विश्‍व की नामांकित कंपनियां भारत में ११.५ लाख करोड़ रुपयों के ‘स्मार्टफोन्स’ का निर्माण करेंगीं

नई दिल्ली – ऐपल, सैमसंग, डिक्सन, लावा जैसी विश्‍व में २२ बड़ी मोबाइल कंपनियों ने केंद्र सरकार ने घोषित की हुई ‘प्रॉडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव’ (पीएलआय) परियोजना के तहत प्रस्ताव पेश किए गए हैं। इन प्रस्तावों के अनुसार अगले पांच वर्षों में इन कंपनियों ने ‘पीएलआय स्किम’ के तहत भारत में ११.५ लाख करोड़ रुपयों के मोबाइल फोन्स का निर्माण करने की तैयारी दिखाई है। इससे अगले पांच वर्षों में भारत मोबाईल फोन उत्पादन का केंद्र बनेगा, ऐसा दावा केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने किया है। ऐपल कंपनी चीन में स्थित अपना निर्माण केंद्र बंद करके भारत में उत्पादन केंद्र शुरू करने की तैयारी में होने का समाचार है।

Smart-Phone-Indiaस्मार्ट फोन तैयार करनेवाली विदेश की नामांकित कंपनियों के साथ देश में मौजूद मोबाईल कंपनियों को देश में उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन प्राप्त हो, इस उद्देश्‍य से हमारी कोशिश हो रही है, यह जानकारी केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रदान की है। इसके लिए हमने ‘प्रॉडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव्ह’ (पीएलआय) परियोजना शुरू की है, यह जानकारी भी केंद्रीय मंत्रि ने साझा की।

अगले पांच वर्षों के दौरान देश में मोबाईल उत्पादन को गति देकर भारत को मोबाईल उत्पादन का जागतिक केंद्र बनाने की एवं स्मार्टफोन्स को निर्यातदार देश करने का लक्ष्य केंद्र सरकार ने रखा है। पीएलआय परियोजना के तहत देश में मोबाईल उत्पादन कर रही कंपनियों को कुछ सहुलियतें एवं लाभ प्राप्त होंगे, यह बयान रविशंकर प्रसाद ने किया।

Smart-Phoneइस परियोजना के तहत ३१ जुलाई तक प्रस्ताव पेश करने को कहा गया था। इसे बड़ा अच्छा रिस्पॉन्स प्राप्त हुआ है। ऐपल, सैमसंग, फॉक्सकॉन, रायज़िग स्टार, विस्ट्रॉन और पेगट्रॉन इन कंपनियों समेत कुल २२ कंपनियों ने भारत में निवेश करने के लिए उत्सुकता दिखाई है। इन कंपनियां ने अगले पांच वर्षों में ११.५ लाख करोड़ रुपयों के स्मार्ट फोन और उनसे संबंधित वस्तुओं के उत्पादन करने के प्रस्ताव पेश किए हैं। इस निवेश की वजह से भारत में १२ लाख लोगों को काम प्राप्त होगा, यह दावा रविशंकर प्रसाद ने किया है।

कोरोना वायरस का असर प्रमुख देशों की अर्थव्यवस्था पर हुआ है। लेकिन, इस संकट के दौर में भारत में विदेशी निवेश की मात्रा में बढ़ोतरी होती दिखाई दे रही है। अप्रैल से जुलाई के दौरान विदेशी कंपनियों ने भारत में बड़ी मात्रा में निवेश भी किया है।

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