रक्षाबलों के आधुनिकीकरण के लिए प्राप्त होगा २.३८ लाख करोड़ रुपयों का अतिरिक्त निधी – ‘नॉन लैप्सेबल डिफेन्स फंड’ संबंधित सिफारिश केंद्र ने स्वीकारी

नई दिल्ली – रक्षाबलों के आधुनिकीकरण के लिए ‘नॉन लैप्सेबल फंड’ से संबंधित प्राप्त सिफारिश केंद्र सरकार ने स्वीकारी है, ऐसा केंद्रीय अर्थमंत्री निर्मला सीतारामन ने घोषित किया। इसके अनुसार ‘नॉन लैप्सेबल डिफेन्स फंड’ के तौर पर सालाना ५१ हज़ार करोड़ रुपयों के अनुसार कुल २.३८ लाख करोड़ रुपयों का निधी प्रदान होगा। इस वजह से रक्षाबलों के आधुनिकीकरण को अधिक गति प्राप्त होगी। इसके लिए निधी की किल्लत नहीं रहेगी, यह विश्‍वास भी व्यक्त किया जा रहा है। यह निधी यानी अर्थसंकल्प में रक्षा खर्च के लिए किए गए प्रावधान से अलग दी जा रही राशि है।

defense-fundशनिवार के दिन लोकसभा में केंद्रीय बजट पर चर्चा हुई। बीते दो दिनों से संसद में बजट पर चर्चा हो रही थी। इस दौरान उपस्थित किए गए सभी मुद्दों पर जवाब देते समय अर्थमंत्री निर्मला सीतारामन ने ‘नॉन लैप्सेबल डिफेन्स फंड’ से संबंधित सरकार के निर्णय की जानकारी साझा की।

केंद्र द्वारा राज्यों को प्रदान हो रहा महसूल का हिस्सा १ प्रतिशत कम करने की सलाह १५वें वित्त आयोग ने दी थी। इसके अनुसार फिलहाल प्रदान हो रहे ४२ प्रतिशत राशि के बजाय केंद्र सरकार ४१ प्रतिशत महसूली हिस्सा राज्यों को प्रदान करे। यह कम हुआ १ प्रतिशत महसूल ‘नॉन लैप्सेबल डिफेन्स फंड’ के लिए इस्तेमाल करे, यह बात वित्त आयोग ने अपनी सिफारिश में कही थी।

आम तौर पर हर वर्ष के बजट में किसी विभाग के लिए घोषित निधी का इस्तेमाल उसी वर्ष करना पड़ता है। वरना इस्तेमाल के बिना शेष रही राशि ‘लैप्स’ यानी रद होती है। लेकिन, ’नॉन लैप्सेबल डिफेन्स फंड’ वर्ष खत्म होने के बाद भी लैप्स नहीं होगा। यह राशि अगले आर्थिक वर्ष में भी इस्तेमाल करना संभव होगा। रक्षाबलों के लिए और गृह विभाग के लिए अंदरुनि सुरक्षा के लिए किए गए प्रावधान और आर्थिक उपलब्धता में बना फरक मिटाने का उद्देश्‍य इसके पीछे है।

‘नॉन लैप्सेबल डिफेन्स फंड’ के मुद्दे पर वित्त आयोग ने पेश की हुई सिफारिश केंद्र सरकार ने स्वीकारी है, ऐसा केंद्रीय अर्थमंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा। इस फंड को ‘राष्ट्रीय सुरक्षा नैवेद्यम कोष’ या अन्य तत्सम नाम दिया जाएगा, ऐसी खबरें हैं। एक वृत्त रपट के अनुसार वर्ष २०२१-२२ से २०२५-२६ के आर्थिक वर्षों के दौरान कुल २.३८ लाख करोड़ रुपयों का निधी ‘नॉन लैप्सेबल डिफेन्स फंड’ के लिए देने का प्रस्ताव है। इसके तहत सालाना करीबन ५१ हज़ार करोड़ रुपये प्रदान होंगे।

इस निधी का इस्तेमाल रक्षाबल और गृहमंत्रालय के लिए होगा। लेकिन, इस पर अधिकार रक्षा मंत्रालय का रहेगा। गृह मंत्रालय उन्हें प्रदान होनेवाली राशि ही सिर्फ खर्च कर सकेगा। रक्षाबलों के आधुनिकीकरण के लिए आवश्‍यक खरीद के लिए इस निधी का बड़ा हिस्सा खर्च होगा। साथ ही गृह मंत्रालय सीआरपीएफ और राज्य पुलिस के आधुनिकीकरण के लिए इसका इस्तेमाल कर सकेगा।

साथ ही इस निधी का कुछ हिस्सा सेना के सैनिकों के कल्याण कार्यक्रम के लिए भी प्रदान होगा। ‘नॉन लैप्सेबल डिफेन्स फंड’ रक्षा खर्च के लिए बजट में किए गए प्रावधान के अतिरिक्त प्रावधान रहेगा, यह बात वित्त आयोग ने अपनी सिफारिशों में स्पष्ट की है।

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