निर्वासितों के मुद्दे को लेकर ब्रिटन युरोपीय महासंघ से निर्गमन कर सकता है, प्रधानमंत्री डेव्हिड कॅमेरॉन

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युरोपीय महासंघ में से निर्गमन करने के लिए सार्वमत की तैयारी करनेवाले ब्रिटन ने, निर्वासितों का मुद्दा एक्झिट का कारण बन सकता है, ऐसी चेतावनी दी। महासंघ में सुधार लाने की माँग यदि पूरी नहीं की गयी, तो हम महासंघ से निर्गमन कर सकते हैं, ऐसी संभावना ब्रिटन के प्रधानमंत्री डेव्हिड कॅमेरॉन ने गत महीने ही ज़ाहिर की थी। इस समय निर्वासितों के मुद्दे को लेकर बाहर हो जाने की चेतावनी देकर, ब्रिटन महासंघ पर का दबाव बढाने की कोशिश करता हुआ दिखायी दे रहा है।

नज़दीकी भविष्य का विचार करते समय, युरोझोन और निर्वासितों की समस्या हमारे सामने उलझनें पैदा कर रही है ऐसी ब्रिटिश नागरिकों की मानसिकता है। इसलिये वे महासंघ में से बाहर निकलने के पक्ष में मत दे सकते हैं। महासंघ में से बाहर निकलने की भावना यह विद्यमान हालातों पर की प्रतिक्रिया हो सकती है, इन शब्दों में प्रधानमंत्री कॅमेरॉन ने यह स्पष्ट किया कि ब्रिटन महासंघ में से बाहर निकलने की भूमिका में है।

युरोपीय महासंघ के सामने रहनेवाली निर्वासितों की समस्या ने गंभीर रूप धारण किया है और इस मुद्दे को लेकर सदस्य देशों में खुलेआम दरार पडी हुई दिखायी दे रही है। जर्मनी, फ्रान्स के साथ अन्य कुछ देश निर्वासितों को आश्रय देने के पक्ष मे है; वहीं, पूर्वी युरोप एवं बाल्कन देशों ने इसका तीव्र विरोध शुरू किया है। ब्रिटन ने भी निर्वासितों के मुद्दे पर, महासंघ के रवैये की स्वीकृति करने से इन्कार किया है।

निर्वासितों की समस्या से पहले भी ब्रिटन ने, युरोप में आनेवाले स्थानान्तरितों के मुद्दे को लेकर सुधारों की माँग की थी। लेकिन महासंघ ने इस माँग को स्पष्ट रूप में ख़ारिज कर दिया था। अतः स्थानान्तरितों के मुद्दे को लेकर महासंघ के ब्रिटन के साथ पहले से ही मतभेद रहे हैं और इस निर्वासितों की समस्या के कारण उनपर फिर से चर्चा शुरू हुई दिखायी दे रही है।

ब्रिटन ने महासंघ में सुधार लाने की अपनी माँग को ढाल बनाकर सन २०१७ में देश में सार्वमत लेने का इरादा घोषित किया है।

निर्वासितों को रोखने के लिए अतिरिक्त बल तैनात करने का प्रस्ताव

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जर्मनी एवं फ्रान्स ने, युरोप में दाखिल होनेवाले निर्वासितों को रोखने के लिए नये ‘रॅपिड रिस्पॉन्स बॉर्डर कन्ट्रोल फोर्स’ का प्रस्ताव सामने रखा है। महासंघ के जिन देशों को, निर्वासितों को रोकने में दिक्कतें आ रही हैं, उन देशों में यह बल फ़ौरन तैनात किया जाएगा, ऐसा यह प्रस्ताव है। फिलहाल विभिन्न युरोपीय देशों ने निर्वासितों पर पाबंदियाँ लगाना शुरू कर दिया है, इस कारण ग्रीस जैसे देश में निर्वासितों का ताँता लगा है।

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