फ्रान्स, दक्षिण कोरिया के समावेश से ‘क्वाड’ का सामर्थ्य बढ़ेगा

नई दिल्ली – बंगाल की खाड़ी में भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इन ‘क्वाड’ देशों की नौसेनाओं के साथ फ्रान्स की नौसेना युद्धाभ्यास कर रही है। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में जारी चीन की खतरनाक गतिविधियों को सामने रखकर ‘क्वाड’ के सदस्य देश और फ्रान्स ने इस युद्धाभ्यास का आयोजन किया होने की बात अंतरराष्ट्रीय माध्यम कह रहे हैं। इससे बेचैन हुआ चीन ‘क्वाड’ पर कई आरोप लगा रहा है और यह सहयोग उसके विरोध में होने का दावा कर रहा है। लेकिन, आनेवाले दिनों में ‘क्वाड’ का विस्तार होगा और यह संगठन चीन को अपनी वर्चस्ववादी नीति बदलने के लिए मज़बूर करेगा, यह बात स्पष्ट तौर पर दिख रही है।

‘क्वाड’

फ्रान्स की नौसेना द्वारा सालाना आयोजित होनेवाला ‘ला पेरूस’ युद्धाभ्यास इस बार बंगाल की खाड़ी में शुरू किया गया है। ‘क्वाड’ के सदस्य देश इस युद्धाभ्यास में शामिल हुए हैं। फ्रान्स के रिअर एडमिरल इस युद्धाभ्यास से पहले भारत के कोची बंदरगाह में दाखिल हुए थे। उन्होंने यह बयान किया था कि, फ्रान्स भारत को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में संपूर्ण सुरक्षा प्रदान करनेवाले देश के तौर पर देखता है। साथ ही इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में फ्रेंच नागरिकों की बस्ती है और उनकी सुरक्षा का ज़िम्मा फ्रान्स को उठाना ही होगा, यह इशारा भी रिअर एडमिरल फैयार्ड ने दिया था। इसके साथ ही इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में यातायात की सुरक्षा और स्थिरता की उम्मीद फ्रान्स रखता है, ऐसा कहकर रिअर एडमिरल फैयार्ड ने चीन को इशारा दिया था।

‘क्वाड’ सक्रिय होने के बाद फ्रान्स को भी इसमें शामिल होने में रूचि होने की बात सामने आ रही है। फ्रान्स की विमान वाहक युद्धपोत ‘चार्ल्स दी गॉल’ ने साउथ चायना सी में गश्‍त लगाकर चीन को संदेश दिया था। इस वजह से आनेवाले दिनों में ‘फ्रान्स’ क्वाड में शामिल हुआ तो वह चौकानेवाली बात नहीं होगी, ऐसा विश्‍लेषकों का कहना है। सिर्फ फ्रान्स ही नहीं, बल्कि ब्रिटेन और जर्मनी भी इस सहयोग की ओर बड़ी उत्सुकता से देख रहे हैं। इसी के साथ अब दक्षिण कोरिया ने भी ‘क्वाड’ का हिस्सा होकर इस सहयोग का पांचवाँ कोना होना चाहिये, ऐसी माँग इस देश के विश्‍लेषक कर रहे है।

‘क्वाड’ में शामिल होने का अवसर दक्षिण कोरिया के सामने बीते वर्ष था। लेकिन, राष्ट्राध्यक्ष मून जे-इन ने वह अवसर जाया किया था। लेकिन, अब ‘क्वाड’ का हिस्सा होने के लिए दक्षिण कोरिया के लिए नया अवसर उपलब्ध हुआ है। इसे प्राप्त करना होगा, ऐसा दक्षिण कोरिया के विश्‍लेषकों का कहना है। साउथ चायना सी क्षेत्र में जारी चीन की गतिविधियों में खतरनाक बढ़ोतरी हो रही है। दक्षिण कोरिया को भी उत्तर कोरिया के साथ-साथ चीन की आक्रामकता से समान खतरा है। बल्कि, उत्तर कोरिया की आक्रामक नीति के पीछे चीन ही प्रमुख सूत्रधार होने की बात समय-समय पर स्पष्ट हुई थी। इस वजह से चीन की वर्चस्ववादी नीति के खिलाफ खड़े हुए देशों के साथ दक्षिण कोरिया को सहयोग बढाने की जरुरत है, ऐसा तर्क इसके पीछे है।

इसी बीच ‘क्वाड’ और ‘क्वाड प्लस’ के नाम से जाना जा रहा यह सहयोग मात्र लष्करी स्तर तक ही सीमित ना रहे, ऐसी उम्मीद जताई जा रही है। खास तौर पर ‘क्वाड’ के सदस्य देश जापान और ऑस्ट्रेलिया व्यापारी और रणनीतिक स्तर के सहयोग को अधिक अहमियत देने की बात सामने आयी है। चीन उत्पादन के वैश्‍विक केंद्र के तौर पर उभरा है। लेकिन, चीन पर निर्भर रहने पर विश्‍व को काफी बड़े संकट का सामना करना पड़ेगा, इसे ध्यान में रखते हुए जापान और ऑस्ट्रेलिया उत्पादन का वैश्‍विक केंद्र वहाँ से हटाकर भारत में स्थापित करने की मंशा से सहायता कर रहे हैं। फ्रान्स और दक्षिण कोरिया जैसे प्रौद्योगिकी क्षेत्र के प्रगत और आर्थिक नज़रिये से मज़बूत देशों की सहायता प्राप्त होने से भारत को बड़ा लाभ हो सकता है। इस वजह से ‘क्वाड’ में इन देशों का समावेश चीन की चिंता अधिक बढ़ानेवाला साबित होगा।

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