गलवान के संघर्ष के बाद नौसेना ने की तैनाती संदेश देनेवाली – रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग

कोची – ‘हालाँकि शांति अपेक्षित है, फिर भी हम किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए सिद्ध हैं, यह गलवान के संघर्ष के बाद भारतीय नौसेना ने सतर्कता से की तैनाती के द्वारा दिखा दिया’, ऐसा सूचक बयान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग ने किया। कोची में आयोजित नौसेना के कार्यक्रम में बात करते समय रक्षामंत्री ने अपने इन बयानों का विवरण नहीं दिया। ‘‘अगले साल स्वदेशी बनावट का ‘विक्रांत’ यह विमानवाहक युद्धपोत नौसेना के बेड़े में दाखिल होगा। इससे नौसेना की क्षमता का विस्तार और सामर्थ्य भारी मात्रा में बढ़नेवाला होकर, देश की आजादी के अमृत महोत्सवी वर्ष के लिए यह यथोचित अभिवादन साबित होगा’’, ऐसा रक्षा मंत्री ने कहा है। 

अगले दस से बारह सालों में भारतीय नौसेना को दुनिया में तीसरे नंबर पर ले जाने का ध्येय देश ने सामने रखना चाहिए, ऐसी महत्वाकांक्षा रक्षामंत्री ने ज़ाहिर की। कारवार में स्थित ‘प्रोजेक्ट सीबर्ड’ का मैंने मुआयना किया और यह भारत का सबसे बड़ा नौसेना अड्डा बनेगा। लेकिन यह केवल भारत में ही नहीं, बल्कि एशिया का सबसे बड़ा नौसेना अड्डा बनें, ऐसी अपनी इच्छा है ऐसा राजनाथ सिंग ने कहा। देश को मिली आजादी के ७५ साल अगले वर्ष पूरे हो रहे हैं। इसी वर्ष में स्वदेशी बनावट का विमानवाहक युद्धपोत विक्रांत का नौसेना में होनेवाला समावेश यानी आजादी के अमृत महोत्सवी वर्ष के लिए यथोचित अभिवादन साबित होता है। इस युद्धपोत की क्षमता, व्याप्ति और उसमें होनेवाली विविधता, इससे देश की रक्षाविषयक क्षमता अधिक ही तेज़ बनेगी। इस कारण सागरी क्षेत्र के देशों के हितसंबंध अधिक अच्छी तरह से सुरक्षित रखे जायेंगे, ऐसा विश्वास रक्षा मंत्री ने ज़ाहिर किया।

देश की माँग के अनुसार ४४ युद्धपोतों में से ४२ युद्धपोत देश में ही विकसित किए जा रहे हैं, इससे रक्षा क्षेत्र के आधुनिकीकरण को सरकार सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है, यह सिद्ध होता है। युद्धपोतों के निर्माण के लिए आवश्यक फौलाद, हथियार और सेंसर्स इनका ७५ प्रतिशत निर्माण देश में ही हो रहा है, इसपर भी रक्षा मंत्री ने गौर फरमाया। लेकिन कोची में किए इस भाषण में रक्षामंत्री ने गलवान के संघर्ष के बाद नौसेना ने की तैनाती का ज़िक्र करके चीन को कड़ी चेतावनी दी दिख रही है। गलवान वैली में चिनी लष्कर के साथ हुए संघर्ष में भारत के २० सैनिक शहीद हुए थे। उसके बाद भारतीय नौसेना ने ‘फॉरवर्ड डिप्लॉयमेंट’ यानी फ्रंट पर आकर की तैनाती, यह किसी भी चुनौती का सामना करने की तैयारी थी, इसका एहसास रक्षा मंत्री ने करा दिया। लेकिन उसका विवरण उन्होंने नहीं दिया था।

चीन की व्यापारी यातायात होनेवाली मलाक्का की खाड़ी पर भारत का नियंत्रण है। इस खाड़ी से होनेवाली चीन की व्यापारी यातायात भारतीय नौसेना कभी भी बंद करवा सकती है। इसका एहसास करा देनेवाली तैनाती भारतीय नौसेना ने क्या गलवान के संघर्ष के बाद की थी, ऐसा सवाल इससे उपस्थित हो रहा है। मई महीने में अमरिकी संसद के सामने हुई सुनवाई में ‘डिफेन्स इंटेलिजन्स एजन्सी’ के जनरल डायरेक्टर स्कॉट डी. बेरिअर ने भी, भारतीय नौसेना ने चीन के विरोध में की तैनाती की मिसाल दी थी। लद्दाख की एलएसी पर तनाव निर्माण होते समय, भारतीय नौसेना ने ईडन की खाड़ी तक चिनी युद्धपोतों का पीछा किया, ऐसी जानकारी जनरल डायरेक्टर स्कॉट बेरिअर ने दी थी। भारत की चीन विषयक नीति अब नर्म और उदार ना रही होकर, भारत चीन के विरोध में आक्रामक तैनाती कर रहा है, इसका एहसास लेफ्टनंट जनरल बेरिअर ने करा दिया था।

इस पृष्ठभूमि पर, रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने गलवान के संघर्ष के बाद नौसेना ने की तैनाती की चीन को फिर एक बार याद दिलाई दिख रही है। आनेवाले समय में भी भारत ऐसी कार्रवाई कर सकता है, ऐसा संदेश भारत के रक्षा मंत्री ने चीन को दिया होने का दावा रशियन न्यूज़ एजेंसी ने किया है।

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