भारत और अमरीका ने अंडमान-निकोबार युद्धाभ्यास से चीन को दिया सामरिक संदेश

नई दिल्ली – हिंद महासागर में दाखिल हुआ अमरीका का विमानवाहक युद्धपोत ‘युएसएस निमित्झ’ अंडमान-निकोबार में भारतीय नौसेना के साथ युद्धाभ्यास में सहभागी हुआ। ‘युएसएस निमित्झ’ का सहभाग होने वाले भारत और अमरीका के इस युद्धाभ्यास से चीन को बड़ा सामरिक संदेश दिया होने का विश्लेषकों का कहना है। शनिवार को ‘युएसएस निमित्झ’ मलक्का की खाड़ी से हिंद महासागर में दाखिल हुआ था। वहीं, सोमवार को भारत और अमरीका में ‘पासएक्स’ नाम का युद्धाभ्यास शुरू हुआ।

अंडमान-निकोबार युद्धाभ्यास

गलवान वैली के संघर्ष के बाद भारत ने चीन के मामले में आक्रामक नीति अपनाई है। भारतीय लष्कर और वायु सेना ने चीन सीमा पर की तैनाती में काफी बढ़ोतरी की है। उसी समय भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर में तैनाती बढ़ाई है। मलक्का की खाड़ी में और अंडमान निकोबार क्षेत्र में भारतीय नौसेना ने युद्धपोतों की तैनाती बढ़ाई होने की खबरें आ रही हैं। मलाका की ख़ाड़ी में से ही चीन का अधिकांश व्यापार चलता है और ईंधन की आयात होती है। इस कारण, युद्ध के हालातों में यदि यह मार्ग बंद पड़ गया, तो चीन की आर्थिक घेराबंदी हो सकती है। ऐसी स्थिति में, इस क्षेत्र में भारतीय नौसेना की गतिविधियाँ चीन पर दबाव बढ़ाने वाली साबित हो रही हैं।

पिछले ही महीने जापान के साथ भारतीय नौसेना ने अंडमान-निकोबार के पास युद्धाभ्यास किया था। उसके बाद अब भारत और अमरीका के बीच इसी क्षेत्र में युद्धाभ्यास हो रहा है। मलाबार युद्धाभ्यास में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को भी सहभागी कर लेने का तय किया होने की खबरें आई थीं। इससे ‘क्वाड़’ देशों का सहयोग अधिक मजबूत एवं व्यापक बना दिखाई दे रहा है।

अंडमान-निकोबार युद्धाभ्यास

भारत अंडमान-निकोबार ये द्वीप मित्रदेशों के लिए खुले करें और चीन की पनडुब्बियों की हिंद महासागर में चलनेवाली आवाजाही रोकने के लिए अमरीका, जापान, ऑस्ट्रेलिया इन मित्रदेशों के साथ सहयोग बढ़ाएँ, ऐसा चीनविषयक अभ्यासकों का कहना है। साथ ही, हिंद महासागर में चीन को रोकने के लिए भारत और अमरीका ने व्यापक योजना बनानी चाहिए, ऐसा भी कुछ विश्लेषक बता रहे हैं। ‘साउथ चाइना सी’ के बाद हिंद महासागर क्षेत्र यह जागतिक गतिविधियों का केंद्र बनता चला जा रहा है, ऐसा दावा भी कुछ विश्लेषकों द्वारा किया जाता है।

भारत का अंडमान-निकोबार क्षेत्र यह मलाक्का के मुख के पास है। इस व्यापारी मार्ग पर भारत का प्रभाव चीन को पहले से ही चुभता आया है। इस कारण, इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए, पिछले कुछ सालों से चीन लगातार कोशिश करता रहा है। इस पृष्ठभूमि पर, अंडमान-निकोबार द्वीपों के पास भारत और अमरीका के बीच शुरू हुए युद्धाभ्यास का महत्व बढ़ता है। पिछले कुछ दिनों से ‘यूएसएस निमित्झ’ साउथ चाइना सी में तैनात था। वहाँ से यह युद्धपोत मलक्का की खाड़ी के जरिए हिंद महासागर में दाखिल हुआ। उसके बाद वह अंडमान-निकोबार के युद्धाभ्यास में सहभागी हुआ है। इसमें चीन के लिए सामरिक संदेश छिपा होने के दावे किए जा रहे हैं।

भारतीय नौसेना ने दो ही दिन पहले इस इलाक़े में अपना युद्धाभ्यास शुरू किया था। इसमें मलक्का में तैनात युद्धपोत भी सहभागी हुए थे। इसी क्षेत्र में भारत के तीनों रक्षा दलों की एकमात्र थिएटर कमांड है। इससे इस भाग का सामरिक महत्व रेखांकित होता है। इसी इलाके में ‘युएसएस निमित्झ’ के साथ अमरीका और भारतीय नौसेना के बीच शुरू हुआ युद्धाभ्यास, दोनों देशों के संबंध अधिक व्यापक बने होने की बात रेखांकित करता है। साथ ही, चीन के लिए भी यह कड़ी चेतावनी है, ऐसा विश्लेषकों का कहना है।

लद्दाख के संघर्ष के बाद अमरीका, भारत के समर्थन में डटकर खड़ी होने के संकेत बार-बार दे रही है। उसी समय, चीन के साथ सीमा विवाद होने वाले हर एक देश के पीछे वह खड़ी रहेगी, ऐसा संदेश भी अमरीका ने दिया था। दो ही दिन पहले भारत ने, ‘साउथ चाइना सी’ पर किसी एक का अधिकार नहीं है, यह स्पष्ट रूप में बताया था। इससे भारत इंडो-पैसिफिक के संदर्भ में अपनी नीति अधिक ही व्यापक बना रहा है, यह स्पष्ट होता है।

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