नाटो पूर्व यूरोप में सेना संघर्ष इलाका तैयार कर रहा है- नाटो के रशियन दूतों का आरोप

मोस्को, दि. १६: ‘सितम्बर माह में रशिया की ओर से आयोजित होने वाले ‘झापड़-२०१७’ इस युद्धाभ्यास के बारे में कई गलतफैमियां फैलाई जा रहीं है, इस कारण को बताकर नाटो पूर्व यूरोप में बड़े पैमाने पर सेना तैनाती और गतिविधियों की योजना बना रहा है। यह योजना मतलब पूर्व यूरोप में सेना संघर्ष का इलाका बनाने जैसा है, ऐसा आरोप रशिया के नाटो के दूत अलेक्जेंडर ग्रुश्को ने किया है। जुलाई से नवम्बर की अवधि में नाटो की ओर से पूर्व यूरोपीय देशों में कई लश्करी और युद्धाभ्यास का आयोजन किया गया है और उसके लिए हजारो सैनिक, टैंक, लड़ाकू जहाज, मिसाइल यंत्रणाएं पूर्व यूरोपीय देशों में तैनात की गई हैं।

‘झापड़-२०१७’

जुलाई से नवम्बर की अवधि में नाटो ने पूर्व यूरोपीय देशों में लगभग १५ अलग अभ्यासों का आयोजन किया है। इसके लिए नाटो की ओर से बड़े पैमाने पर लश्करी गतिविधियाँ शुरू हैं। इन गतिविधियों का उद्द्येश्य रशियन सीमा के पास रक्षा सज्जता बढ़ाना है। नाटो की इस बढती लश्करी गतिविधियों की वजह से पूर्व यूरोप में लश्करी संघर्ष क्षेत्र तैयार हो रहे हैं। इस वजह से इस क्षेत्र की लश्करी स्थिरता खतरे में आने का इशारा नाटो के रशियन दूत ग्रुश्को ने दिया है।

कुछ दिनों पहले नाटो-रशिया कौंसिल की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक में रशिया ने अपने ‘झापड़ २०१७’ इस अभ्यास की और नाटो ने यूरोप के विविध अभ्यासों की जानकारी एक दुसरे को सौंपी। ग्रुश्को और नाटो के प्रमुख जेन्स स्टॉल्टनबर्ग ने इन ख़बरों की पुष्टि की है। लेकिन रशिया के ‘झापड़ २०१७’ के अभ्यास पर बारीक़ नजर रखने के संकेत भी दिए।

रशिया की ओर से बेलारूस के साथ ‘झापड़ २०१७’ का आयोजन किया गया है और यह अभ्यास सितम्बर माह में होने वाला है। इसमें लगभग एक लाख से अधिक सैनिक, सैंकड़ो टैंक, लड़ाकू हवाईजहाज और प्रगत मिसाइल शामिल होंगे। इस भव्यता की वजह से यूरोपीय देशों में चिंता का वातावरण निर्माण हुआ है और रशियन अभ्यास को प्रत्युत्तर देने की गतिविधियाँ शुरू हुई हैं। अभ्यास के माध्यम से रशिया पूर्व यूरोप में आक्रमण करेगा, इस तरह का डर और इशारा व्यक्त किया जा रहा है।

इस पृष्ठभूमि पर नाटो ने पूर्व यूरोप में बड़े पैमाने पर सेना की तैनाती शुरू की है और उसमे १० हजार से भी अधिक सैनिक और अमेरिका की मिसाइल भेदने वाली ‘पेट्रियट’ जैसी प्रगत यंत्रणाओं का समावेश है। रशियन सीमा से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर यह तैनाती होने के कारण रशिया इस पर तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहा है। ग्रुश्को ने किया आरोप भी इसीका ही एक हिस्सा है।

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