‘ओआयसी’ को धमकाना पाकिस्तान को पड़ा महंगा – सौदी अरब ने पाकिस्तान को उधार का तेल देना किया बंद

इस्लामाबाद – कश्‍मीर मसले पर ‘ओआयसी’ ने बैठक का आयोजन नहीं किया तो इस मुद्दे पर सहयोग कर रहे इस्लामी देशों की बैठक बुलाने की धमकी पाकिस्तान ने दी थी। यह धमकी देना पाकिस्तान के लिए बड़ा महंगा पड़ा है। सौदी अरब के प्रभाव वाली ‘ओआयसी’ को पाकिस्तान के विदेशमंत्री ने प्रधानमंत्री इम्रान खान का नाम लेकर धमकाया था। इस धमकी के बाद सौदी ने पाकिस्तान की घेराबंदी की है। इस के तहत सौदी ने पाकिस्तान को उधार तेल देना बंद किया है और पाकिस्तान को कर्ज का भुगतान करने को भी कहा है। इसके लिए सौदी अरब ने दबाव बढ़ाने पर पाकिस्तान ने तुरंत चीन से मदद प्राप्त की और सौदी को एक अरब डॉलर्स का भुगतान करने के समाचार प्राप्त हो रहे है।

प्रधानमंत्री इम्रान खान की सरकार ने चीन से पैसे लेकर सौदी अरब से प्राप्त किए कर्ज का भुगतान करने के समाचारों की पाकिस्तान के माध्यमों में बड़ी चर्चा हो रही है। पाकिस्तान के एक पत्रकार ने अपने वृत्त में इससे संबंधित बयान करने से खलबली मची है। इसमें खास बात यह है कि, पाकिस्तान की सरकार ने यह व्यवहार छुपाने की बहुत कोशिश की। लेकिन, माध्यमों में यह बात आने से प्रधानमंत्री इम्रान खान की सरकार को अभी भी जवाब देना संभव नहीं हुआ है।

OIC-Pakistanपाकिस्तान की आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं हुआ है, देश का विदेशी मुद्रा भंड़ार स्थिर है और कर्ज का भार कायम है। फिर एक रात में सौदी को एक अरब डॉलर्स चुकाने के लिए पैसे कहा से प्राप्त हुए, यह चुभनेवाला सवाल इम्रान खान को पूछा जा रहा है। तुरंत चीन से पैसे लेकर सौदी को भुगतान करने जैसा क्या हुआ, यह सवाल भी किया जा रहा है। इस सवाल से सौदी अरब पाकिस्तान की सरकार पर नाराज़ है और यह नाराज़गी दूर नहीं हुई तो नए संकटों की श्रृंखला शुरू होने का ड़र व्यक्त किया जा रहा है।

वर्ष 2018 में इम्रान खान के आवाहन पर सौदी अरब ने पाकिस्तान को 6.2 अरब डॉलर्स का कर्ज दिया था। इनमें से 3.2 अरब डॉलर्स तेल की आपूर्ति के स्वरूप में और शेष कर्ज नकद रक्म के स्वरूप में पाकिस्तान को प्राप्त हुई था। बीते दो वर्षों में सौदी ने इस कर्ज का भुगतान करने को लेकर पाकिस्तान को एक भी सवाल नहीं किया था। बल्कि पाकिस्तान को कर्ज का भुगतान करने के लिए आवश्‍यक अवधि में बढ़ोतरी करने की तैयारी भी सौदी ने दिखाई थी। इस वजह से यकायक हुई गतिविधियों से पाकिस्तान में बड़ी सनसनी फैली है। अब इसका संबंध पाकिस्तानी विदेशमंत्री ने किए बयान से जोड़ा जा रहा है। ‘ओआयसी’ का विकल्प तैयार करने की पाकिस्तानी विदेशमंत्री ने दी हुई धमकी की वजह से सौदी और मित्र देश गुस्सा होन के दावे हो रहे हैं।

