नेपाल ने भारतीय सेनाप्रमुख को मानद जनरल पद से सम्मानित किया

काठमांडू – भारत के सेनाप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे को नेपाल ने मानद जनरल पद से सम्मानित किया है। इसके बाद दोनों देशों के सेनाप्रमुखों ने रक्षा सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की। नेपाल ने भारत के लिपुलेख, कालापानी, लिम्पियाधुरा के क्षेत्र का समावेश करके अपना नया पॉलिटिकल मैप प्रसिद्ध किया था। इसके बाद दोनों देशों के संबंधों में तनाव निर्माण हुआ था। साथ ही नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी.शर्मा ओली की सरकार ने भारत के खिलाफ एक के बाद एक कई निर्णय किए थे। लेकिन, बीते कुछ दिनों में नेपाल ने अपनी भूमिका में बदलाव के संकेत दिए हैं। इस पृष्ठभूमि पर नेपाल ने भारत के सेनाप्रमुख को मानद जनरल पद से सम्मानित किया है।

भारत के सेनाप्रमुख तीन दिनों की नेपाल यात्रा कर रहे हैं। इस दौरान नेपाल की राष्ट्रपति विद्यादेवी भंड़ारी के हाथों भारतीय सेनाप्रमुख जनरल नरवणे को मानद जनरल पद प्रदान किया गया। नेपाल ने बीते महीने में सेनाप्रमुख नरवणे को मानद जनरल पद देने का ऐलान किया था। नेपाल द्वारा भारतीय सेनाप्रमुख को मानद जनरल पद प्रदान किए जाने का यह पहला अवसर नहीं है। दोनों देशों द्वारा एक दूसरे के सेना अधिकारियों को मानद पद देने की पुरानी परंपरा रही है। लेकिन, मौजूदा स्थिति में नेपाल ने भारतीय सेना प्रमुख को इस पद से सम्मानित करना अधिक अहमियत रखता है।

नेपाल ने कुछ महीने पहले एक पॉलिटिकल नक्शा जारी करके भारत के लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा क्षेत्रों को अपना हिस्सा दिखाया था। साथ ही भारत पर नेपाल की ज़मीन पर अतिक्रमण करने का आरोप भी लगाया था। इसके भारत भारत-नेपाल सीमा पर अपनी पोस्ट्स बढ़ाकर एवं इस क्षेत्र में अधिक सैनिकों की तैनाती करके नेपाल ने भारत को और भी उकसाया था। साथ ही भारत के खिलाफ नेपाल ने कई निर्णय भी किए थे। इसमें भारतीय नागरिकों से रोटी-बेटी व्यवहार रोकने के लिए ‘सिटिज़नशिप’ कानून में बदलाव करने का कदम भी नेपाल ने उठाया था। नेपाल के इस निर्णय के पीछे चीन का हाथ होने का दावा विश्‍लेषक कर रहे थे। नेपाल की चीन समर्थक कम्युनिस्ट सरकार चीन के संकेतों पर चल रही है, यह बात भी विश्‍लेषक रख रहे थे।

लेकिन, दो महीने पहले चीन ने ही नेपाल के सात जिलों में घुसपैठ करके नेपाल की ज़मीन पर कब्जा करने का वृत्त सामने आया और इसके बाद नेपाल सरकार पर आलोचना होने लगी। चीन ने इस कब्ज़ा किए हुए क्षेत्र में निर्माण कार्य भी किया है। साथ ही नेपाली नागरिकों को इस क्षेत्र में प्रवेश करने से रोका गया। इसके विरोध में नेपाल में चीन के खिलाफ काफी गुस्सा बढ़ता गया। साथ ही नेपाल की सियासत पर चीन की हो रही दखलअंदाज़ी पर भी आलोचना होने लगी है।

इसके बाद प्रधानमंत्री ओली की सरकार ने भारत से मेल करने के संकेत दिए। नए नक्शे के समावेश वाले पाठ्यपुस्तकों पर पाबंदी लगाई गई। साथ ही भारत को द्विपक्षीय चर्चा शुरू करने के लिए आवाहन भी किया गया। कुछ दिन पहले नेपाल के प्रधानमंत्री ने दशहरे के शुभ अवसर पर भारत को शुभकामनाएं प्रदान करते समय अपने देश के पुराने नक्शे का इस्तेमाल किया था। इसी पृष्ठभूमि पर भारतीय सेनाप्रमुख को मानद जनरल पद प्रदान करने का ऐलान भी नेपाल ने किया। इन कारणों से भारतीय सेनाप्रमुख की यह नेपाल यात्रा अहम समझी जा रही है। दोनों देशों के बिगड़े हुए संबंधों में इससे सुधार होगा, यह उम्मीद व्यक्त की जा रही है। इसी बीच अब भारतीय सेनाप्रमुख जनरल नरवणे और नेपाल के प्रधानंमत्री ओली की भेंट होने जा रही है।

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