‘कश्मीर के बजाय पाकिस्तान में ही जनमतसंग्रह की ज़रूरत’ : भारत के गृहमंत्री का ताना

हरिद्वार, दि. ५ : ‘भारत ने जम्मू-कश्मीर में जनमतसंग्रह लेना चाहिए’ ऐसी माँग करनेवाले पाकिस्तान को, खुद अपने देश में जनमतसंग्रह लेकर, कितने लोगों को भारत में शामिल होने की इच्छा है, इसकी जानकारी लेनी चाहिए, इन शब्दों में केंद्रीय गृहमंत्री ने पाकिस्तान को ताना मारा| एक सभा को संबोधित करते समय केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को कड़े शब्दों में सुनाया कि दुनिया की कोई भी ताकत भारत से कश्मीर नहीं छिन सकती|

जनमतसंग्रहपाकिस्तान में आयोजित किए गए ‘कश्मीर दिन’ की पृष्ठभूमि पर, भारत ने कश्मीर की जनता के लिए जनमतसंग्रह का आयोजन करना चाहिए, ऐसी माँग पाकिस्तानी नेताओं द्वारा की जा रही है| संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव में यह प्रमुख मसला था, ऐसा दावा पाकिस्तान की ओर से किया जाता है| लेकिन भारत की ओर से इस माँग को ठुकराया जाता है| गृहमंत्री ने पाकिस्तान की इस माँग पर बात करते हुए, ‘कश्मीर भारत का था और आगे भी भारत का ही रहेगा’ ऐसा यक़ीन दिलाया| दुनिया की कोई भी ताकत कश्मीर को भारत से अलग नहीं कर सकती, ऐसा कहते हुए उन्होंने, ‘जनमतसंग्रह लेने का सवाल ही नहीं उठता’ ऐसा स्पष्ट किया| साथ ही, यह माँग करनेवाले पाकिस्तान ने अपने देश में ही जनमतसंग्रह का आयोजन करना चाहिए, ऐसा ताना भी केंद्रीय गृहमंत्री ने मारा|

पाकिस्तान ने अपने ही देश में जनमतसंग्रह लेते हुए, कितने पाकिस्तानी लोगों को भारत में शामिल होना है, इसका अंदाज़ा लेना चाह्ए, ऐसा कहते हुए गृहमंत्री ने पाकिस्तान की नाक़ामी पर ऊँगली रखी| इसीके साथ, ‘पीओके’ में भारतीय सेना द्वारा किए गए सर्जिकल स्ट्राईक की मिसाल भी केंद्रीय गृहमंत्री ने दी| इस हमले से भारत ने अपने सामर्थ्य का प्रमाण पुरी दुनिया को दिया है, ऐसा गृहमंत्री ने कहा| भारत शांतिप्रिय देश है, लेकिन इसका मतलब भारत शक्तिहीन देश है ऐसा नहीं है, यह संदेश पुरी दुनिया को इस सर्जिकल स्ट्राईक से भारत ने दिया है, ऐसा दावा गृहमंत्री ने किया|

पाकिस्तान की ओर से बार बार किए जानेवाली जनमतसंग्रह की माँग पर बोलते समय, यह माँग पाकिस्तान को ही संकट में लानेवाली है इसका एहसास आंतर्राष्ट्रीय निरीक्षकों ने बार बार दिलाया है, ऐसा गृहमंत्री ने कहा| संयुक्त राष्ट्र के कश्मीरविषयक प्रस्ताव में, यहाँ पर जनमतसंग्रह लेने से पहले पाकिस्तान को अपने कब्ज़ेवाले कश्मीर की भूमि से सेना को पीछे लेना होगा, ऐसा दर्ज़ किया गया था| क्या इसके लिए पाकिस्तान राजी है, ऐसा सवाल आंतर्राष्ट्रीय विश्‍लेषक पूछ रहे हैं| लेकिन इस मुद्दे को नज़रअंदाज़ करते हुए पाकिस्तान जनमतसंग्रह की माँग नहीं कर सकता, इस ओर भी विश्‍लेषक ग़ौर फ़रमा रहे है| पाकिस्तान ने पिछले पचास सालों के समय में ‘पीओके’ में जनसांख्यिकी बदलाव किए हैं| इसके तहत, यहाँ के मूल निवासियों को अल्पसंख्यांक बनाने के प्रयास किए, ऐसे गंभीर इल्ज़ाम लगाये जा रहे हैं| फिलहाल ‘पीओके’ में, पाकिस्तान की इस नीति के खिलाफ़ बड़ा असंतोष धधक रहा है|

Leave a Reply

Your email address will not be published.