समृद्ध, समर्थ और जनतांत्रिक भारत ही चीन को रोकेगा – अमरिकी सिनेटर एवं विश्‍लेषक का दावा

वॉशिंग्टन – ‘समृद्ध, समर्थ एवं जनतांत्रिक भारत ही वर्चस्ववादी चीन की महत्वाकांक्षा को नाक़ाम कर सकता हैं। इसी वज़ह से भारत के विकास दर में सुधार करना यह अमरिकी विदेशनीति का प्रमुख उद्देश्‍य होना चाहिए’, यह बयान अमरिकी सिनेटर जॉन कॉर्निन ने किया है। वहीं, ‘चीन के साथ जारी शीत युद्ध में अमरिका ने अपने नैसर्गिक सहयोगी देश के तौर पर भारत को हमेशा साथ रखना काफ़ी ज़रूरी होगा। इसके लिए अमरीका को अपनी नीति में बदलाव करना पड़ा, तो भी करें’, यह सलाह अमरिकी विश्‍लेषक वॉल्टर रसेल मेड ने दी है।

American Senetorकोरोना वायरस, हाँगकाँग में चिनी सेना की कार्रवाई, व्यापार युद्ध एवं साउथ चायना सी, तैवान और झिंजियांग, इन मुद्दों पर अमरीका और चीन के बीच बना तनाव चरम स्तर पर पहुँचा है। कोरोना वायरस का इस्तेमाल हथियार के तौर पर करनेवाले चीन के विरोध में कड़े कदम उठाने की माँग अमरीका के सिनेटर और विश्‍लेषक कर रहें हैं। पिछले कुछ वर्षों में विश्‍वभर में अपना प्रभाव बढ़ा रहें चीन को रोकने के लिए अमरीका को भारत की काफ़ी बड़ी ज़रूरत होने की बात कुछ विश्‍लेषक रेखांकित कर रहें हैं। सत्तारूढ़ रिपब्लिकन पार्टी के सिनेटर जॉन कॉर्निन और वरिष्ठ विश्‍लेषक वॉल्टर रसेल मेड ने भी ट्रम्प प्रशासन को यही सलाह प्रदान की है।

‘पहले के दौर में शीत युद्ध में जीत प्राप्त करने के लिए अमरीका ने जनतांत्रिक देशों को आर्थिक सहायता की आपूर्ति की थी। अब भी अमरीका को अपनी इसी पुरानी नीति का स्वीकार करके भारत को वैसे ही सहायता की आपूर्ति करनी होगी। भारत के विकास दर में सुधार करना ही इसके आगे अमरिकी विदेश नीति का मुख्य उद्देश्‍य होना चाहिये’, यह प्रस्ताव ज्येष्ठ अमरिकी विश्‍लेषक वॉल्टर रसेल मेड ने अमरिकी समाचार पत्र में लिखें अपने लेख में पेश किया है। चीन के साथ जारी शीत युद्ध में अमरीका के लिए भारत का काफ़ी बड़ा सहयोग आवश्‍यक होगा, ऐसा ब्रॅड कॉलेज के प्राध्यापक और ‘हडसन इन्स्टिट्युट’ इस अभ्यासगुट के विश्‍लेषक वॉल्टर रसेल मेड का मानना है।

भारत के विकास दर में सुधार होने का लाभ भारत के साथ अमरीका को भी प्राप्त होगा, यह बात वॉल्टर ने रेखांकित की है। इसे साध्य करने के लिए अमरीका को भारतीय अधिकारी एवं विश्‍लेषकों की सहायता से कुछ रणनीतिक स्तर पर बदलाव करने होंगे। ‘चीन को चुनौती देने के लिए ऐसें रणनीतिक स्तर के बदलाव किए, तो भारत का विकास और भी तेज़ गति से होगा और शांतिप्रिय, समृद्ध एवं सुरक्षित जनतांत्रिक विश्‍व का निर्माण होगा’, यह बात वॉल्टर ने कही है। अमरिकी अख़बार में वॉल्टर ने लिखे इस लेख की मिसाल देकर सिनेटर जॉन कॉर्निन ने भारत का सहयोग रेखांकित किया हैं। समृद्ध, ताकतवर और जनतांत्रिक भारत ही चीन की वर्चस्ववादी महत्वाकांक्षा को छेद दे सकता हैं, यह बात कॉर्निन ने सोशल मीडिया की अपनी पोस्ट में कहा हैं।

सोवियत रशिया के साथ के शीत युद्ध के दौर में अमरीका हमेशा भारत को शत्रु देश के तौर पर ही देख रही थी। लेकिन, शीत युद्ध ख़त्म होने के बाद अमरीका के भारत के साथ बने संबंधों में सुधार होता गया। अब के दौर में अमरीका भारत की ओर आर्थिक और सामरिक साझीदार देश के रूप में देख रही हैं। लेकिन, ऐसा होते हुए भी, दोनों देशों का सहयोग उम्मीद के अनुसार उँचाई हासिल नहीं कर सका है, ऐसी शिकायत दोनों देशों के विश्‍लेषक कर रहे हैं। लेकिन, डोनाल्ड ट्रम्प अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने भारत के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए गति दी और इसके अच्छे परिणाम दिखाई देने लगे हैं। ऐसी स्थिति में, चीन जैसे ताकतवर देश की आक्रामकता और गैरज़िम्मेदाराना हरकत में बढ़ोतरी हो रही होते समय, अमरिकी जनप्रतिनिधि एवं विश्‍लेषक, भारत के साथ सहयोग मज़बूत और व्यापक करने की माँग कर रहें हैं, यह सिर्फ भारत और अमरीका के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्‍व के लिए ही काफ़ी बड़ा सुचिन्ह साबित हो रहा है।

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