पाकिस्तान की वित्त व्यवस्था दिवालीयाखोरी के मार्ग पर- अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने फटकारा

वॉशिंगटन / इस्लामाबाद : अस्थिर सरकार, आतंकवादियों को सहायता करने की धारणा, बढ़ता हिंसाचार एवं मानव अधिकार का उल्लंघन, इसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मलिन प्रतिमा होनेवाले पाकिस्तान को नया झटका लगने के संकेत मिल रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने पाकिस्तान की वित्त व्यवस्था पर तीव्र चिंता व्यक्त की है और उनका मार्ग दिवालियाखोरी की दिशा में शुरू होने का इशारा दिया जा रहा है। पिछले महीने में पाकिस्तान ने अपनी वित्त व्यवस्था संभालने के लिए चीन से लगभग ५० करोड़ डॉलर्स की कर्ज लेने की बात उजागर हुई थी। इस पृष्ठभूमि पर मुद्राकोष का इशारा ध्यान केंद्रित करने वाला है।

पाकिस्तान के अग्रणी दैनिक होनेवाले डॉन ने मुद्राकोष के इशारे के बारे में वृत्त प्रसिद्ध किया है। पाकिस्तान की वित्तीय नुकसान ५०५ अरब रुपयों पर जा पहुंची है और यह प्रमाण जीडीपी के लगभग ५.५ फीसदी है। उस समय करंट अकाउंट डेफिसिट ५ फ़ीसदी से नजदीक होने वाला यह आंकड़ा लगभग १६ अरब डॉलरस से अधिक होने वाला है। उस समय आर्थिक विकास दर लगभग साढ़े पांच प्रतिशत रहने की आशंका है।

पाकिस्तान में विदेशी जमापूंजी में तीव्र गिरावट हुई है और वह १२ अरब डॉलर्स तक गिरने की आशंका है। यह निधि की सहायता से पाकिस्तान लगभग १० हफ्ते आवश्यक माल का निर्यात कर सकता है, ऐसा मुद्रा कोष ने अपनी रिपोर्ट में सूचित किया है। चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी), कृषि क्षेत्र में बढ़त एवं बढ़ती मांग की वजह से वित्त व्यवस्था में आजतक सकारात्मक चिन्ह दिखाई दे रहे थे और वित्तीय नुकसान एवं अन्य नकारात्मक घटकों की वजह से वित्त व्यवस्था में गिरावट कायम रहने के संकेत मुद्रा कोष ने दिए हैं।

पाकिस्तान पर कर्ज एवं अन्य देयक का प्रमाण लगभग ८९ अरब डॉलर पर जा पहुंचा है। आने वाले समय में यह प्रमाण अधिक बढ़ने का डर अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष में व्यक्त किया है। कर्ज एवं जीडीपी इनमें प्रमाण लगभग ८० फीसदी तक जाने की आशंका जताई गई है। वित्त व्यवस्था में सुधार के लिए उत्पन्न बढ़ाने के लिए नए मार्ग विकसित करना एवं खर्च में गिरावट करना महत्वपूर्ण होने की सिफारिश मुद्राकोष ने दी है।

२ महीनों पहले अमरिका ने पाकिस्तान को दिए जानेवाले वित्त व्यवस्था रोकने का निर्णय लिया है। उसके बाद पाकिस्तान का समावेश आतंकवाद को सहायता करने वाले देशों के एफएटीएफ के सूची में डालने को अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने मंजूरी दी गई है। इसकी वजह से पाकिस्तान में विदेशी निवेशकारों में कटौती का इशारा स्थानीय तथा अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों ने दिया है। जागतिक बैंक एवं अन्य वित्तीय संस्था कर्ज न देने से, पहले ही नुकसान में होनेवाले पाकिस्तान की वित्त व्यवस्था की अवस्था अधिक जटिल होगी, ऐसा सूचित किया जा रहा है। जिसे मुद्रा कोष के नए इशारे से समर्थन मिल रहा है।

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