कश्मीर के मुद्दे पर ओआयसी पाकिस्तान के अपप्रचार का शिकार ना बनें – भारत की चेतावनी

नई दिल्ली – कश्मीर में अपने प्रतिनिधि भेजने के लिए भारत को आवाहन करने वाले ‘ऑर्गनायझेशन ऑफ इस्लामिक काऊन्सिल-ओआयसी’ को भारत ने कड़े शब्दों में खरी खरी सुनाई। पाकिस्तान के भारत विदेशी अपप्रचार का शिकार ना बनें और पाकिस्तान को ओआयसी का इस्तेमाल अपनी राजनीतिक स्वार्थ के लिए ना करने दें, ऐसा भारत के राजदूत ने ‘ओआयसी’ के महासचिव को जताया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इसकी जानकारी दी।

सऊदी अरब में नियुक्त भारत के राजदूत से मुलाकात करके ओआयसी के महासचिव ने, जम्मू और कश्मीर में प्रतिनिधि भेजने के लिए भारत अनुमति दें, ऐसी मांग की। इससे पहले भी पाकिस्तान की अड़ियल मांग के कारण ओआयसी ने कश्मीर मसले पर भारत विरोधी प्रस्ताव पारित किए थे। इन प्रस्तावों का अंशमात्र भी मतलब ना होने का दावा पाकिस्तान के ही विश्लेषकों ने किया था। लेकिन बार-बार पाकिस्तान द्वारा इस मसले को लेकर ओआयसी पर दबाव डाला जा रहा है। इस कारण ओआयसी ने भारत के पास, कश्मीर में निरीक्षक भेजने की माँग की। उस पर भारत ने ओआयसी को परिस्थिति का एहसास करा दिया।

पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ चलाए जा रहे अपप्रचार का शिकार होकर ओआयसी एकतरफ़ा फैसला ना करें, ऐसी माँग भारत के सऊदी में नियुक्त राजदूत ने की। साथ ही, पाकिस्तान द्वारा अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए ओआयसी का इस्तेमाल करने की कोशिश लगातार की जा रही है, इस पर गौर फरमाकर ओआयसी इस मोरचे पर पाकिस्तान का साथ ना दें, ऐसा भारत के राजदूत ने जताया। इसकी जानकारी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने दी।

भारत ने धारा-३७० हटाकर, जम्मू और कश्मीर को दिया विशेष दर्जा खारिज किया। इसके बाद पाकिस्तान ने बड़ा होहल्ला मचाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह मसला उपस्थित करने की कोशिश की थी। इससे युद्ध भड़केगा और उसका अंजाम परमाणु युद्ध में हो सकता है, ऐसा ब्लैक मेलिंग करने तक पाकिस्तान की मजाल गई थी । लेकिन पाकिस्तान के इस दावे को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर किसी ने भी कुछ खास क़ीमत नहीं दी थी। इस मोरचे पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान की विदेश नीति पूरी तरह नाकाम साबित हुई, ऐसी आलोचना विरोधकों द्वारा की जा रही है। इसका बहुत बड़ा दबाव पाकिस्तान की सरकार पर आया था।

सऊदी अरब नेतृत्व कर रहे ओआयसी ने अगर कश्मीर मसले को महत्व नहीं दिया, तो इस्लामधर्मिय देशों के स्वतंत्र संगठन के लिए गतिविधियाँ शुरू करेंगे, ऐसी चेतावनी पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी ने दी थी। उसके लिए तुर्की और मलेशिया से सहायता लेने की कुरैशी ने दी धमकी सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (युएई) ने बहुत ही गंभीरता से ली थी।

इसके बाद सऊदी और युएई ने पाकिस्तान को दिए कर्ज को चुकता करने के लिए पाकिस्तान के पीछे तकाज़ा शुरू किया। उसके बाद होश में आए पाकिस्तान की सरकार पर सऊदी और युएई से मिन्नतें करने की नौबत आई थी। उसके बाद के दौर में भी पाकिस्तान की सरकार को अक्ल नहीं आई है, ऐसी आलोचना पाकिस्तानी विश्लेषक कर रहे हैं। इस कारण ओआयसी जैसे इस्लामधर्मिय देशों के संगठन पर पाकिस्तान अभी भी कश्मीर मसला उपस्थित करने के लिए दबाव डाल रहा है। भारत में निरीक्षक भेजने की ओआयसी द्वारा की जा रही माँग यानी पाकिस्तान को मनाने की कोशिश होने की गहरी संभावना है। क्योंकि अब तक भारत ने कश्मीर के मुद्दे पर किसी भी देश अथवा संगठन का दबाव मान्य नहीं किया है।

कश्मीर यह भारत का अंदरूनी मामला है और उसमें कोई भी दखलअंदाजी नहीं कर सकता, ऐसी भारत की अड़िग भूमिका है। पाकिस्तान ने अवैध रूप में कब्ज़ा किए ‘पाकिस्तानव्याप्त कश्मीर’ को मुक्त करना, इतनी ही कश्मीर की समस्या है। भारत जल्द ही इस भूभाग पर भी कब्जा करेगा, ऐसी चेतावनी भारत के नेताओं ने दी थी।

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