यूरोपीय महासंघ की बैठक में आक्रामक इटली ने मर्केल-मैक्रोन के शरणार्थियों की योजना उधेड़ी

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ब्रूसेल्स – शरणार्थियों के विरोध में यूरोपीय देशों की एकजुट पहली बार सामने आई है और इटली ने इस बारे में ठोस भूमिका लेने के बाद जर्मनी एवं फ्रांस की योजना उधेड़ी गई है। ब्रूसेल्स में हुए यूरोपीय महासंघ की बैठक में जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल एवं फ्रेंच राष्ट्राध्यक्ष इमैनुअल मैक्रोन को शरणार्थियों के मुद्दे पर वापसी करनी पड़ी।

इटली के प्रधानमंत्री गिसेप कोंटे ने इटली की मांग नजरअंदाज हुई तो अंतिम निवेदन पर नकाराधिकार के उपयोग की धमकी दी थी। इस धमकी के साथ पूर्व एवं मध्य यूरोप के सदस्य देशों का शरणार्थियों को हो रहा विरोध इस बैठक में ध्यान केंद्रित करने वाली बात रही है। बैठक से पहले जर्मन चांसलर मर्केल ने शरणार्थियों की समस्या महासंघ का भविष्य ठहराने का मुद्दा होने का दावा किया था।

गुरुवार को ब्रूसेल्स में यूरोपीय महासंघ की बैठक हुई है। इस बैठक में यूरोप में घुसनेवाले शरणार्थियों की समस्या यह प्रमुख मुद्दा था। बैठक शुरू होने से पहले जर्मनी फ्रांस, इटली, ऑस्ट्रिया, हंगरी जैसे प्रमुख देशों ने अपनी भूमिका स्पष्ट की थी। जर्मनी के चांसलर एंजेला मर्केल ने जर्मन संसद को संबोधित करते हुए किए विधान में शरणार्थियों के मुद्दे पर महासंघ के २८ सदस्य देशों में करार नहीं हुआ, तो एक अलग संगठन स्थापित करना होगा ऐसे संकेत दिए थे।

फ्रेंच राष्ट्राध्यक्ष मैक्रोन ने शरणार्थियों के बारे में देश के स्तर पर समाधान निकालना यही महासंघ का प्रमुख मुद्दा होने का दावा किया है। तथा इटली के प्रधानमंत्री कोंटे ने शरणार्थियों के मुद्दे पर निकाले हुए समाधान में इटली ने प्रस्तुत किए मुद्दों पर विचार नहीं किया, तो नकाराधिकार का उपयोग करेंगे, ऐसी धमकी दी थी। तथा हंगेरी के प्रधानमंत्री विक्टर औरबन ने यूरोप पर शरणार्थियों के आक्रमण रूकने चाहिए, ऐसी आग्रही भूमिका ली है।

इस पृष्ठभूमि पर गुरुवार रात शुरू हुई बैठक लगभग ९ घंटे से अधिक समय तक चली। इस बैठक के दौरान अनेक बार विभिन्न देशों के नेताओं ने स्वतंत्र बैठक लेकर चर्चा की है। इटली के प्रधानमंत्री कोंटे ने आखिर तक अपनी भूमिका पर जोर देकर शरणार्थियों की जिम्मेदारी सभी देशों की है और जिस देश में शरणार्थी आ रहे हैं, उस देश में यंत्रणा निर्माण करने की आवश्यकता है, यह मुद्दे अंतिम निवेदन में लाने का हट कायम रखा है।

इटली के इस आग्रही भूमिका की वजह से फ्रांस और जर्मनी को वापसी करनी पड़ी। अंतिम निवेदन में शरणार्थि एक देश में दाखिल होने के बाद उन्हे अन्य देशों में भेजना एवं अफ्रीकी तथा खाड़ी देशों में शरणार्थियों के बारे में कानूनन प्रक्रिया करने के लिये केंद्र निर्माण करना, उसका उल्लेख किया गया है। उसी समय शरणार्थियों का विभाजन करने की जिम्मेदारी स्वेच्छा से स्वीकारी जानी चाहिए, ऐसा आवाहन भी अंतिम निवेदन में किया गया है। यह निवेदन मतलब अंतिम करार नहीं हुआ फिर भी इस पर आधारित कार्रवाई आने वाले समय में शुरू होने की आशंका है।

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