‘मेड इन इंडिया’ राखियों ने चीन को पहुँचाया ४,००० करोड़ रुपयों का नुकसान

नई दिल्ली – गलवान वैली में भारतीय सैनिकों पर कायराना हमला करने के बाद देशभर में चीन की वस्तुओं का भीषण विरोध हो रहा है और रक्षाबंधन के अवसर पर भी इसी बात की साक्ष मिल रही है। भारत में इस वर्ष रक्षाबंधन के लिए स्वदेशी राखी की खरीद करने पर जोर दिया गया है और इससे चीन को करीबन चार हज़ार करोड़ रुपयों का नुकसान पहुँचाने की बात सामने आ रही है।

Made-in-India-Rakhi‘कॉन्फडेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स’ (सीएआयटी) ने इस वर्ष राखी का त्यौहार चीन निर्मित वस्तुओं पर बहिष्कार करके “हिंदुस्तानी राखी” के तौर पर मनाने का निवेदन १० जून के रोज़ किया था। ‘सीएआयटी’ के निवेदन के बाद देशभर में एक करोड़ राखीयां बनाई गईं। चीन से इस वर्ष एक भी राखी आयात नहीं की गई है। देश में ही तैयार की गई राखियां बडी मात्रा में खरीदी गई हैं। भारतीय नागरिकों ने यही राखियां पसंद की हैं।

देश में प्रतिवर्ष ५० करोड़ राखियों की बिक्री होती हैं। इससे करीबन ६ करोड़ रुपयों का कारोबार होता है। पिछले कई वर्षों से चार हजार करोड रुपयों की राखियां या इसकी कुछ चीजें चीन से आयात हो रही थीं। लेकिन, इस वर्ष एक राखी भी आयात नहीं हुई है, यह बात ‘सीएआयटी’ के अध्यक्ष बी.सी.भारतीय और राष्ट्रीय सरचिटणीस प्रवीण खंडेलवाल ने साझा की। भारतीय नागरिकों को चीन के सामान का विकल्प ना होने का दावा चीन करता रहा है। लेकिन, स्वदेशी राखी पसंद करके भारतीय नागरिकों ने चीन को बड़ा आर्थिक झटका दिया है।

इसी बीच शिक्षा मंत्रालय ने आयआयटी, बीएचयू, जेएनयू, एनआयटी समेत अन्य शिक्षा संस्थाओं और चीनी संस्थाओं के बीच हुए ५४ समझौतों पर पुनर्विचार करने की बात तय की जा रही है।

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