चीन के दमनतंत्र की पृष्ठभूमि पर, हाँगकाँग की जनता को ब्रिटन की नागरिकता देने की गतिविधियाँ

लंडन, (वृत्तसंस्था) – चीन की शासक कम्युनिस्ट हुकूमत ने हाँगकाँग पर कब्ज़ा करने के लिए शुरू की हुई कोशिश और दमनतंत्र की पृष्ठभूमि पर, ब्रिटन की सरकार ने हाँगकाँग के नागरिकों को ब्रिटीश नागरिकता देने की दिशा में गतिविधियाँ शुरू की हैं। ब्रिटन के प्रधानमंत्री बोरीस जॉन्सन ने, एक बैठक के दौरान सांसदों को इससे संबंधित जानकारी प्रदान करने की ख़बर ब्रिटिश समाचार पत्र ने जारी की हैं। इससे पहले ब्रिटन ने युगांडा स्थित एशियाई नागरिकों को तथा झिम्बाब्वे के श्‍वेतवर्णीय नागरिकों को नागरिकता प्रदान की थी।

पिछले हफ्ते में चीन की संसद में हाँगकाँग के लिए ‘नैशनल सिक्युरिटी लॉ’ नाम का विधेयक पेश किया गया था। चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हाँगकाँग की कानून एवं सुव्यवस्था संभाल रहीं यंत्रणा को अधिक मज़बूत करना ज़रूरी है, ऐसा बताकर इस विधेयक का समर्थन किया गया था। इस विधेयक में चीन की सुरक्षा यंत्रणाओं को, हाँगकाँग में कार्रवाई की अधिकृत अनुमति प्रदान की गई है। इस विधेयक के विरोध में हाँगकाँग की जनता ने फिर से व्यापक प्रदर्शन शुरू किए हैं।

रविवार से शुरू हुए इन प्रदर्शनों के विरोध में स्थानिय सुरक्षा यंत्रणाओं ने आक्रामक भूमिका अपनाई होकर, टीअर गैस और लाठी चार्ज का प्रयोग करके कार्रवाई की। साथ ही पिछले २४ घंटों में करीबन २०० प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है। हाँगकाँग में चीन के विरोध में नया प्रदर्शन भड़क रहा है और तभी आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी चीन के विरोध में गतिविधियाँ तेज़ हुई हैं। अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओब्रायन ने, हाँगकाँग को प्रदान किया हुआ ‘स्पेशल स्टेटस्‌’ रद करने की और चीन समेत हाँगकाँग पर भी प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी है।

दो दशक पहले हाँगकाँग को चीन के कब्ज़े में देनेवाले ब्रिटन में भी, चीन के विरोध में अब सुर और भी आक्रामक होने लगा है। हाँगकाँग के आख़िरी ब्रिटिश गव्हर्नर रहें लॉर्ड क्रिस पैटन ने, ब्रिटन की सरकार अब हाँगकाँग में खुलेआम हस्तक्षेप करें, यह सलाह प्रदान की है। ब्रिटन में करीबन २०० सियासी नेता, अफ़सर और मानव अधिकार कार्यकर्ताओं ने एक पत्र के ज़रिये, सरकार चीन के विरोध में कार्रवाई करें, यह माँग भी की थी। इसी पृष्ठभूमि पर, ब्रिटन में ‘संडे एक्सप्रेस’ इस समाचार पत्र ने प्रधानमंत्री बोरीस जॉन्सन की योजना से संबंधित जानकारी देनेवाली ख़बर जारी की है।

कुछ महीने पहले प्रधानमंत्री के निवास स्थान पर हुई एक बैठक में जॉन्सन ने, हाँगकाँग के नागरिकों को ब्रिटिश नागरिकता देने से संबंधित योजना की जानकारी प्रदान की थी। हाँगकाँग की जनसंख्या ७५ लाख है और इनमें से तीन लाख से भी अधिक नागरिक ब्रिटीश पासपोर्ट रखते हैं। प्रधानमंत्री जॉन्सन की योजना में हालाँकि यह ज़िक्र नहीं है कि इनमें से निश्चित रूप से किसको ब्रिटन की नागरिकता देनी हैं, लेकिन ब्रिटन एवं हाँगकाँग के गुटों ने भी यह माँग की थी कि सभी लोगों को ही ब्रिटन की नागरिकता प्रदान करें।

सन १९७२ में अफ्रीका के युगांडा का तानाशाह इदी अमीन ने अपने देश से ६० हज़ार से भी अधिक एशियाई नागरिकों को निकाल बाहर किया था। इन एशियाई नागरिकों को ब्रिटन ने पनाह देकर नागरिकता प्रदान की थी। इसके बाद सन १९८०-९० के दशक में, ब्रिटन ने झिम्बाब्वे के हज़ारों श्‍वेतवर्णीय नागरिकों को अपनी नागरिकता प्रदान की थी।

हाँगकाँग किसी समय ब्रिटन की कॉलनी थी और चीन के साथ हुए समझौते के अनुसार सन १९९७ में हाँगकाँग चीन के कब्ज़े में दिया गया था। लेकिन चीन के हाथ में हाँगकाँग का कब्ज़ा देते समय, ब्रिटन की सरकार ने चीन के साथ कुछ अहम समझौते किए थे। इन समझौतों के अनुसार, हाँगकाँग का प्रशासन चीन की ‘वन कंट्री टू सिस्टिम’ इस नीति के अनुसार चलाया जानेवाला था। इसके साथ ही ५० वर्ष तक हाँगकाँग की स्वायत्तता बरकरार रहेगी, इसका ख़याल भी इस समझौते के अनुसार रखा गया है।

लेकिन, पिछले कुछ वर्षों में चीन की शासक कम्युनिस्ट हुकूमत द्वारा, हाँगकाँग में प्रशासन की व्यवस्था में बदलाव करने के लिए गतिविधियाँ जारी हैं। हाँगकाँग पर पूरी तरह नियंत्रण प्राप्त करने के लिए चीन के शासकों ने सन २००३, २०१४ और २०१९ में अलग अलग विधेयक पेश किए थे। सन २०१४ में चीन के शासकों ने, हाँगकाँग पर दबाव बनाने एवं अपना विधेयक थोंपने में कामयाबी प्राप्त की थी।

लेकिन, पिछले वर्ष हाँगकाँग की जनता ने चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत को कड़ी चुनौती देकर पीछे हटने के लिए मज़बूर किया था। इस कारण भड़की हुई चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने, राष्ट्रीय सुरक्षा विधेयक पेश करके हाँगकाँग पर अपनी पकड़ अधिक मज़बूत करने की कोशिशें शुरू की हैं।

लेकिन, कोरोना की महामारी की पृष्ठभूमि पर, चीन के विरोध में खड़ा हुआ आंतर्राष्ट्रीय समुदाय भी अब अधिक आक्रामक हुआ है। अमरीका और ब्रिटन जैसें देश हाँगकाँग के मुद्दे पर चीन के विरोध में निर्णायक कार्रवाई करने की तैयारी कर रहे हैं। ब्रिटन ने नागरिकता देने के मुद्दे पर शुरू की हुईं गतिविधियाँ यही संकेत देनेवालीं साबित हो रही हैं। चीन के शासकों ने हाँगकाँग के मुद्दे पर विदेशी हस्तक्षेप के विरोध में धमकाना शुरू किया हैं; ऐसे में भी, ब्रिटन में इस प्रकार कीं गतिविधियाँ शुरू होना ग़ौरतलब साबित होता है।

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