यूरोप के ५० प्रतिशत से अधिक छोटे और मध्यम उद्योग बंद पड़ेंगे – सलाहकार कंपनी ‘मैकेन्ज़ी’ का इशारा

corona-europeन्यूयॉर्क – यूरोप में कोरोना की दूसरी लहर टकराई है। ऐसे में अब यूरोपिय देशों में हज़ारों कंपनियां बंद पड़ेंगी, यह इशारा वैश्विक सलाहकार कंपनी ने दिया है। ‘मैकेन्ज़ी’ नामक इस कंपनी ने अगस्त में दो हज़ारों से अधिक छोटी और मध्यम (एसएमई) कंपनियों का सर्वेक्षण करके जारी की गई रपट में यह इशारा दिया है। छोटी और मध्यम कंपनियों में से १० प्रतिशत कंपनियों का अगले छह महीनों में दिवाला निकलेगा, यह ड़र भी इस रपट में व्यक्त किया गया है। यूरोप के कुल रोज़गार में से दो तिहाई रोज़गार ‘एसएमई’ क्षेत्र पर निर्भर होने से बेरोज़गारी में भी काफी बढ़ोतरी होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

यूरोप में तकरीबन ८१ लाख से अधिक लोग कोरोना संक्रमित हैं और तकरीबन ढ़ाई लाख संक्रमितों की मृत्यु हुई है। यूरोप के ब्रिटेन, फ्रान्स, जर्मनी, इटली एवं स्पेन में इस महामारी ने कोहराम मचाया है। इस महामारी का आर्थिक असर भी सामने आने लगा है और विश्‍व के अधिकांश प्रमुख गुट एवं संस्थाओं ने यूरोप को आर्थिक मंदी का जोरदार झटका लगेगा, यह अंदाज़ा व्यक्त किया है। इस महीने के शुरू में ही यूरोप के प्रमुख देश जर्मनी के वरिष्ठ अधिकारियों ने यूरोपिय अर्थव्यवस्था को जोरदार झटका लगेगा, यह इशारा दिया था।

corona-europeबीते कुछ दिनों में यूरोपिय देशों में कोरोना का प्रभाव दुबारा बढ़ रहा है, यह जानकारी सामने आ रही है। कुछ देशों ने दूसरे लॉकडाउन के संकेत दिए हैं। इस पृष्ठभूमि पर मैकेन्ज़ी ने दिया इशारा यूरोप में नया आर्थिक संकट टकराने के आसार जतानेवाला साबित हो रहा है। मैकेन्ज़ी ने अगस्त में यूरोप के प्रमुख देशों में २,२०० से अधिक छोटी और मध्यम कंपनियों का सर्वेक्षण किया। इनमें से लगभग ५५ प्रतिशत कंपनियों ने अगले साल तक कारोबार बंद करने की मजबूरी होगी, यह चिंता व्यक्त की। सिर्फ स्पेन में फ़रवरी से अगस्त के दौरान लगभग ८५ हज़ार छोटी और मध्यम आकार के उद्योग बंद पड़े हैं।

यूरोप में लगभग ९ करोड़ से अधिक रोज़गार ‘एसएमई’ क्षेत्र पर निभर हैं। यह बात ध्यान में रखें तो ५० प्रतिशत से अधिक कंपनियां दिवालिया हुईं तो उसी मात्रा में या उससे अधिक लोग रोज़गार खो सकते हैं। इस वजह से यूरोप में बेरोज़गार का मुद्दा अधिक ड़रावना हो सकता है। इससे यूरोप में आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक परिणाम हो सकते हैं, यह दावा विश्‍लेषक कर रहे हैं।

corona-europeकुछ महीने पहले कोरोना की वजह से आए आर्थिक संकट से यूरोप को बाहर निकालने के लिए ७५० अरब यूरो के ‘रिकवरी प्लैन’ का ऐलान किया गया था। यूरोपियन कमिशन ने किया यह ऐलान यूरोप के इतिहास में सबसे बड़ा आर्थिक पैकेज समझा जा रहा है। ‘नेक्स्ट जनरेशन ईयू’ इस नाम से यूरोपिय कमिशन ने इस पैकेज का ऐलान किया और इसके तहत ५०० अरब यूरो का अनुदान और २५० अरब यूरो का कर्ज प्रदान होना था। इसके अलावा अलग अलग देशों ने स्थानिय स्तर पर अलग अलग सहुलियतें और अनुदान प्रदान करने की योजनाओं का ऐलान किया। फिलहाल काम कर रहे कई इसी सहायता पर ड़टे हुए हैं। लेकिन, इसका अवधि खत्म होने पर क्या करे, यह सवाल इन उद्योगों के सामने है, इसका अहसास इस रपट ने कराया गया है। इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने भी इशारा देकर उद्योग क्षेत्र को प्रदान की हुई आर्थिक सहायता और सहुलियत तुरंत ना बंद करें, यह इशारा दिया है।

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