लष्करी अधिकारीयों की परिषद में सुरक्षा विषयक चुनौतियों पर चर्चा

नई दिल्ली: भारतीय लष्कर के वरिष्ठ अधिकारियों की परिषद में पाकिस्तान और चीन की सीमारेखा पर देश की सुरक्षा को मिल रही चुनौतियों पर चर्चा हुई है। इस चर्चा में जम्मू-कश्मीर के गुमराह युवाओं को राष्ट्रीय प्रवाह में लेन की कोशिश करने की सिफारिश की गई है। उसी समय लष्कर के आधुनिकीकरण के लिए तेजी से कदम उठाने चाहिए, इस बात को लष्करी अधिकारियों ने परिषद में अधोरेखित किया है।

भारतीय लष्कर,  परिषद, वरिष्ठ अधिकारियों, पाकिस्तान, चीन, सुरक्षा विषयक चुनौतियों, चर्चा, भारत, जम्मू-कश्मीरपिछले महीने में भारतीय लष्कर के वरिष्ठ अधिकारियों ने चीन और पाकिस्तानी लष्कर की तरफ से चल रही गतिविधियों पर चिंता व्यक्त की थी। भारत के यह दोनों पडौसी देश अपने लष्कर का आधुनिकीकरण और अद्यावतिकरण के लिए तेजी से कदम उठा रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में भारतीय लष्कर को आधुनिकीकरण और रक्षा विषयक आवश्यक सामग्री की खरीदारी के लिए बहुत बड़ा विलंब हो रहा है। इस वजह से अगर एक ही समय देश की दोनों सीमाओं पर संघर्ष करना पड़ा तो लष्कर को चुनौतियों का सामना करना कठिन हो जाएगा, ऐसा इशारा भारतीय लष्कर की तरफ से दिया गया था। इस पृष्ठभूमि पर, सोमवार से शुरू हुई लष्करी अधिकारियों की बैठक का महत्व है।

इस परिषद में लष्कर प्रमुख बिपिन रावत ने युद्ध सज्जता बढ़ने के महत्व को अधोरेखित किया है और इसके लिए सबको उचित दिशा में कोशिश करने की आवश्यकता को स्पष्ट किया है।

उसी समय देश की सुरक्षा को मिल रही चुनौतियों का सामना करने के लिए लष्कर उचित दिशा में तैयारी कर रहा है, ऐसा कहकर लष्कर प्रमुख बिपिन रावत ने इसपर समाधान व्यक्त किया है। इसके बाद सदर परिषद में सुरक्षा सन्दर्भ के अन्य विषय और चुनौतियों पर सखोल चर्चा हुई। इस दौरान लष्करी अधिकारियों ने जम्मू-कश्मीर में बढ़ रहे कट्टरवाद का सामना करने के लिए महत्वपूर्ण मुद्दे रखे। इस राज्य के बहके युवाओं को राष्ट्रीय मुख्य धारा में लाने के लिए कोशिश होनी चाहिए, ऐसी सिफारिश इन अधिकारियों ने की है।

उसीके साथ ही जम्मू-कश्मीर की नियंत्रण रेखा पर बढ़ रहे संघर्षबंदी के उल्लंघन की भी इस परिषद में गंभीर दखल ली गई है। पाकिस्तान लगातार नियंत्रण रेखा पर संघर्षबंदी का उल्लंघन करके भारत को उकसा रहा है। इसे प्रत्युत्तर देने के लिए अधिक प्रभावी यंत्रणा कार्यान्वित करने की आवश्यकता है, ऐसा लष्करी अधिकारियों ने कहा है। दौरान, शनिवार को इस परिषद का समापन होने वाला है। इस दिन चीन को लगकर सीमा रेखा पर देश की सुरक्षा को मिलने वाली चुनौती पर सखोल चर्चा होने वाली है, ऐसा कहा जा रहा है।

‘डोकलाम’ में भारत और चीन की सेना एकदूसरे के सामने खड़ी होने के बाद, दोनों देशों के बीच संघर्ष की संभावना बढ़ने का दावा किया जा रहा है। ऐसी परिस्थिति में पूर्व सीमा की अपनी रक्षा सिद्धता को बढाने की तरफ लष्कर ने अपना ध्यान केन्द्रित किया है।इसके लिए बुनियादी ढांचे के विकास की योजना शुरू की जा रही है और इसमें से कुछ योजनाओं को तेजी से आगे ले जाया जा रहा है।

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