पाक़िस्तान द्वारा कश्मीर मसले पर चर्चा का नया प्रस्ताव; भारत ने रखी शर्त को किया अनदेखा

इस्लामाबाद, दि. २० (पीटीआय) – ‘पाक़िस्तान के साथ सिर्फ़ आतंकवाद पर चर्चा होगी’ इस भारत द्वारा की गई माँग की उपेक्षा करते हुए पाक़िस्तान ने, भारत के सामने कश्मीर मसले पर चर्चा करने का नया प्रस्ताव रखा है| इस प्रस्ताव में, ‘जम्मू-कश्मीर में हो रहे मानवाधिकार हनन का मसला छुड़ाने के लिए भारत द्वारा चर्चा की जानी चाहिए’ ऐसा नमूद किया गया है| साथ ही, पाक़िस्तान के वैद्यकीय पथक को जम्मू-कश्मीर में जाने की अनुमति मिलें, ऐसी माँग भी इस प्रस्ताव में की गयी है| पाक़िस्तान के इस उक़सानेवाले प्रस्ताव पर, भारत से भी उतनी ही तीव्र प्रतिक्रिया अपेक्षित है|

azaz-chaudhary- कश्मीर मसले पर चर्चा

पाक़िस्तान में भारत के उच्चायुक्त रहनेवाले ‘गौतम बंबावले’ के पास पाक़िस्तान के विदेश सचिव ‘एजाज एहमद चौधरी’ ने यह प्रस्ताव रखा| इस महीने के अंत में, भारत और पाक़िस्तान में कश्मीर मसले पर चर्चा होनी चाहिए, ऐसा पाक़िस्तान ने इस प्रस्ताव में कहा है| जम्मू-कश्मीर में हो रहे मानवाधिकार हनन का मुद्दा इस प्रस्ताव में उपस्थित करते हुए पाक़िस्तान ने, इस मानवाधिकार हनन को तुरंत रोकना चाहिए, ऐसी माँग इस प्रस्ताव में की है| इससे पहले भी पाक़िस्तान ने यह प्रस्ताव भारत के सामने रखा था| लेकिन ‘पाक़िस्तान के साथ कश्मीर मसले पर नहीं, बल्कि आतंकवाद पर चर्चा हो सकती है’ ऐसा भारत के विदेश सचिव एस. जयशंकर ने बताया था| इस बात को जानबू़झकर भुलाकर, पाक़िस्तान द्वारा फिर से एक बार कश्मीर मसले पर चर्चा करने का प्रस्ताव रखा गया है|

पाक़िस्तान की द्वारा, जम्मू-कश्मीर में हो रहे तथाकथित अत्याचारों का मुद्दा उपस्थित किया जाने पर, भारत ने भी इसका कड़ा जवाब दिया था| ‘पाक़िस्तान के क़ब्जेवाले कश्मीर’ (पीओके) और ‘बलुचिस्तान’ की जनता पर अत्याचार करनेवाले पाक़िस्तान का असली चेहरा बेनक़ाब करने का समय आ गया है, ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक में कहा था| मानवाधिकार का नियमित रूप से हनन करनेवाले इस देश द्वारा भारत को मानवाधिकार हनन के उदाहरण बताये जाते हैं, यह विसंगति दुनिया के सामने लाने की तैयारी भारत ने की है| उसके बाद पाक़िस्तान में भारीभरक़म उथलपुथल शुरू हो गयी| स्वतंत्रतादिवस के अवसर पर देशबंधुओं को संदेश देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने, ‘पीओके’ और ‘बलुचिस्तान’ की जनता ने अपना शुक्रिया अदा किया था, ऐसा कहा था|

इसके बाद दबाव बढ़ चुके पाक़िस्तान ने, बलुची नेताओं को स्वदेश लौटने का आवाहन किया है| साथ ही, पाक़िस्तान की समाचारवाहिनी पर अब बलुची नेताओं को जानबूझकर प्रसिद्धि दी जा रही है| लेकिन भारत की इस नीति से ड़रा हुआ पाक़िस्तान, अपने उपर इसका कोई भी असर हुआ नहीं है, ऐसा दिखाने के लिए प्रयास कर रहा है| इसके लिए, भारत द्वारा एक बार फ़टकार लगायी जाने के बाद भी, पाक़िस्तान कश्मीर मसले पर चर्चा का प्रस्ताव नये सिरे से दे रहा है| भारत के दबाव में आकर हम कश्मीर मसला छोड़नेवाले नहीं हैं, ऐसे संकेत देने की कोशिशें पाक़िस्तान द्वारा शुरू हो चुकी हैं|

अर्थात् भारत की तरफ से इन कोशिशों को कुछ अलग जवाब मिलने की कोई संभावना नहीं| लेकिन बार बार मानवाधिकार का मुद्दा उ़ठानेवाले पाक़िस्तान के मानवाधिकार मामलों के काले इतिहास की याद भारत नए सिरे से दिलायेगा, ऐसे संकेत मिल रहे हैं| भारत के विदेश मंत्रालय ने इसकी तैयारी शुरू की है| पाक़िस्तान की रक्षा एजन्सियों के अत्याचारों का सामना करनेवाली और फिलहाल जान को ख़तरा देखते हुए दूसरे देश में स्थलांतरित हुई ‘पीओके’ की और बलुची जनता से इसके लिए भारत संपर्क करनेवाला है| ऐसी जनता से भारत का विदेश मंत्रालय संपर्क करें, ऐसी सूचना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी थी|

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