नई शिक्षा नीति की वजह से भारत वैश्‍विक ज्ञान-केंद्र बनेगा

नई दिल्ली – ‘देश ने अपनाई ‘नई शिक्षा नीति’ (एनईपी-२०२०) भारत को वैश्‍विक ज्ञान-केंद्र बनाएगी। इसमें ‘आयआयटी’ की भूमिका अहम होगी’, यह विश्‍वास केंद्रीय शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने व्यक्त किया। देश के ‘आयआयटीज्‌’ सिर्फ सिखानेवाली संस्थाएं नहीं हैं बल्कि राष्ट्र के निर्माण में इनका अहम हिस्सा है’, यह बयान भी शिक्षामंत्री प्रधान ने किया। ‘आयआयटी खड़गपुर’ के एक वर्चुअल समारोह में वे बोल रहे थे।

ज्ञान-केंद्र‘एनईपी-२०२०’ का पहला वर्ष हाल ही में पूरा हुआ। ‘नई शिक्षा नीति की वजह से शिक्षा सुलभ होगी, साथ ही शिक्षा का दर्जा भी सुधरेगा। ‘एनईपी’ की वजह से कई युवक प्रौद्योगिकी शिक्षा की ओर जाएँगे। साथ ही उनमें अंग्रेजी की कमी महसूस नहीं होगी, ऐसा शिक्षामंत्री प्रधान ने कहा। साथ ही देश के कुछ इंजिनिअरिंग कॉलेज्‌ अब क्षेत्रिय भाषा में भी शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। अंग्रेजी में शिक्षा प्राप्त करने की इच्छा ना रखनेवाले छात्रों को इससे बड़ा लाभ होगा, ऐसा कहकर प्रधान ने इस पर संतोष जताया।

इस तरह के अंड़गे दूर होने से कई पात्र छात्रों को किसी भी अड़ंगे के बिना तकनीकी शिक्षा प्राप्त करना मुमकिन होगा, यह विश्‍वास भी शिक्षामंत्री ने इस दौरान व्यक्त किया।

‘आयआयटी खड़गपुर’ के ७१वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित किए गए वर्चुअल समारोह में शिक्षामंत्री ने ‘एनईपी’ और ‘आयआयटीज्‌ की अहमियत रेखांकित की। ‘आयआयटी’ खड़गपुर देश की सबसे पुरानी शिक्षा संस्था है। लेकिन, समय के अनुसार इस संस्था ने छात्रों को नई तकनीक की सीख दी है, ऐसा शिक्षामंत्री ने कहा।

इसी बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिन पहले ही २१वीं सदी में ‘एनईपी’ अहम साबित होगी, ऐसा कहकर इससे गरिबी के खिलाफ लड़ना संभव होगा, ऐसा कहा था। ‘एनईपी’ की वजह से बच्चों की शिक्षा में भाषा का अड़ंगा नहीं आएगा, यह विश्‍वास भी प्रधानमंत्री ने व्यक्त किया था।

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