्य की और जो राज्य हैं, वहाँ आर्थिक विकास के लिए काफी क्षमता है| इसी लिए इन राज्यों में मुलभूत सुविधाओं के विकास के लिए कई परियोजनाओं को हाथ में लिया गया है| यह पुल इन्हीं कोशिशों का हिस्सा है, ऐसा भी प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया| आनेवाले समय में ‘नॉर्थ ईस्ट’ को ‘न्यू इंडिया’ की दृष्टि से देखा जायेगा, इतने बडे पैमाने पर इस क्षेत्र में आर्थिक क्रांति होगी, ऐसा दावा इस समय प्रधानमंत्री ने किया| इसी दौरान, इस पुल की सामरिक अहमियत पर ग़ौर किया, तो भारत ने यह पुल बनाकर चीन को सही संदेश दिया है, ऐसा जानकारों का केहना है|

‘अरुणाचल प्रदेश का तवांग मतलब दक्षिण तिबेट है और यह चीन का भूभाग है’ ऐसे दावे चीन की ओर से लगातार किए जाते हैं| पिछले दस-बारह सालों से चीन ने इस विवाद को उछालकर भारत को उक़साने की कोशिश की है| साथ ही, ईशान्य भारत के राज्यों में हाथ में ली गयीं मूलभूत सुविधाओं की विकास परियोजनाओं पर भी चीन बार बार ऐतराज़ जताता रहता है| लेकिन भारत ने, ‘यह भारत का अविभाज्य भूभाग है’ ऐसा कहते हुए चीन के दावे को नकारा है| उसी समय, अरुणाचल प्रदेश के साथ साथ ईशान्य के अन्य राज्यों में भी भारत ने नई विकास परियोजनाएँ शुरू कीं हैं| इस वजह से चीन अधिक बेचैन हुआ है ऐसा दिखाई दे रहा है|

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