भारत के स्वदेशी विमान वाहक युद्धपोत ‘आयएनएस विक्रांत’ के समुद्री परीक्षण शुरू

नई दिल्ली – भारत की स्वदेशी विमान वाहक युद्धपोत ‘आयएनएस विक्रांत’ के अंतिम चरण के समुद्री परीक्षण शुरू हुए हैं। यह परीक्षण पूरे होने के बाद ‘आयएनएस विक्रांत’ भारतीय नौसेना के बेड़े में दाखिल होगी। इस युद्धपोत के यह परीक्षण कुछ महीने पहले ही शुरू होने की उम्मीद थी। लेकिन, इस स्वदेशी विमान वाहक युद्धपोत का निर्माणकार्य तय कार्यक्रम से पीछे चल रहा है। लेकिन, ‘आयएनएस विक्रांत’ के समुद्री परीक्षण शुरू होना ऐतिहासिक और हरएक भारतीय नागरिक को गर्व महसूस करानेवाली घटना साबित होती है। क्योंकि, यह समुद्री पीरक्षण शुरू होने के साथ ही भारत स्वदेशी अति प्रगत युद्धपोत वाले चुनिंदा देशों की सूचि में शामिल हुआ है। ‘आयएनएस विक्रांत’ भारत के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ नीति की छवि होने का बयान बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने किया है।

INS-Vikrant-Warshipआयएनएस विक्रांत’ के बहुप्रतिक्षित परीक्षण बुधवार के दिन शुरू होने की जानकारी केंद्रीय मंत्री सोनोवाल ने साझा की। कोचीन शिपयार्ड में तैयार की गई इस विमान वाहक युद्धपोत का निर्माणकार्य वर्ष २००९ में शुरू हुआ था। देश के इतिहास में पहली बार किसी विमान वाहक युद्धपोत के आकार के जहाज़ का पूरा ‘त्रिमितीय मॉडल’ पहले बनाया गया। बाद में इस मॉडल की सहायता से निर्माण से संबंधित प्लैन तैयार किया गाय। इस विमान वाहक युद्धपोत का ‘प्लैन’ और रचना पूरी तरह से भारतीय निर्माण के हैं।

वर्ष २०१३ में इस युद्धपोत का निर्माण कार्य पूरा हुआ और इसका जलावतरण भी किया गया था। साथ ही ‘आयएनएस विक्रांत’ पर लगाए गए ७५ प्रतिशत उपकरण स्वदेशी हैं। ४० हज़ार टन भार के इस युद्धपोत की लंबाई २६२ मीटर और चौड़ाई ६२ मीटर है। ३० लड़ाकू विमान और हेलिकॉप्टर्स की तैनाती इस यद्धपोत पर हो सकती है। युद्धपोत पर विमानों के ‘ऑपरेशन’ के लिए उपलब्ध ज़गह का क्षेत्र ‘फुटबॉल’ के दो मैदानों के समान है।

‘आयएनएस विक्रांत’ के निर्माण के लिए आवश्‍यक विशेष ‘स्टील’ का निर्माण ‘स्टील ऑथॉरिटी ऑफ इंडिया’ (सेल) ने किया है। साथ ही इस युद्धपोत पर २१०० किलोमीटर लंबाई की इलेक्ट्रिक केबल का इस्तेमाल किया गया है। इस विमान वाहक युद्धपोत के निर्माण एवं इस पर आवश्‍यक उपकरण लगाने के लिए तकरीबन २ हज़ार अभियंता, विशेषज्ञ एवं कर्मचारी बीते बारह वर्षों से दिन-रात काम कर रहे थे।

वर्ष १९७१ में हुए पाकिस्तान विरोधी युद्ध में अतुलनीय ज़िम्मेदारी संभालनेवाली ‘आयएनएस विक्रांत’ के नाम से भारत की इस पहली स्वदेशी विमान युद्धपोत का नामकरण किया गया है। भारतीय नौसेना के बेड़े में फिलहाल एकमात्र विमान वाहक युद्धपोत ‘आयएनएस विक्रमादित्य’ कार्यरत है और समुद्री परीक्षण सफलता से पूरा करने के बाद ‘आयएनएस विक्रांत’ भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होगी और इसके साथ ही किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए भारतीय नौसेना के बेड़े में दो विमान वाहक युद्धपोत मौजूद रहेंगी।

समुद्री परीक्षण के दौरान ‘विक्रांत’ की दिशादर्शक, संपर्क यंत्रणाओं के साथ प्रमुख उपकरणों को भी बड़ी सख्ती से परखा जाएगा। इससे पहले कोचिन शिपयार्ड में इस युद्धपोत के सभी उपकरणों का परीक्षण किया गया है। अब इन उपकरणों का वास्तव में समुद्री सफर के दौरान परीक्षण किया जाएगा। ‘आयएनएस विक्रांत’ अगले वर्ष भारतीय नौसेना के बेड़े में दाखिल होने के आसार हैं। इसी बीच, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कोरोना के संकट काल में भी ‘आयएनएस विक्रांत’ के परीक्षण जारी रखने पर कोचिन शिपयार्ड की सराहना की है। इसके अलावा, अब हो रहा परीक्षण अहम चरण होने की बात भी उन्होंने कही है।

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