संरक्षण खर्च में बढ़ोत्तरी करने की जरूरत : संसदीय समिती की रिपोर्ट

नई दिल्ली, दि. १०: अगले आर्थिक साल तक किया गया २.८१ लांख करोड़ रुपये का रक्षाखर्च का प्रावधान अपर्याप्त है, ऐसा दोषारोपण संसदीय समिती ने किया है| साथ ही, संरक्षण दल के आधुनिकीकरण के लिए किये गये प्रावधान में अधिक बढ़ोत्तरी करने की जरूरत है, ऐसा संसदीय समिती ने अपने रिपोर्ट में कहा है|

रक्षाखर्च का प्रावधान

पिछले महीने में लोकसभा में अर्थसंकल्प प्रस्तुत किया गया था| इसमें रक्षाखर्च में छह प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर दी गई थी| लेकिन रक्षा संबंधित, संसद की स्थायी समिती ने, रक्षाखर्च के लिए किया यह प्रावधन अपर्याप्त है, ऐसा कहा है| पिछले कुछ सालों में, रक्षाखर्च में हर साल अधिक बढ़ोत्तरी हुई है| ऐसा होकर भी रक्षादलों की जरूरी सामग्री और ज़रूरते पूरी हुई नहीं हैं| इस कारण रक्षाखर्च में हुर्ई बढ़ोत्तरी काफ़ी नहीं है| वित्तमंत्रालय द्वारा रक्षादल के आधुनिकीकरण के लिए किये गये आर्थिक प्रावधानों पर पुनर्विचार करें और प्रावधान बढ़ायें, ऐसी सलाह संसदीय समिती ने दी है|

यह रिपोर्ट इससे पहले लोकसभा में रखी गयी है| लेकिन वित्तमंत्रालय द्वारा इसपर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गयी है, ऐसा संसदीय समिती के अध्यक्ष बी. सी. खांडूरी ने कहा है| सेना अभी भी बड़े पैमाने पर पुरानी संरक्षण सामग्री इस्तेमाल कर रही है| साथ ही, ज़रूरी हथियार और गस्तीयंत्रणा की कमी भी महसूस हो रही है, इसपर समिती ने चिंता ज़ाहिर की|

नौसेना को युद्धपोत, लड़ाकू विमान और हेलिकॉप्टर की भी बड़े पैमाने पर ज़रूरत है| इसके लिए बड़ा आर्थिक प्रावधान करने बेहद ज़रूरत है| नौसेना के सामने रहनेवालीं चुनौतियाँ और पड़ोसी देशों की नौसेनाओं का विस्तार देखते हुए भारतीय नौसेना को भी मज़बूत बनाने की ज़रूरत है| इस पृष्ठभूमि पर, नौसेना के लिए रहनेवाला प्रावधान का हिस्सा कम करना उचित नहीं है, ऐसा संसदीय समिती ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है|

रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो आर्थिक वर्षो में १०८ संरक्षण समझौते किये गये| इनमें कुल मिलाकर एक लाख १२ हज़ार ७३६ करोड़ रुपयें के व्यवहार शामिल थे| इनमें युद्धपोत, लड़ाकू विमान, रॉकेट्स और अन्य रक्षासंबंधित सामग्री भी शामिल है| इसके अलावा ‘डिफेंस ऍक्वझीशन समिती’ द्वारा कुल १४४ समझौतों को मंज़ुरी दी गई है| ये समझौते कुल दो लांख २५ हजार करोड़ रुपयों के हैं|

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