परमाणु पनडुब्बी ‘आयएनएस अरिघात’ वर्ष के अन्त तक भारतीय नौसेना में शामिल होगी

विशाखापट्टनम्‌ – स्वदेशी निर्माण की दूसरी परमाणु पनडुब्बी ‘आयएनएस अरिघात’ इसी वर्ष के अन्त तक भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल हो रही है। बीते तीन वर्षों से ‘आयएनएस अरिघात’ का समुद्री परीक्षण जारी था और यह परीक्षण सफल हुआ है। ‘आयएनएस अरिहंत’ की तुलना में ‘आयएनएस अरिघात’ अधिक मात्रा में बैलेस्टिक मिसाइलों से सज्जित होगी। इस पनडुब्बी का समावेश होने से भारतीय नौसेना के सामर्थ्य में बढ़ोतरी होगी।

‘आयएनएस अरिघात’

भारतीय नौसेना २४ पनडुब्बियों का निर्माण कर रही है और इनमें से छह परमाणु होगी। भारतीय नौसेना के ‘ऐडवान्स टेक्नॉलॉजी वेसल प्रोजेक्ट’ (एटीवी) के तहत विशाखापट्टनम्‌ में ‘आयएनएस अरिघात’ का निर्माण किया गया। ‘आयएनएस अरिहंत’ के बाद इस वर्ग की यह दूसरी स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी है। ‘आयएनएस अरिघात’ ‘के-१५ सागरिका बैलेस्टिक मिसाइल’ से सज्जित होगी। यह मिसाइल ७५० से ३,५०० किलोमीटर दूरी तक हमला करने के लिए सक्षम है। यह पनडुब्बी कम से कम १२ ‘के-१५’ मिसाइलों से सज्जित की जा सकती है। लेकिन, आवश्‍यकता के अनुसार इन मिसाइलों की संख्या कम करके ‘के-४’ वर्ग के चार लंबी दूरे के बैलेस्टिक मिसाइल भी इस पनडुब्बी पर तैनात किए जा सकते है।

समुद्र की लहरों के साथ यह पनडुब्बी प्रतिघंटा १२ से १५ नॉटिकल मील (२२ से २८ किलोमीटर) की रफ्तार से सफर कर सकती है। वही ३०० मीटर गहराई पर पहुंचने पर यह पनडुब्बी २४ नॉटिकल मील (४८ किलोमीटर) प्रतिघंटा की रफ्तार से सफर कर सकती है। वर्ष २०१७ में ‘आयएनएस अरिघात’ का जलावतरण किया गया था। इसके बाद तीन वर्षों तक समुद्री परीक्षण करके इस पनडुब्बी का समावेश नौसेना में करने का रास्ता खुल जाने की खबरें प्राप्त हुई हैं। हिंद महासागर में चीन की गतिविधियां बढ़ रही हैं और तभी इस परमाणु पनडुब्बी का नौसेना में समावेश होना अहम गतिविधि बनती हैं।

इसी बीच कुछ दिन पहले भारतीय नौसेना ने स्टेल्थ पनडुब्बियों का निर्माण करने का ऐलान किया था। करीबन ४२ हज़ार करोड़ रुपयों की छह स्टेल्थ पनडुब्बीयों का निर्माण करने के लिए निविदा निकाली जाएगी, यह बात नौसेना ने स्पष्ट की थी।

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