चीन को रोकने के लिए नाटो का विस्तार आवश्‍यक – नाटो के प्रमुख जेन्स स्टॉल्टनबर्ग

स्टुटगार्ट – चीन का उदय होने से वैश्विक सत्ता की होड़ का संतुलन बिगड़ने लगा है। चीन अपने आर्थिक और राजनीतिक ताकत का लाभ उठाकर अपने सहयोगी देशों पर एवं निजी कंपनियों पर भी दबाव बनाने के लिए आगे-पीछे नहीं सोचता। इन शब्दों में नाटो के प्रमुख जेन्स स्टॉल्टनबर्ग ने चीन के बढ़ते खतरे को लेकर इशारा दिया। चीन के इस खतरे को रोकने के लिए नाटो का विस्तार करने की आवश्‍यकता है और यूरोप के अलावा अन्य क्षेत्रों के समविचारी देशों से सहयोग बढ़ाना अहम साबित होगा, इस ओर नाटो के प्रमुख ने ध्यान आकर्षित किया। बीते महीने में अमरिकी वरिष्ठ अधिकारियों ने चीन को रोकने के लिए इंडो-पैसिफिक में नाटो की धर्ती पर लष्करी गठबंधन गठित करने के संकेत दिए थे। इस पृष्ठभूमि पर नाटो के प्रमुख का यह बयान अहम साबित होता है।

china-natoसेंटर फॉर यूरोपियन पॉलिसी ऐनालिसिस नामक अभ्यासगुट ने आयोजित किए हुए एक कार्यक्रम में नाटो के प्रमुख ने चीन के मुद्दे पर नाटो की भूमिका रखी। नाटो का राजनीतिक नज़रिए से अधिक प्रभावी इस्तेमाल करके स्पष्ट और एकसाथ राजनयिक संदेश देना उपयुक्त साबित हो सकता है। वैश्विक स्तर पर आधे से अधिक आर्थिक एवं लष्करी ताकत नाटो सदस्य देशों के हाथ में है। इसी कारण नाटो से दिया जा रहा संदेश असरदार और अहम साबित होता है, इन शब्दों में स्टॉल्टनबर्ग ने चीन के खिलाफ़ नाटो का मोर्चा निर्णायक साबित हो सकता है, इस बात का अहसास कराया।

इस दौरान नाटो के प्रमुख ने चीन को रोकने के लिए संगठन का विस्तार करने की आवश्‍यकता भी बयान की। नाटो ने अब यूरोप के बाहर निकलकर अन्य क्षेत्रों में समविचारी साझेदार देशों के साथ सहयोग बढ़ाना चाहिए, यह बात स्टॉल्टनबर्ग ने रखी। भविष्य के खतरों की पहचान करके इससे मुकाबला करने के लिए नाटो ने तैयार किए ‘नाटो २०३० इनिशिएटिव’ की जानकारी साझा करते समय उन्होंने चीन का भी ज़िक्र किया। विश्‍व में रक्षा पर सबसे अधिक खर्च कर रहे देशों में चीन दूसरे स्थान पर होने की बात पर ध्यान आकर्षित करके नाटो ने चीन को लेकर पुख्ता दृष्टीकोन रखना होगा, यह बात भी कही।

china-natoदूसरे विश्‍वयुद्ध के बाद गठित हुआ नाटो नामक लष्करी संगठन में अमरीका, कनाड़ा, तुर्की के अलावा २७ यूरोपिय देशों का समावेश है। बीते कुछ वर्षों में अमरीका ने नाटो के अन्य सदस्य देशों को रक्षा खर्च के मुद्दे पर किनारे पकड़ने के साथ ही नाटो के विस्तार का प्रस्ताव भी रखा था। अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने खाड़ी क्षेत्र के देशों का समावेश होनेवाले नाटो के भी संकेत दिए थे। इस पृष्ठभूमि पर अब नाटो प्रमुख ने चीन का ज़िक्र करके विस्तार से संबंधित बयान करना ध्यान आकर्षित करता है।

अमरीका ने बीते कुछ महीनों में चीन के खिलाफ़ जारी संघर्ष की तीव्रता बढ़ाई है और वैश्विक स्तर पर व्यापक मोर्चा गठित करने की दिशा में भी गतिविधियां जारी रखी हैं। नाटो ने इसमें सक्रिय भूमिका निभाई तो अमरीका का चीन के खिलाफ़ बना मोर्चा अधिक मज़बूत होगा, यह बात समझी जा रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.