लोकसभा में ‘जीएसटी’ मंज़ूर

नवी दिल्ली, दि. २९ :  आठ घंटे से चल रही चर्चा के बाद ‘वस्तु एवं सेवा कर’ (जीएसटी) विधेयक लोकसभा में पारित किया गया है| ‘यह मंज़ुरी ऐतिहासिक है और इसका लाभ आम जनता को होगा| इस वजह से कररचना में सुसूत्रता आएगी’ ऐसा विश्‍वास केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जताया| लोकसभा में इस विधेयक को मंज़ुरी मिलने की वजह से १ जुलाई से ‘जीएसटी’ देशभर में लागू करने का मार्ग खुल चुका है|

‘जीएसटी’पिछले साल राज्यसभा में ‘जीएसटी’ विधेयक को मंज़ुरी मिली थी| राज्यसभा में इस विधेयक को मंज़ुरी देते समय कुछ सुझाव दिए गए थे| उन सुधारों एवं परिशोधों का समावेश किए गए ‘जीएसटी’ से संबंधित चार विधेयक सोमवार को लोकसभा में पेश किये गए थे| ‘सेंट्रल गुड्स ऍण्ड सर्व्हिसेस टॅक्स बिल’, ‘अ निनियन टेरिटरी जीएसटी बिल’, ‘इंटिग्रेटेड जीएसटी बिल’ और ‘जीएसटी (कॉम्पेन्सेशन टू स्टेट्स) बिल, २०१७’ ऐसे इन चार विधेयकों के नाम हैं| इन विधेयकों पर बुधवार को चर्चा हुई थी| विरोधी पक्षों ने इस समय उपस्थित किए गए सवालों का वित्तमंत्री जेटली ने जवाब दिया था|

सभी वस्तुओं और सेवाओं के लिए एक ही कर रहना चाहिए, ऐसी माँग इससे पहले विरोधी पक्षों द्वारा की गई थी| गरीब और सुखवस्तु वर्ग के लिए रहनेवालीं सेवा को एक ही कर लागू करना अन्यायकारक हो सकता है, इसीलिए ‘जीएसटी’ विधेयक में वस्तु एवं सेवाओं के लिए अलग-अलग स्तरों के लिए अलग-अलग कर लगाने का प्रावधान किया गया है, ऐसा जेटली ने स्पष्ट किया|

लोकसभा में चार विधेयक ‘मनी बिल’ के रूप में पेश किये गये| ‘जीएसटी’ विधेयक ‘फायनान्स बिल’ रहना चाहिए, ऐसी विरोधकों की मांग थी| लेकिन ‘कोई भी कर विधेयक ‘फायनान्स बिल’ नहीं हो सकता’ ऐसा कहते हुए वित्तमंत्री ने, फिलहाल ‘जीएसटी’ की कक्षा के बाहर जो सेवा और वस्तुएँ हैं, उन्हें भी धीरे-धीरे इसमें शामिल किया जायेगा, ऐसा स्पष्ट किया गया| इसके अनुसार बांधकाम क्षेत्र को भी सालभर में इस कानून के दायरे में लाया जायेगा, ऐसा वित्तमंत्री ने कहा| साथ ही, घटनात्मक प्रावधानों की वजह से कश्मीर में यह कानून फिलहाल लागू नहीं किया जा सकता| लेकिन जम्मू-कश्मीर सरकार इसके लिए स्वतंत्र विधेयक लाकर इस कानून के साथ अपने राज्य को जोड़ सकेगी और यहाँ की जनता को और व्यापारियों को इसका लाभ मिलेगा, ऐसा विश्‍वास अर्थमंत्री जेटली ने जताया|

साथ ही, ‘मनी बिल’ रहने की वजह से, प्रावधान के अनुसार, नई सुधारणाओं के साथ यह विधेयक फिर से राज्यसभा में मंज़ुरी के लिए भेजने की ज़रूरत नहीं है| इस वजह से ‘जीएसटी’ कानून के प्रवर्तन के रास्ते में जो रुकावटें थीं. वे दूर हुई हैं|

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