तालिबान और ब्रिटेन के अफ़सरों की हुई बैठक

काबुल – अफ़गानिस्तान की तालिबानी हुकूमत को स्वीकृति प्रदान नहीं करेंगे, ऐसे दावे करने वाले ब्रिटेन ने तालिबान से संपर्क किया है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन के विशेष प्रतिनिधि सिमॉन गास ने तालिबान के उप-प्रधानमंत्री मुल्ला बरादर से मुलाकात की। इसके साथ ही तालिबान की अफ़गानिस्तान में जारी कार्रवाईयाँ निराशाजनक होने की आलोचना करने के बावजूद यूरोपिय महासंघ ने अफ़गानिस्तान को आर्थिक सहायता प्रदान करने के संकेत दिए हैं।

तालिबान और ब्रिटेनअफ़गानिस्तान में सर्वसमावेशक सरकार स्थापित की, महिलाओं को उनके अधिकार प्रदान किए और आतंकी संगठनों के साथ सहयोग तोड़ने पर ही तालिबान की हुकूमत को स्वीकृति दी जाएगी, ऐसी भूमिका पश्‍चिमी देशों ने बीते महीने से अपनाई हुई थी। तालिबान के वादों के बजाय उनकी हरकतों पर गौर करके इसके आगे निर्णय किए जाएँगे, ऐसा अमरीका, ब्रिटेन और यूरोपिय महासंघ ने कहा था।

तालिबान ने बीते डेढ़ महीने में दोहा समझौते का उल्लंघन किया है। अफ़गानिस्तान सरकार में महिलाओं और अल्पसंख्यांकों के बजाय तालिबान ने मोस्ट वॉन्टेड आतंकियों को स्थान दिया है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने प्रतिबंधित किए हुए १४ आतंकियों को तालिबान ने सरकार में शामिल किया है। साथ ही तालिबान ने अफ़गान महिलाओं का रोजगार और शिक्षा का अधिकार भी छीन लिया है।

अल कायदा, हक्कानी नेटवर्क एवं पाकिस्तान के आतंकी संगठनों के साथ ही तालिबान का सहयोग होने की बात सामने आयी है। इसके बावजूद ब्रिटेन ने तालिबान के नेतृत्व से संपर्क किया है। सिमॉन गास ने राजधानी काबुल में तालिबान के उप-प्रधानमंत्री मुल्ला बरादर से मुलाकात की। इस दौरान अफ़गानिस्तान के मानव अधिकार और आतंकवाद के मुद्दों पर बातचीत होने की बात ब्रिटेन के राजनीतिक अधिकारी मार्टिन लौंगडेन ने साझा की।

यूरोपिय महासंघ की विदेश नीति के प्रमुख जोसफ बोरेल ने तालिबान की आलोचना की है। साथ ही अफ़गानिस्तान की स्थिति पर भी चिंता जताई है। बीते डेढ़ महीने के दौरान तालिबान की हरकतें निराशाजनक रही हैं, ऐसा बयान बोरेल ने किया। साथ ही ‘अफ़गानिस्तान मानवता के गंभीर संकट का सामना कर रहा है। अफ़गानिस्तान में जल्द ही सामाजिक और आर्थिक गिरावट होगी और इसके गंभीर परिणाम अफ़गान नागरिकों को भुगतने पड़ेंगे’, ऐसा कहकर बोरेल ने अफ़गानिस्तान के लिए आर्थिक प्रावधान करने के संकेत दिए।

इसी बीच तालिबान को स्वीकृति प्रदान करने से इन्कार कर रहे पश्‍चिमी देश ही अब तालिबान की क्रूरता को नजरअंदाज करेंगे और इन्हीं तालिबानीयों को अंतरराष्ट्रीय व्यासपीठ और मानव अधिकार संगठन में स्थान प्रदान करेंगे, ऐसा इशारा अमरीका के पूर्व अफसर ने बीते महीने दिया था। ब्रिटेन और यूरोपिय महासंघ की भूमिका इसी दिशा में आगे बढ़ने की आशंका इससे बढ़ रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.