अफगानिस्तान में पाकिस्तान को दखलअंदाजी करने नहीं दी जाएगी – तालिबान के प्रवक्ता ने दिलाया यकीन

इस्लामाबाद – पाकिस्तान समेत अन्य किसी भी देश को अफगानिस्तान में दखलअंदाजी करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, ऐसी घोषणा तालिबान के प्रवक्ता ने की। पाकिस्तान का गुप्तचर संगठन ‘आई एसआई’ के प्रमुख फैज हमीद ने काबुल जाकर तालिबान के नेताओं से मुलाकात की थी। अफगानिस्तान की सरकार में अपने हक्कानी गुट का वर्चस्व हो, इसके लिए आईएसआई के प्रमुख का यह दौरा आयोजित किया गया था, ऐसी चर्चा है। ऐसी परिस्थिति में तालिबान का प्रवक्ता झबिउल्ला मुजाहिद ने फिर एक बार, तालिबान पाकिस्तान के इशारे पर नहीं नाचेगा, यह बताकर भारत को आश्वस्त करने की कोशिश की।

दखलअंदाजीइन दिनों तालिबान में अंतर्गत संघर्ष शुरू है। कतार की राजधानी दोहा में स्थित अपने कार्यालय के जरिए अमरीका तथा अन्य देशों के साथ चर्चा करनेवाला तालिबान का गुट, अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता हासिल करने की जानतोड़ कोशिश कर रहा है। इस गुट का प्रभाव होनेवाली सरकार अगर अफगानिस्तान में आई, तो इस देश को अन्तर्राष्ट्रीय सहायता प्राप्त करना आसान होगा। अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को भी इसका थोड़ाबहुत लाभ मिल सकता है। वहीं, दूसरी ओर तालिबान में होनेवाला कट्टरवादी गुट अगर सत्ता में आया, तो अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता की संभावना ना के बराबर होगी। इससे अफगानी जनता को भयंकर परिस्थिति का सामना करना पड़ेगा। लेकिन पाकिस्तान उसके साथ एकनिष्ठ होनेवाले इस गुट की सरकार अफगानिस्तान में चाहता है।

इसके लिए पाकिस्तान तालिबान को मान्यता दिलाने के लिए जानतोड़ कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने इसके लिए कुछ देशों के साथ ठेंठ चर्चा की थी। पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने तो, अगर तालिबान को मान्यता ना मिली, तो ९/११ जैसे आतंकवादी हमले का खतरा है, ऐसा धमकाया था। तालिबान को मान्यता दिलाने में अपना बहुत बड़ा योगदान है, यह दिखाकर पाकिस्तान अफगानिस्तान पर अपना वर्चस्व स्थापित करना चाहता है। इसका एहसास तालिबान के मुल्ला बरादर तथा अन्य गुटों को हुआ होने के संकेत मिल रहे हैं।

इस पृष्ठभूमि पर, तालिबान का प्रवक्ता झबिउल्ला मुजाहिद ने, पाकिस्तान को अफगानिस्तान में दखलअंदाजी नहीं करने दी जाएगी, ऐसा फिर एक बार घोषित कर दिया। इससे पहले तालिबान में पाकिस्तान का ही प्रबल गुट होनेवाले हक्कानी नेटवर्क का नेता अनस हक्कानी ने भी, अफगानिस्तान का भारत के विरोध में इस्तेमाल नहीं होगा, ऐसा आश्वासन दिया था। लेकिन भारत ने इसकी ओर बहुत ही सावधानी से देखने की नीति अपनाई है। आनेवाले समय में अफगानिस्तान में किस प्रकार की सरकार स्थापित होती है, इस पर अपनी भूमिका निर्भर होगी, ऐसे संकेत भारत ने दिए हैं। विश्लेषकों ने भी, भारत ने अभी से अफगानिस्तान के संदर्भ में किसी भी प्रकार की भूमिका अपनाना गलत साबित होगा, ऐसा भारत सरकार को जताया था।

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