युरोप के लिए जर्मन चॅन्सेलर मर्केल यह आयएस से बड़ा ख़तरा, पश्‍चिमी विश्‍लेषकों की आलोचना

वॉर्सा, दि. ३ (वृत्तसंस्था) –  जर्मनी में निर्वासितों को खुला द्वार देनेवालीं जर्मनी की चॅन्सेलर अँजेला मर्केल के खिलाफ़ देश में पैदा हुए असंतोष ने गंभीर रूप धारण किया है| अब युरोपीय तथा अमरिकी विश्‍लेषकों द्वारा भी मर्केल की तीव्र आलोचना शुरु हो गयी है| अमरीका के स्टॅन्फोर्ड विश्‍वविद्यालय के प्राध्यापक फ्रान्सिस फुकुयामा ने, मर्केल की संभावना करते हुए, वे ‘आयएस’ से भी बड़ा ख़तरा होने की टिप्पणी की| पोलंड की जाँच एजन्सी के पूर्व अधिकारी जेसेज व्रॉना तथा सैनिकी इतिहास के अभ्यासक डॉ. रफाल बर्झेस्की ने भी चेतावनी दी है कि चॅन्सेलर मर्केल की नीति के गंभीर परिणाम, जर्मनी और युरोपीय देशों को भुगतने पड़ेंगे|

मर्केल१८ जुलाई से २६ जुलाई के बीच जर्मनी में पाँच जगहों पर हुए हमलों में १५ लोगों की मौत हुई थी| इनमें से दो आतंकवादी हमलों में ‘आयएस’ का हाथ होने की बात सामने आयी थी| इससे जर्मन जनता में काफी रोष निर्माण हुआ है और साथ ही, जर्मनी में आलोचना शुरु हुई है कि मर्केल द्वारा निर्वासितों के मामले में अपनायी गयी उदार नीति की वजह से ये आतंकवादी हमले बढ रहे हैं| जर्मनी में कई जगहों पर मर्केल के खिलाफ़ प्रदर्शन शुरु हुए हैं और उनमें ‘मर्केल मस्ट गो’ के नारे लगाये जा रहे हैं| मर्केल ने अपने वक्तव्य में, आतंकवादी हमलों के खिलाफ़ कड़ी कार्रवाई करने का आश्‍वासन दिया है| यह आश्‍वासन जर्मन जनता का रोष कम करने के लिए की गयी कोशिश मानी जाती है| लेकिन उन्होंने, निर्वासितों के प्रति अपनायी नीति ना बदलने की बात करते हुए, ‘उनका स्वागत ही होगा’ ऐसे संकेत दिये हैं|

Merkel-695927जर्मनी के साथ ही, युरोपीय देश तथा अमरिकी विश्‍लेषकों ने भी इसकी तीखी आलोचना की है| जर्मनी का प्रसिद्ध अख़बार ‘डि वेल्ट’ को दिये इंटरव्यू में, अमेरीका के स्टॅन्फोर्ड विश्‍वविद्यालय के प्राध्यापक तथा राजनीति के अभ्यासक फ्रान्सिस फुकूयामा ने कहा कि युरोप के लिए मर्केल ‘आयएस’ से भी बड़ा ख़तरा है| उन्होंने आगे बताया कि ‘चरमपंथी विचारधारा का समर्थन करनेवाले लोग संख्या में अधिक नहीं हैं| लेकिन ऐसे लोगों की वजह से जनतंत्र को गंभीर ख़तरा हो सकता है| जर्मनी जैसे देश को युरोप की स्थिरता और संपन्नता के लिए प्रयास करने चाहिए| लेकिन चॅन्सेलर मर्केल घातक नीतियाँ अपनाते हुए जर्मनी और युरोपीय देशों को ख़तरे में डाल रही हैं|’

चॅन्सेलर मर्केल की दिशाहीन नीतियों से जर्मनी और युरोप के हाथ कुछ नही लग पायेगा, ऐसी चेतावनी भी फुकूयामा ने दी| एक समारोह में पोलंड की मध्यवर्ती जाँच एजन्सी के पूर्व अधिकारी जेसेक व्राना ने तीखी आलोचना करते हुए कहा कि ‘पश्‍चिमी युरोप की मृतवत् अवस्था को देखते हुए रोमन साम्राज्य के पतन का इतिहास याद आ रहा है| जर्मनी में जिन निर्वासितों को आश्रय दिया जा रहा है, वे निर्वासित किसी भी तरह के सिद्धांत न होनेवाले समाजों से दाखिल हुए हैं| वहाँ की उनकी ज़िंदगी ना के बराबर थी| सिर्फ़ धन लूटने के उद्देश से आये ‘बार्बेरियन’ ठगों की तरह ये निर्वासित हैं|’ राजनीतिक दृष्टि से अप्रिय फैसलें ना करने की बुरी वृत्ति जर्मनी और युरोप दोनों का घात कर रही है, ऐसा दावा भी व्रॉना ने किया|

सैनिकी इतिहास के अभ्यासक डॉ. रफ़ाल बर्झेस्की ने एक समारोह में मर्केल सरकार पर निशाना साधा| १८ जुलाई से २६ जुलाई के बीच जर्मनी में हुए हमलों के बाद जर्मनी ने खुद पर सेन्सॉरशिप डाली थी| पत्रकारिता के क्षेत्र में ऐसी सेन्सॉरशिप सबसे भयंकर चीज होती है, ऐसा कहते हुए डॉ. बर्झेस्की ने गंभीर चिंता जतायी| जर्मन मीडिया और सरकार जर्मनी में हुए आतंकवारी हमलों के बारे में पूरी जानकारी खुली नहीं कर रहे हैं, ऐसे संकेत डॉ. रफ़ाल बर्झेस्की के वक्तव्यों से मिल रहे हैं|

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