ईशान्य के राज्य देश को प्रगतिपथ पर ले जाएँगे – केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंग का दावा

नई दिल्ली – ईशान्य भारत यह आनेवाले समय में देश की प्रगति का ‘ग्रोथ इंजिन’ साबित होगा। ईशान्य भारत की क्षमता और यहाँ की साधनसंपत्ती का यदि इस्तेमाल नहीं हुआ, तो भारत की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह विकास हासिल करना संभव नहीं होगा, ऐसा केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंग ने कहा है। ‘इंडियन काऊन्सिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनॅशनल इकॉनॉमिक रिलेशन’ (आयसीआरआयईआर) ने आयोजित किये परिसंवाद में जितेंद्र सिंग बात कर रहे थे।

कोरोना संकट के पश्चात की दुनिया में भारत के विकास का नेतृत्व ईशान्य भारत करेगा, ऐसा दावा ईशान्य क्षेत्र के विकास के लिए स्थापन किए गए विभाग के केंद्रीय राज्यमंत्री जितेंद्र सिंग ने किया। सन २०१४ में देश की ‘लूक ईस्ट’ नीति का रूपांतरण ‘ऍक्ट ईस्ट’ ने किया गया। इस नीति के जरिए भारत के पड़ोसी देशों के साथ सभी स्तरों पर सहयोग मजबूत करने पर जोर दिया जा रहा है। इस नीति में ईशान्य की ओर के राज्यों को बहुत ही अहम स्थान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसे बार-बार अधोरेखांकित किया है, ऐसा जितेंद्र सिंग ने कहा।

पूर्वीय देशों के साथ यदि भारत को संबंध मज़बूत करने हैं, तो ईशान्य की ओर के राज्य केंद्रस्थान में रहनेवाले हैं। क्योंकि भारत की पूर्वीय सीमाएँ इन्हीं राज्यों में हैं। इसी कारण इस इलाके में अंतर्गत और अन्तर्राष्ट्रीय कनेक्टिविटी पर ज़ोर दिया जा रहा है। बांगलादेश के साथ सीमा विवाद सुलझाने के बाद, दोनों देशों में बुनियादी सुविधाओं के विकास के विभिन्न प्रोजेक्ट्स निर्माण हुए हैं, इस पर केंद्रीय मंत्री ने गौर फरमाया।

आगरतला-अखुरा ऐसे भारत-बांगलादेश को जोड़नेवाले परिवहन मार्ग का निर्माण किया गया है। कलादन परियोजना के तहत, ईशान्य भारत से म्यानमार और थायलंड को जोड़नेवाले महामार्ग का निर्माण भारत कर रहा है, यह बताकर अन्य प्रोजेक्ट्स की भी जानकारी इस समय जितेंद्र सिंग ने दी। इसी बीच, ईशान्य के राज्यों में भारत जो बुनियादी सुविधाएँ विकसित कर रहा है, वह चीन-भारत तनाव का प्रमुख कारण माना जा रहा है। इस संदर्भ में अब तक भारत ने आक्रामक भूमिका नहीं अपनाई थी। लेकिन अब भारत ईशान्य के राज्यों में विकास प्रोजेक्ट्स का तेज़ी से निर्माण कर रहा है। इस कारण चीन अधिक से अधिक बेचैन बना होकर, उसका असर दोनों देशों के संबंधों पर हो रहा दिखाई दे रहा है।

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