रशिया और पाकिस्तान के बीच लष्करी सहकार्य अनुबंध

इस्लामाबाद/मॉस्को: भारत की अमरिका के साथ नजदीकियों की वजह से नाराज हुए रशिया ने पाकिस्तान के साथ संबंध बढाने की शुरुआत की है। रशिया और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए ऐतिहासिक लष्करी सहकार्य अनुबंध इसीका ही हिसा है, ऐसा कहा जा रहा है। इस अनुबंध के अनुसार रशिया के मिलिट्री ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट में पाकिस्तानी लष्कर को प्रशिक्षण दिया जाने वाला है। उसी समय पाकिस्तान को रशियन लड़ाकू विमानों की बिक्री करने के बारे में प्रस्ताव आने के संकेत भी रशियन सूत्रों ने दिए हैं।

पाकिस्तान के रावलपिंडी में ‘रशिया-पाकिस्तान जॉइंट मिलिट्री कंसल्टेटिव कमिटी’ (जेएमसीसी) की बैठक पूरी हुई है। इस बैठक के लिए रशिया के उपविदेश मंत्री कर्नल जनरल अलेक्झांडर फोमिन प्रतिनिधि मंडल के साथ उपस्थित थे। दो दिनों की बैठक पूरी होने के बाद रशिया और पाकिस्तान के बीच लष्करी सहकार्य अनुबंध हुआ है। साथ ही दोनों देशों के लष्कर के बीच द्विपक्षीय सहकार्य पर चर्चा भी पूरी हुई है।

रशिया, पाकिस्तान, लष्करी सहकार्य, अनुबंध, मिलिट्री ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट, भारतसन २०१४ से रशिया और पाकिस्तान की सुरक्षा विषयक भागीदारी बढ़ रही है। सन २०१४ में हुए रक्षा सहकार्य के अनुबंध के अनुसार रशिया ने पाकिस्तान को चार ‘एमआई-३५ एम’ यह लड़ाकू हेलिकॉप्टर्स दिए थे। साथ ही दोनों देशों ने आतंकवाद विरोधी अभ्यास भी किया था। हाल ही में अरबी समुद्र में रशिया और पाकिस्तान के नौसेना का अभ्यास पूरा हुआ है। रशिया के नौसेना दिन की परेड में पाकिस्तानी युद्धपोत भी शामिल हुए थे।

दौरान, रशिया और पाकिस्तान के इस लष्करी सहकार्य अनुबंध पर भारत के विदेश मंत्रालय ने सतर्क प्रतिक्रिया दी है। ‘हमारा रशिया के साथ विशेष रिश्ता है। रशिया भारत का सामरिक भागीदार देश है। दोनों देशों के संबंध सामान विश्वास, हितसंबंध और संवेदनशीलता पर आधारित हैं’, ऐसा विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रविश कुमार ने कहा है। ऐसा होते हुए भी इसके पहले रशिया ने पाकिस्तान को किए लष्करी सहकार्य पर भारत ने नाराजगी व्यक्त की है।

कुछ हफ़्तों पहले अमरिका ने भारत को रशिया की तरफ से ‘एस-४००’ हवाई सुरक्षा यंत्रणा न खरीदने का आवाहन किया था। भारत ने अमरिका की इस माँग को ख़ारिज किया, तो प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है, ऐसी चेतावनी अमरिका के वरिष्ठ अधिकारी ने दी थी। लेकिन कुछ भी हो जाए भारत रशिया की तरफ से ‘एस-४००’ खरीने वाला ही है, ऐसा भारत की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारामन ने घोषित किया था। इस वजह से अमरिका के साथ संबंध विकसित करते समय, भारत रशिया के साथ अपने पारंपरिक मैत्रीपूर्ण संबंध तोड़ने के लिए तैयार नहीं है, इस बात को स्पष्ट किया था। इस पृष्ठभूमि पर, रशिया पाकिस्तान के साथ बढ़ा रहा रक्षा विषयक सहकार्य नजर में आने वाला है।

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