सौदी अरब ने रुचि ना दिखाने से ‘ओआयसी’ में कश्मीर पर बातचीत करने का पाकिस्तान का प्लैन हुआ विफल

इस्लामाबाद – ‘ऑर्गनायझेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन’ (ओआयसी) इस ५७ इस्लामी देशों की संगठन कश्मीर के लिए बैठक आयोजित करें, यह मांग पाकिस्तान कर रहा है| पर, ‘ओआयसी’ पर प्रभाव रखनेवाले सौदी अरब ने इसे इन्कार किया होने का दावा पाकिस्तान के ही समाचार पत्र ने किया| इस वजह से निराश हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने अपनी मलेशिया यात्रा के दौरान ‘ओआयसी’ पर आलोचना करने के संकेत प्राप्त हो रहे है|

पाकिस्तान, तुर्की, ईरान, कतार और मलेशिया इन देशों ने ‘ओआयसी’ को चुनौती देने के लिए इस्लामी देशों की दुसरी संगठन गठित करने की कोशिश की थी| इसकी नींव मलेशिया के कौलालंपूर परिषद में करने की योजना बनाई गई थी| पर, सौदी अरब ने इसके विरोध में कडी भूमिका लेकर पाकिस्तान को चेतावनी दी थी| इस वजह से कौलालंपूर परिषद के आयोजकों में से एक बनें पाकिस्तान को ही इस परिषद से पीछे हटना पडा| इसके पीछे सौदी का दबाव होने की बात कहकर तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने नाराजगी व्यक्त की थी|

स्वयं बैठक आयोजित करके और बाद इससे पीछे हटकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने अपने तुर्की, ईरान, कतार और मलेशिया इन देशों की मुश्किल की, यह आलोचना पाकिस्तानी विश्‍लेषकों ने की थी| पर, इस के बदले में पाकिस्तान को सौदी से विशेष सहायता प्राप्त होगी, यह संकेत इम्रान खान के सहयोगी दे रहे थे| ‘ओआयसी’ में कश्मीर पर बातचीत करने का आश्‍वासन पाकिस्तान को प्राप्त हुआ है, यह भी बातचीत हो रही थी| पर अब सौदी ही ‘ओआयसी’ की विशेष बैठक बुलाने के लिए तैयार ना होने की खबरें प्राप्त हुई है|

इस बैठक के बजाए दुसरें विकल्पों का प्रस्ताव सौदी अरब से पाकिस्तान के सामने रखा जा रहा है| इससे पाकिस्तान की कडी निराशा हुई है और प्रधानमंत्री इम्रान खान ने अपनी मलेशिया यात्रा के दौरान किया बयान इसी की पुष्टी करते है| ‘ओआयसी’ में एक विचार नही है और कश्मीर मसले की ओर यह संगठन पुरी तरह से अनदेखा कर रही है, ऐसी आलोचना इम्रान खान ने मलेशिया में की थी| पर, इससे इम्रान खान को झटका लगने की उम्मीद थी, और ऐसा ही हुआ है, यह दावा उनके आलोचक कर रहे है| 

सौदी अरब और यूएई के दबाव से पाकिस्तान को कौलालंपूर की परिषद में शामिल होने संभव नही हुआ था| पाकिस्तान ने यह साहस किया होता तो इन दोनों देशों से पाकिस्तान को प्राप्त हो रही सहायता बंद हुई होती| विशेष सहुलियत के दामों में प्राप्त हो रहा ईंधन और समय समय पर प्राप्त हो रही आर्थिक सहायता से पाकिस्तान को हाथ धोना पडा होता| इसी कारण प्रधानमंत्री इम्रान खान कौलालंपूर की परिषद में शामिल होने से दूर रहे थे, यह दावा करके उनके समर्थक इम्रान खान का बचाव करने की कोशिश कर रहे है| साथ ही अगले दौर में सौदी अरब और अन्य खाडी देशों से कश्मीर के मसले पर अधिक सक्रिय भूमिका अपनाएंगे, यह दावा भी इम्रान खान के समर्थकों ने किया था|

पर यह दावे अब इम्रान खान पर पलट चुके है और उन्होंने एक ही समय पर इस्लामी देशों के दोनों गुटों को दुखाया दिख रहा है| इस वजह से पाकिस्तान को अब कोई मित्र नही रहा, ऐसी आलोचना कुछ चरमपंथी विचारधारा के विश्‍लेषक  कर रहे है| इस वजह से इम्रान खान की सरकार नए संकट में फंस सकती है|

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