पाकिस्तान को इस्रायल का विरोध करने के गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे – विपक्षी नेताओं के साथ पाकिस्तानी पत्रकारों का इशारा

इस्लामाबाद – इस्रायल और हमास के बीच जारी संघर्ष की ओर पाकिस्तान राजनयिक अवसर के तौर पर देख रहा है। तुर्की के विदेशमंत्री और संयुक्त राष्ट्रसंघ के सामने गाजा के संघर्ष का मुद्दा उपस्थित करने की तैयारी पाकिस्तान के विदेशमंत्री शाह महमूद कुरेशी ने की हैं। इसी दौरान पाकिस्तान की संसद में विपक्षी नेता शाहबाज शरीफ ने पाकिस्तान की सरकार को आईना दिखाने के लिए यह बयान किया कि, ‘भिखारियों को किसी का चयन करने का अधिकार नहीं होता।’ इस्रायल के विरोध में तीखी भूमिका अपनाकर पाकिस्तान फिर से सौदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और खाड़ी क्षेत्र के अन्य देशों को नाराज़ कर रहा है, इससे पाकिस्तान को काफी बड़ा खतरा हो सकता है, ऐसा इशारा भी पाकिस्तान के कुछ विश्‍लेषकों ने दिया है। लेकिन, प्रधानमंत्री इम्रान खान की सरकार इस बात पर गौर करने के लिए तैयार नहीं है।

Pakistan-Israelपाकिस्तान की संसद के विशेष सत्र के दौरान गाज़ा के संघर्ष पर बातचीत हुई। इस दौरान पाकिस्तान के संसदिय कामकाज विभाग के मंत्री अली मोहम्मद खान ने यह दावा किया कि, इस्रायल का हमला यानी तीसरे विश्‍वयुद्ध को भड़काने वाली घटना है’। इसी दौरान पाकिस्तान के सांसद मौलाना अब्दुल अकबर चित्राली ने तो यह माँग की कि, पैलेस्टिन और कश्‍मीर मसले के लिए परमाणु बम का इस्तेमाल करें। यदि इन दो समस्याओं के लिए इस्तेमाल करना संभव नहीं है तो पाकिस्तान के परमाणु बम और मिसाइल एवं इतनी बड़ी सेना किस काम की? ऐसा सवाल भी मौलाना चित्राली ने पाकिस्तानी सेनाप्रमुख से किया।

इस्रायल के विरोध में पाकिस्तान धर्मयुद्ध का ऐलान करेगी, यह उम्मीद मौलाना चित्राली ने व्यक्त की हैं। इसी बीच पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री राजा परवेज़ अश्रफ ने यह सवाल किया कि, क्या पैलेस्टिनियों की सुरक्षा के लिए इस्लामी देशों की संयुक्त सेना गठित करने के लिए पेश हुआ प्रस्ताव पाकिस्तान की सरकार स्विकार करती हैं? इस पर जवाब देने से पाकिस्तान की सरकार दूर रही है। लेकिन, पाकिस्तान के विदेशमंत्री शाह महमूद कुरेशी फिलहाल तुर्की के विदेशमंत्री मेवलूत कावूसोग्लू के साथ ही संयुक्त राष्ट्रसंघ में गाज़ा का मुद्दा उपस्थित करने की तैयारी में जुटे हैं। पैलेस्टिनियों के नेता रियाद अल-मलिकी भी कुरेशी और कावूसोग्लू के साथ तुर्की से न्यूयॉर्क रवाना हुए हैं।

गुरूवार के दिन संयुक्त राष्ट्रसंघ की आम सभा में गाज़ा का मुद्दा उठाकर पाकिस्तान अपनी अहमियत बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। इसे तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने समर्थन जताया है। लेकिन, इससे सौदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात एवं खाड़ी के अन्य देश पाकिस्तान पर नाराज़ हो सकते हैं। पैलेस्टिन के मसले पर अरब-खाड़ी क्षेत्र के देश इस्रायल के खिलाफ आक्रामक भूमिका अपनाने के लिए तैयार नहीं है। इसी बीच तुर्की, ईरान और पाकिस्तान इस मसले पर तीखी भूमिका अपना रहे हैं। तुर्की और ईरान अपनी भूमिका पर कायम रहने की क्षमता रखते होंगे लेकिन, सौदी और यूएई ने पाकिस्तान को प्रदान किया हुआ कर्ज लौटाने की माँग की गई तो क्या होगा? यह सवाल विश्‍लेषक पूछ रहे हैं।

पाकिस्तान की संसद में बोलते समय विपक्षी नेता शाहबाज शरीफ ने भिखारियों को चयन करने का अधिकार हो ही नहीं सकता, ऐसा स्पष्ट बयान करके इम्रान खान की सरकार को इशारा दिया था। अलग शब्दों में पाकिस्तान को इस आक्रामकता की कीमत चुकानी पड़ेगी, यही बात शाहबाज शरीफ कह रहे हैं। लेकिन, पाकिस्तान की सरकार इस बात को नजरअंदाज कर रही हैं। किसी भी मसले पर स्वतंत्र भूमिका अपनाने से पहले देश में सियासी और आर्थिक स्थिरता होना आवश्‍यक है, यह शाहबाज शरीफ ने किया समझदारी का बयान पाकिस्तान सरकार को मंजूर नहीं हैं। इस वजह से करीबी दिनों में पाकिस्तान की मुश्‍किलें और भी बढ़ सकती हैं।

‘ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन’ (ओआयसी) को चुनौती देनेवाले संगठन खड़ा करने के लिए पाकिस्तान ने तुर्की और मलेशिया की सहायता से कोशिश करके देखा है। लेकिन, सौदी की सख्त चेतावनी के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को अपने ही पहल से आयोजित हो रही परिषद में शामिल होना संभव नहीं हुआ था। इसका अगला हिस्सा जल्द ही दिखाई देगा, ऐसी चुभनेवाली प्रतिक्रिया पाकिस्तान के पत्रकार और विश्‍लेषक बयान कर रहे हैं।

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