कर्तारपुर कॉरिडोर के समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से अपरिपक्वता का प्रदर्शन

कर्तारपुर – कर्तारपुर कॉरिडोर के पाकिस्तान में नींव निर्माण समारोह में बोलते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान ने भारत के राजनैतिक नेतृत्व पर आलोचना करके अपने अपरिपक्वता का नए से दर्शन कराया है। सीधा उल्लेख ना करते हुए भारत के प्रधानमंत्री के पास साहसी निर्णय लेने की दृष्टि एवं हिम्मत ना होने की टिप्पणी इम्रान खान ने लगाई है। भारत एवं पाकिस्तान में कश्मीर यह एक ही प्रश्न है और वह चर्चा से सुलझ सकता है। पर उसके लिए भारत पहल नहीं कर रहा, ऐसा आरोप इम्रान खान ने किया है। उस समय पाकिस्तान यह परमाणु शस्त्र धारी देश होने से युद्ध भड़केगा तो उसमें भारत को विजय नहीं मिलेगा, ऐसा बढाईखोर विधान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने किया है। साथ ही भारत में सत्ता बदलाव के बारे में विधान करके इम्रान खान ने भारत को एक और चेतावनी दी है।

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२६/११ के हमले को १० वर्ष पूर्ण हो रहे हैं और इस निमित्त से इस आतंकवादी हमले के सूत्रधारों पर कार्रवाई टालने वाले पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनामी हो रही है। ऐसा होकर भी कर्तारपुर कॉरिडोर के नींव निर्माण समारोह में बोलते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान ने अपना देश शांतिप्रिय होने की बात कहकर भारत को शांति का उपदेश दिया है। दोनों देशों में शांति स्थापित हुई, तो व्यापार बढ़ेगा एवं गरीबी दूर की जा सकती है, ऐसे ख्वाब इम्रान खान ने दिखाए हैं। दोनों देशों में केवल कश्मीर एक ही प्रश्न होकर इस प्रश्न को चर्चा से सुलझाया जा सकता है। पर इसके लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है।

पाकिस्तान के पास यह इच्छाशक्ति है, पर भारत इसके लिए तैयार नहीं है। क्योंकि भारत के पास इतनी व्यापक दृष्टि एवं साहसी निर्णय लेने वाले राजनैतिक नेतृत्व नहीं है, ऐसी टिप्पणी इम्रान खान ने की है।

दूसरे शब्दों में इम्रान खान व्यापक दृष्टि रखनेवाले नेता होकर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मात्र संकुचित विचारधारा के नेता होने के संकेत दिए हैं। उस समय पाकिस्तान के सरकार एवं लष्कर में किसी भी प्रकार का विसंवाद नहीं है। दोनों को भी भारत के साथ चर्चा चाहिए, ऐसा प्रधानमंत्री इम्रान खान ने कहा है। तथा भारत के साथ दोस्ती संपादित करने के लिए भूतपूर्व क्रिकेट खिलाड़ी एवं फिलहाल पंजाब के मंत्रिमंडल के सदस्य होनेवाले नवजोतसिंग सिद्धू भारत के प्रधानमंत्री होने तक क्या राह देखनी होगी? या इससे पहले ही भारत को व्यापक दृष्टि होने वाले राजनैतिक नेतृत्व मिलना चाहिए, ऐसा कहकर इम्रान खान ने भारत में सत्ता बदलाव की अपेक्षा व्यक्त की है।

इससे पहले भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर टिप्पणी करके भारत के राजनैतिक नेतृत्व के पास अर्थात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इनकी पास व्यापक दृष्टि ना होने का दावा किया था। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने किए इस आलोचना पर भारत से कड़ी प्रतिक्रिया उमड़ रही है। इम्रान खान इनके भाषण खत्म होते समय आयएस जैसे कुख्यात गुप्तचर संघटना एवं पाकिस्तानी लष्कर के हाथ की कठपुतली होनेवाले इम्रान खान द्वारा भारत को शांति पर प्रवचन न दिया जाए, ऐसी आलोचना माध्यमों से शुरू हुई है। स्वतंत्र खालिस्तान की मांग करनेवाले विद्रोही एवं पंजाब में रक्तपात फैलानेवाले आतंकवादी गोपाल चावला कर्तारपुर कॉरिडोर के कार्यक्रम में उपस्थित था। उसने पाकिस्तान के लष्कर प्रमुख से मुलाकात की है, इसकी तरफ ध्यान केंद्रित करके ऐसे षड्यंत्र करने वाले पाकिस्तान की सरकार भारत से दोस्ती एवं सहयोग की अपेक्षा कर रहा है। इस ढोंग पर भी भारत के वृत्त माध्यम में उंगलिया उठाइ है।

इतना ही नहीं तो २६/११ के हमले के दसवे स्मृतिदिन पर भारत में एवं दुनिया भर से संवेदना व्यक्त की जा रही थी और यह हमला करनेवाले जमात-उल-दावा के एक कार्यक्रम में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मंत्री शामिल हुए थे। जमात ने यह कार्यक्रम २६/११ के हमले का जल्लोष करने के लिए किया था एवं लाहौर में एक आलीशान होटल में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था। तथा हाफिज सईद का साला एवं २६/११ के सूत्रधारों में एक होनेवाले अब्दुल रहमान मक्की ने इस कार्यक्रम में भारत के विरोध में बकवास करने की बात उजागर हुई है।

इन सारी बातों का दाखिला देकर भारत को उपदेश करने से पहले इम्रान खान अपने देश में होनेवाले आतंकवाद के निर्यात रोके, ऐसी सलाह भारतीय माध्यमों ने एवं विश्लेषकों ने दी है। भारत के विदेश मंत्रालय ने भी पाकिस्तान पहले आतंकवादियों पर कार्रवाई करने के लिए अपनी अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारी संपन्न करें, ऐसी मांग की है। तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने व्यक्त किए क्रोध इतना ही प्रबल कारण होने का दावा किया जा रहा है।

किसी भी परिस्थिति में पाकिस्तान का आतंकवाद सहन नहीं किया जाएगा एवं आतंकवाद और चर्चा एक ही समय पर नहीं हो सकती, ऐसी ठोस भूमिका भारत के प्रधानमंत्री ने स्वीकारी है। तथा भारत ने पाकिस्तान के आतंकवादी धारणाओं के विरोध में राजनैतिक मुहिम हाथ ली है और उसके परिणाम दिखाई देने लगे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान गतिरोध हुआ है और यह गतिरोध तोड़ने के लिए पाकिस्तान प्रयास कर रहा है। ऐसी परिस्थिति में भारत के साथ चर्चा शुरू करके गवाई हुई प्रतिष्ठा फिर से प्राप्त करने के लिए पाकिस्तान की नई सरकार प्रयत्न कर रही है। उसे भारत से प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है। इसीलिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री निराश हो रहे हैं। यह निराशा उनके विधान से सामने आ रही है, ऐसी आलोचना भारतीय विशेषज्ञों की जा रही है।

उस समय राजनीतिक नेता के तौर पर इम्रान खान आज भी अपरिपक्व है ऐसा उनके इस विधान से स्पष्ट हो रहा है। जिस देश को चर्चा के लिए प्रस्ताव इम्रान खान दे रहे हैं, उस देश के राजनैतिक नेतृत्व पर आलोचना करने से उनकी मूर्खता दिखाई दे रही है।

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