कोई एक देश भारत का ‘एनएसजी’ सदस्यत्व रोक नहीं सकता

- अमरीका के चीन पर तीखे वार

shannon-Reutersनवी दिल्ली/बीजिंग, दि. ३० (पीटीआय) – ‘कोई एक देश भारत का ‘एनएसजी’ सदस्यत्व रोक नहीं सकता’, ऐसा अमरीका के राजनीतिक व्यवहार विभाग के उपमंत्री ‘थॉमस शेनॉन’ ने कहा है। भारत दौरे पर आए शेनॉन ने इस संदर्भ में चीन पर सीधे तौर पर निशाना साधा है। उसी समय, चीन ‘साऊथ चायना?सी’ क्षेत्र में मूर्खता कर रहा है और हिंद महासागर में अपना प्रभाव बढाने के लिए कदम उठा रहा है, ऐसा शेनॉन ने कहा। एशिया प्रशांत क्षेत्र में स्थैर्य बनाये रखने के लिए भारत मूल आधार है, ऐसा कहते हुए, अमरीका भारत के साथ इस क्षेत्र में सहकार्य बढा रहा है, ऐसा शेनॉन ने स्पष्ट किया।

‘एनएसजी’ के भारत के प्रवेश के लिए केवल चीन का विरोध हो रहा है, यह अभी साफ हो रहा है। अमरीका ने भी यह बात मान ली है। पर अकेला देश ‘एनएसजी’ में भारत की सदस्यता रोक नहीं सकता, ऐसा कहते हुए, चीन से जवाब माँगने की जरूरत है, ऐसा थॉमस शेनॉन ने कहा। भारत को सदस्यता न मिलने का कारण भारत के साथ अमरीका को भी झटका लगा है। दोनों देश, ‘सेऊल’ में ‘एनएसजी’ की बैठक में वास्तविक रूप में क्या हुआ, इसपर आनेवाले समय में विचारविमर्श करेंगे, ऐसे संकेत शेनॉन ने दिए। साथ ही भारत की सदस्यता रोकनेवाले चीन को अलग करने के बजाए चीन को जिम्मेदार ठहराना ज्यादा जरुरी है, ऐसा मत शेनॉन ने व्यक्त किया। इसके लिए भारत के साथ अमरीका भी प्रयास करेगा, ऐसा भी उन्होंने कहा।

शेनॉन ने भारत के विदेश सचिव एस. जयशंकर से मुलाकात की। भारत को हाल ही में ‘मिसाईल टेक्नॉलॉजी कंट्रोल रिजीम’ की (एमटीसीआर) सदस्यता मिली है। इस सदस्यता के संदर्भ में जयशंकर और शेनॉन के बीच विशेष तौर पर चर्चा हुई। भारत परमाणु प्रसारबंदी अभियान में महत्त्वपूर्ण देश है, ऐसा दावा शेनॉन ने किया।

चीन ‘साऊथ चायना सी’ क्षेत्र में गैरजिम्मेदाराना वर्तन कर रहा है और यह मूर्खता है, ऐसी आलोचना शेनॉन ने की। इस क्षेत्र में वर्चस्व प्रस्थापित करने की चीन की महत्त्वाकांक्षा है, इसी के साथ हिंद महासागर में अपना वर्चस्व निर्माण करने के लिए चीन ने कदम उठाने शुरू किए है, इस तरफ शेनॉन ने ग़ौर फ़रमाया। इस वजह से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता का मूलाधार रहनेवाले भारत के साथ सहयोग बढाने के लिए अमरीका तेजी से कदम उठा रहा है, ऐसा शेनॉन ने स्पष्ट किया।

शेनॉन की आलोचना पर चीन की ओर से करारा जवाब दिया गया है। भारत के ‘एनएसजी’ सदस्यत्व के लिए प्रयास करनेवाला अमरीका नियम पर ध्यान देने के लिए तैयार नहीं है, ऐसा प्रत्युत्तर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हाँग लेई ने दिया। ‘सेऊल’ की बैठक में ‘एनएसजी’ में भारत को शामिल करने का मुद्दा अजेंडे पर नहीं था। ‘एनएसजी’ में राजनीतिक, तांत्रिक और नियमों पर चर्चा की गई, ऐसा दावा लेई ने किया। यह दावा करते समय चीन ने, ‘सेऊल’ में उनका प्रतिनिधित्व करनेवाले ‘वँग कून’ को फटकार लगाई, ऐसा सामने आ रहा है।  ‘एनएसजी’ में चीन की भूमिका को कई देशों का समर्थन हासिल है, ऐसा दावा कून ने किया था। सदस्य देशों में से एक तृतियांश देश चीन के भूमिका को समर्थन दे रहे है, ऐसा दावा भी कून ने किया था। पर असल में हालात कुछ और ही थें। भारत की सदस्यता को विरोध करनेवालों की संख्या केवळ ४ थी। ४८ देशों मेें से भारत की सदस्यता को ४४ देशों ने समर्थन दिया था। इसका मतलब चीन की तरफ से केवल तीन देश खडे थें।

इसके बाद चीन सरकार वँग पर काफी नाराज है और उन्होंने वँग को स़ख्त शब्दों में खरी खरी सुनायी, ऐसा वृत्त सामने आ रहा है। भारत की सदस्यता कोे लगभग दस देशों ने विरोध किया था, ऐसा दावा चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से किया गया था।

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