‘एफएटीएफ’ में पाकिस्तान की मुश्‍किलें बढ़ीं

पैरिस – ‘फायनान्शियल एक्शन टास्क फोर्स’ (एफएटीएफ) की बैठक मात्र दो दिनों में शुरू होनी है और इसी दौरान पाकिस्तान की मुश्‍किलें बढ़ी हैं। मौलाना मसूद अज़हर, हफीज़ सईद पर कार्रवाई करने में हुई देरी और आतंकियों की अधिकृत सूचि से चार हज़ार आतंकियों के नाम गायब होने से पाकिस्तान ‘एफएटीएफ’ की ‘ग्रे लिस्ट’ में कायम रहने की संभावना है। इन गतिविधियों से संबंधित एक अधिकारी ने यह जानकारी प्रदान की।

fatf-pak-terroristsअक्तुबर २१ से २३ के दौरान ‘एफएटीएफ’ की निर्णायक बैठक होनी है। इस बैठक में मनीलौंड्रींग और आतंकी संगठनों की आर्थिक सहायता रोकने के लिए पाकिस्तान ने की हुई कार्रवाई का जायजा लिया जाएगा। पाकिस्तान का समावेश ‘ग्रे लिस्ट’ में कायम रखना है या पाकिस्तान को ‘ब्लैक लिस्ट’ करके पाकिस्तान की आर्थिक घेराबंदी करनी है, इस पर इस बैठक में अंतिम निर्णय किया जाएगा। ‘एफएटीएफ’ ने की हुई २७ सूचनाओं पर पाकिस्तान ने की हुई कार्रवाई की जाँच करके यह निर्णय किया जाएगा। लेकिन, यह बैठक शुरू होने से पहले ही पाकिस्तान का निर्णय होने का दावा किया जा रहा है।

‘एफएटीएफ’ की २७ सूचनाओं में से बड़ी मुश्‍किल से पाकिस्तान ने २१ सूचनाओं पर काम किया है। शेष ६ सूचनाओं पर कार्यवाई करने में पाकिस्तान पूरी तरह से नाकाम हुआ है। यह सभी छह सूचनाएं सबसे अधिक अहम हैं और इसी के साथ पाकिस्तान ने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारी हैं, यह दावा भी इस अधिकारी ने किया। ‘एफएटीएफ’ ने मोस्ट वाँटेड घोषित किए हुए आतंकी नेताओं पर कार्रवाई करने की पाकिस्तान से उम्मीद थी। लेकिन, इनमें से एक भी आतंकी नेता पर पाकिस्तान ने कार्रवाई नहीं की है। जैश ए मोहम्मद का प्रमुख मौलाना मसूद अज़हर और लश्‍कर ए तोयबा का प्रमुख हफीज़ सईद एवं ज़की उर रहमान को आतंकवाद विरोधी कार्रवाई से सुरक्षित रखने की बात इस अधिकारी ने कही है।

इसके साथ ही पाकिस्तान की इम्रान सरकार और सेना ने ‘एफएटीएफ’ ने प्रदान की हुई आतंकियों की सूचि में धांदली करने का आरोप किया जा रहा है। ‘एफएटीएफ’ ने पाकिस्तान को ७,६०० आतंकियों के नामों की सूचि प्रदान की थी। लेकिन, फ्रान्स में बैठक शुरू होन से कुछ घंटे पहले ही इस सूचि से ४ हज़ार नाम गायब हैं। ‘एफएटीएफ’ की कार्रवाई से बचने के लिए पाकिस्तान ने ही इस सूचि से चार हज़ार आतंकियों के नाम हटाए हैं, यह आरोप लगाया जा रहा है।

fatf-pak-terroristsइसके साथ ही अमरीका, ब्रिटेन, फ्रान्स और जर्मनी यह चार प्रमुख देश पाकिस्तान की आतंकवाद विरोधी कार्रवाई से संबंधित कटिबद्धता को लेकर संतुष्ट ना होने की याद इस अधिकारी ने दिलाई। पाकिस्तान की सरकार और सेना अपने ही देश के आतंकियों पर कार्रवाई करने में नाकाम हो रही है, यह आलोचना करके यही चार देश ‘एफएटीएफ’ की कार्रवाई के लिए पहल करने की संभावना है। इस वजह से पाकिस्तान की बेचैनी बढ़ी है और इस देश के पत्रकार और विश्‍लेषक प्रधानमंत्री इम्रान खान और सेना पर ठिकरा फोड़ने लगे हैं।

वर्ष २०१८ में पाकिस्तान का ‘एफएटीएफ’ की ‘ग्रे लिस्ट’ में समावेश किया गया। तब से लेकर अब तक दो वर्षों में पाकिस्तान ने ‘एफएटीएफ’ की सूचनाओं के अनुसार कार्रवाई करने की उम्मीद थी। लेकिन, पाकिस्तान ने यह कार्रवाई करने में पूरी तरह से निष्क्रियता दिखाई है और उल्टा इन दो वर्षों के दौरान पाकिस्तानी नेताओं ने अलग अलग मंचों पर अपने देश में आतंकी मौजूद होने की बात स्वीकार की है। साथ ही पाकिस्तान ने आतंकी अल कायदा संगठन का प्रमुख ओसामा बिन लादेन को शहीद घोषित किया था। भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की आतंकवाद का समर्थन करनेवाली नीति की पहचान कराकर पाकिस्तान की पोल खोली है।

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