‘आयएस’ के अन्तर्राष्ट्रीय सिंडिकेट से पाकिस्तानी आतंकी जुड़े हुए हैं – संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का आरोप

अन्तर्राष्ट्रीय सिंडिकेट, आरोप, आयएसआयएस, आतंकवादी संगठन, संयुक्त राष्ट्र संघ, पाकिस्तान, भारत, अमरीकासंयुक्त राष्ट्रसंघ – ‘आयएसआयएस’ यह अन्य आतंकवादी संगठनों जैसा न होकर, यह अन्तर्राष्ट्रीय सिंडिकेट है, ऐसा भारत ने जताया है। संयुक्त राष्ट्र संघ में नियुक्त भारत के उप राजदूत आर. रविंद्र ने सुरक्षा परिषद की बैठक में यह चेतावनी दी। आयएसआयएस अथवा आयएसआयएल अथवा आयएस ऐसे नामों से पहचाने जानेवाले इस ख़तरनाक संगठन के साथ दुनियाभर के आतंकवादी गुट जुड़े हुए हैं। उनमें भारत के पड़ोसी देशों में स्थित आतंकवादी गुटों का भी समावेश है, ऐसा रविंद्र ने स्पष्ट किया। ठेंठ नामोल्लेख न करते हुए, पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन ‘आयएस’ के साथ जुड़े हुए हैं, इस पर रविंद्र ने गौर फरमाया।

आयएस’ इस आतंकवादी संगठन ने किए गंभीर अपराधों की जाँच करनेवाली संयुक्त राष्ट्र संघ की यंत्रणा के सामने बात करते हुए रविंद्र ने भारत की भूमिका रखी। इराक और सिरिया इन देशों में ‘आयएस’ की स्थापना हुई। योजनाबद्ध तरीके से हत्याकांड, उत्पीड़न, लैंगिक अत्याचार, गुलामी और अपहरण ऐसे भयंकर अपराध ‘आयएस’ ने करवाए हैं। इसी कारण अन्य क्षेत्रीय आतंकवादी संगठनों के ढ़ाँचे में आयएस को नहीं देख सकते। बल्कि वह जागतिक स्तर पर के आतंकवादियों का सिंडिकेट है। उसके साथ दुनिया भर के आतंकवादी गुट जोड़े गए हैं, ऐसा रविंद्र ने कहा। पाकिस्तान यह देश यानी जागतिक आतंकवाद का केंद्र होने का आरोप भारत में समय-समय पर किया था। ‘आयएस’ के साथ पाकिस्तान के आतंकवादी गुट जुड़े हुए हैं, यह भी रविंद्र ने पाकिस्तान का ठेंठ नामोल्लेख न करते हुए स्पष्ट किया।

अन्तर्राष्ट्रीय सिंडिकेट, आरोप, आयएसआयएस, आतंकवादी संगठन, संयुक्त राष्ट्र संघ, पाकिस्तान, भारत, अमरीकाभयंकर अमानवीय कारनामे करनेवाले आतंकवादियों को सुरक्षा प्रदान करनेवाले देशों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराना चाहिए। अन्यथा आतंकवादियों के विरोध में अपनी संगठित जंग की विश्‍वासार्हता ही स्थापित नहीं होगी, ऐसा रविंद्र ने आगे कहा। यहाँ पर भी पाकिस्तान का नाम न लेते हुए रविंद्र ने, यह देश हमेशा ही आतंकवाद को समर्थन देता आया और उस पर अभी भी सख्त कार्रवाई नहीं हुई है, इस बात पर गौर फरमाया। आतंकवादी जिस देश से आए हैं, उन्हीं देशों ने उन्हें इन हरकतों की कड़ी सजा देना अपेक्षित है, ऐसी फटकार लगाकर रविंद्र ने, पाकिस्तान ने वैसी ज़िम्मेदारी कभी भी नहीं उठाई, ऐसे संकेत अपने भाषण के ज़रिए दिए।

बता दें, जब अमरीका की सेना अफगानिस्तान से वापसी कर रही है, तब तालिबान जैसा संगठन फिर एक बार अफगानिस्तान पर कब्ज़ा करने के लिए आगे बढ़ रहा है। अफगानिस्तान की सरकार और लष्कर तालिबान से संघर्ष करके अपना देश बचाने की कोशिश करेंगे। लेकिन पूरी ताकत लगाकर भी, खुद के बलबूते पर अफगानी लष्कर तालिबान को बहुत समय तक रोक नहीं सकेगा, ऐसी चिंता ज़ाहिर की जाती है। ऐसे हालातों में अगर तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया ही, तो फिर एक बार यह देश आतंकवादी संगठनों का नया केंद्र बनेगा। पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन इसका पूरा फायदा उठायेंगे और भारत तथा अन्य देशों में घातपात मचाने के लिए अफगानिस्तान की भूमि का इस्तेमाल करेंगे, ऐसी चिंता अमरिकी गुप्तचर विभाग की रिपोर्ट में ज़ाहिर की गई है। इससे आतंकवाद का मुद्दा फिर एक बार अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर गंभीर चर्चा का विषय बना है।

ऐसी परिस्थिति में भारत दुनिया को इसी बात का एहसास करा रहा है कि अफगानिस्तान में मचे आतंकवाद का केंद्र पाकिस्तान में होकर, जागतिक स्तर पर के आतंकवाद के धागे भी पाकिस्तान के साथ जुड़े हैं। उसी समय, पाकिस्तान की आतंकवादी हरकतें रुकी नहीं हैं, इसपर भारत लगातार गौर फरमा रहा है। भारत की इन कोशिशों को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिसाद मिलने लगा होकर, अब युरोपीय देश भी भारत का कहना मान्य करने लगे हैं।

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