रिज़र्व बैंक ने ब्याज दरों में बदलाव नहीं किए

मुंबई – रिज़र्व बैंक ने बुधवार के दिन अपनी द्वि-मासिक आर्थिक नीति का ऐलान किया। देश में कोरोना संक्रमण फिर से तेज़ होने की और महंगाई बढ़ने की स्थिति में रिज़र्व बैंक आर्थिक नीति तय करते समय कौनसे निर्णय करता है, इस ओर ध्यान लगा था। ‘आरबीआय’ ने बाज़ार की उम्मीदों के अनुसार ब्याज दर में बदलाव नहीं किए। साथ ही १ लाख रुपयों के सरकारी बाण्ड की इसी तिमाही के दौरान बाज़ार में खरीदने का ऐलान भी आरबीआय ने किया। इसके अलावा पेमेंट बैंकों के खातों की शेष राशि की सीमा बढ़ाने का निर्णय हुआ है। ‘आरबीआय’ के इन निर्णयों के कारण शेअर बाज़ार में निवशकों में बड़ा उत्साह दिखाई दिया। मुंबई सेन्सेक्स में ६०० अंकों का उछाल दिखाई दिया। इस वजह से निवेशकों को दो लाख करोड़ रुपयों को मुनाफा प्राप्त हुआ।

बीते वर्ष कोरोना संक्रमण के दौरान आरबीआय ने ब्याज दरों में कटौती करने का निर्णय किया था। साथ ही बीते दो आर्थिक नीतियों के दौरान ब्याजदर स्थिर रखे गए थे। अर्थव्यवस्था संभल चुकी है और आर्थिक कारोबार फिर से पटरी पर आने से इस वर्ष के दौरान देश के विकास दर में बड़ी बढ़ोतरी होगी, ऐसी उम्मीद लगभग सभी विशेषज्ञ एवं पतमानांकन संस्थाएं व्यक्त कर रही हैं। लेकिन, इसी बीच देश में उभरी कोरोना की दूसरी लहर ने फिर से नई चुनौती खड़ी की है। ईंधन की कीमतों में हुई बढ़ोतरी और महंगाई की चुनौती भी सामने है। इस पृष्ठभूमि पर ‘आरबीआय’ नई आर्थिक नीति तय करते समय क्या निर्णय करती है, इस ओर ध्यान लगा था।

बुधवार के दिन ‘आरबीआय’ के गवर्नर शक्तिकांता दास ने नई आर्थिक नीति का ऐलान किया। इसके अनुसार रेपो रेट ४ प्रतिशत ही रखा गया है। इस वजह से कर्ज़ उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिली है। मौजूदा स्थिति की महंगाई पर ‘आरबीआय’ गवर्नर शक्तिकांता दास ने चिंता जताई है। आनेवाले मान्सून पर अनाज़ की कीमतें निर्भर होंगी। वर्ष २०२१-२२ के पूरे आर्थिक वर्ष में महंगाई दर ४.४-५.२ प्रतिशत के दौरान रहेगा, ऐसा अनुमान गवर्नर दास ने जताया है। साथ ही मौजूदा आर्थिक वर्ष में विकास दर १०.५ प्रतिशत रहने की संभावना भी उन्होंने व्यक्त की है।

मौजूदा स्थिति में कोरोना की पहली लहर के दौरान कर्ज उपभोक्ताओं को प्रदान की हुई मोरेटोरियम की सुविधा दोबारा उपलब्ध कराने की आवश्‍यकता दिखाई नहीं दे रही है, यह बात दास ने स्पष्ट की। कोरोना के दौर में अर्थव्यवस्था को मज़बूती प्रदान करने के लिए खुले बाज़ार से एक लाख करोड़ रुपयों के सरकारी बाण्ड उतारने का निर्णय भी ‘आरबीआय’ ने घोषित किया।

इसका असर शेअर बाज़ार पर होता दिखाई दिया। बैंकिंग क्षेत्र में बड़ा उछाल आया। एसबीआय, युनियन बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, आयडीएफसी बैंक के शेअर्स की कीमतों में वृद्धि हुई। साथ ही रिलायन्स इंडस्ट्रिज्‌, भारती एअरटेल, बजाज ऑटो, महिंद्रा ऐण्ड महिंद्रा, मारुती इन वाहन क्षेत्र की कंपनियों के साथ इन्फोसिस, डॉ.रेड्डीज्‌, एशियन पेंट जैसी प्रमुख कंपनियों के शेअर्स में भी तेज़ी देखी गई। इसी बीच मुंबई सेन्सेक्स ६६० और निफ्टी निदेशांक में १८० अंकों की बढ़ोतरी हुई।

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