5 अगस्त के दिन जम्मू-कश्‍मीर से धारा हटाने के निर्णय का एक वर्ष पुरा हुआ। इस का निषेध करने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान ने ‘पीओके’ के मुज़फ्फराबाद में रैली का आयोजन किया गया था और इस दौरान उन्होंने बड़ी डींग मारी थी। इससे पहले भारत के जम्मू-कश्‍मीर, लद्दाख, जुनागड़ औड़ सर क्रीक का क्षेत्र पाकिस्तान का अंग दिखानेवाला नया ‘पॉलिटिकल मैप’ भी इम्रान खान ने प्रसिद्ध किया था। लेकिन, पाकिस्तान की इन हरकतों का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज़रा भी प्रभाव नहीं पडा है बल्कि चीन की सहायता से कश्‍मीर का मुद्दा संयुक्त राष्ट्रसंघ में उठाने की हुई कोशिश ने पाकिस्तान को मुँह के बल गिराया था। हम कश्‍मीर मुद्दे पर गंभीर हैं और कुछ तो कर रहे हैं, यही दिखाने के लिए हो रही कोशिश में ही पाकिस्तान ने अपने पुराने मित्रदेश सौदी को दुखाने की बड़ी गलती की है। यह गलती पाकिस्तान के लिए बड़ी महंगी साबित होती दिख रही है।

इस्लामिक देशों की संगठना ‘ओआयसी’ कश्‍मीर के मसले पर बैठक बुलाए। इस बैठक में जम्मू-कश्‍मीर से धारा 370 को हटाने के साथ अन्य निर्णयों का निषेध किया जाए। इस्लामिक देश भारत को करारा संदेश दें, इसके लिए पाकिस्तान बड़ी कोशिश कर रहा है। लेकिन, सौदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात के साथ अन्य देश इसके लिए तैयार नहीं हैं। फ़रवरी में भी पाकिस्तान ने इसी मुद्दे पर ‘ओआयसी’ के विदेशमंत्री की बैठक आमंत्रित करने की माँग की थी। लेकिन, इस पर इन्कार मिलने से पाकिस्तान मलेशिया और तुर्की की ओर गया था। इस दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने ही ‘ओआयसी’ की भूमिका पर आलोचना की थी और मलेशिया, तुर्की और पाकिस्तान का मोर्चा बनाने के संकेत दिए थे। इस पर सौदी अरब बड़ा नाराज़ हुआ था। अब पाकिस्तान के विदेशमंत्री शहा महमूद कुरेशी की धमकी से दोनों देशों के संबंध और भी बिगड़ने की बात सामने आ रही है।

सौदी अरब, पाकिस्तान का पुराना मित्र और सहायक देश रहा है। सौदी ने पाकिस्तान को कई बार आर्थिक संकट के दौरान मदद की है। वर्ष 1998 में परमाणु परीक्षण करने के बाद पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगाए जाने पर भी सौदी अरब ने पाकिस्तान को तेल उधार देकर अन्य तरीकों से सहायता प्रदान की थी। सौदी अरब ने पाकिस्तान को पहले दिए हुए कई कर्जे मांफ किए है। साथ ही कर्ज का भुगतान करने के लिए कभी सवाल भी नहीं पूछा था। यह बात पाकिस्तान के माध्यमों में कही जा रही है। ऐसे में यकायक अब क्या हुआ के सौदी अरब वर्ष 2018 में दिए कर्ज का भुगतान करने के लिए पाकिस्तान को कह रहा है? एवं चीन से पैसे लेकर छुप छुप कर इम्रान खान की सरकार ने सौदी को पैसे क्यों दिए? इस बारे में भी पाकिस्तान में सवाल किए जा रहे हैं।

सौदी अरब के बाद संयुक्त अरब अमीरात एवं अन्य देश भी इसी तरह की माँग करेंगे, यह ड़र अब पाकिस्तान को सताने लगा है। साथ ही कर्ज का भुगतान ना करने पर इन देशों में काम कर रहे लाखों पाकिस्तानी नागरिकों को अपनी नौकरीयां खोनी पड़ेंगी और उन्हें पाकिस्तान वापिस भेजा जाएगा। इसके बाद अर्थव्यवस्था पर जो भार बढ़ेगा, गरीबी एवं बेरोजगारी में बढ़ोतरी होगी, इससे पाकिस्तान और भी बड़े आर्थिक संकट में फंसेगा, यह ड़र पाकिस्तान के कई विश्‍लेषक व्यक्त कर रहे हैं। कर्ज लेकर कर्ज का भुगतान करने का पाकिस्तान का अर्थशास्त्र इस देश को और भी बड़े आर्थिक संकट में धकेल रहा है, यह बात कुछ विश्‍लेषक कह रहे हैं।

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