‘एफ-१६’ लड़ाकू विमानों के संदर्भ में ‘लॉकहीड मार्टिन’ का भारतीय कंपनी के साथ अनुबंध – ‘टाटा’ कंपनी की सहायता से ‘विंग्ज’ का उत्पादन किया जाएगा

नई दिल्ली/वॉशिंग्टन: अमरिका की अग्रणी सुरक्षा कंपनी ‘लॉकहीड मार्टिन’ ने ‘एफ-१६’ इन लड़ाकू विमानों के निर्माण के सन्दर्भ में भारतीय कंपनी के साथ अनुबंध करने की घोषणा की है। भारत की ‘टाटा एडवांस्ड सिस्टम लिमिटेड’ (टीएएसएल) के साथ किए गए अनुबंध के अनुसार, ‘एफ-१६’ के ‘विंग्ज’ का निर्माण भारत में किया जाने वाला है। इस साल की शुरुआत में ‘लॉकहीड मार्टिन’ ने ‘एफ-१६’ के साथ साथ अतिप्रगत माने जाने वाले ‘एफ-३५’ लड़ाकू विमानों का निर्माण भारत में ही करने का प्रस्ताव दिया था।

एफ-१६, लड़ाकू विमानों, लॉकहीड मार्टिन, भारतीय कम्पनी, अनुबंध, टाटा कंपनी, सहायता, विंग्ज, उत्पादन किया‘लॉकहीड मार्टिन और टीएएसएल के बीच रणनीतिक साझेदारी अधिक मजबूत करना और भारत सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ का समर्थन करने के इस उद्देश्य से ‘एफ-१६’ के विंग्ज का निर्माण भारत में करने का निर्णय लिया गया है। कंपनी ने इसके पहले ‘सी-१३० जे’ और ‘एस-९२’ हेलिकॉप्टर के लिए भारतीय कंपनी के साथ साझेदारी की थी। नया निर्णय इसी प्रक्रिया का अगला पड़ाव है’, ऐसी जानकारी ‘लॉकहीड’ के स्ट्रेटेजी एंड बिझनेस डेवलपमेंट के उपाध्यक्ष विवेक लाल ने दी है।

भारत के साथ साझेदारी और प्रगत रक्षा सामग्री के निर्माण के बारे में टाटा पर जो भरोसा है, उसके बलबूते पर यह निर्णय लिया गया है, इस बात को भी लाल ने स्पष्ट किया है। उसी समय भारत के लिए और अन्य देशों में निर्यात के लिए ‘एफ-१६’ का निर्माण भारत में करने के प्रस्ताव पर कंपनी कायम है, ऐसा भी उन्होंने कहा है। ‘लॉकहीड मार्टिन’ ने हाल ही में भारतीय हवाई दल को ‘रिक्वेस्ट फॉर इनफर्मेशन’ (आरएफआई) प्रस्तुत की है, ऐसी जानकारी भी कंपनी की तरफ से दी गई है।

भारतीय वायुसेना के पास ‘मिग-२१’ और ‘मिग-२९’ यह रशियन निर्माण के विमान बड़े पैमाने पर हैं। इन विमानों की कालमर्यादा खत्म होने आ रही है और जल्द ही इनमें से बहुत से विमान सेवा से रद्द करना अनिवार्य होगा। ऐसी परिस्थिति में भारत को अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों की आपूर्ति करने के लिए दुनिया भर की कंपनियों में प्रतियोगिता शुरू हुई है। लेकिन इसके आगे लड़ाकू विमानों की खरीदारी करते समय ‘मेक इन इंडिया’ उपक्रम को प्राधान्य दिया जाएगा और उसमें तकनीक का हस्तांतरण यह प्रमुख शर्त होगी, इस बात को भारत ने स्पष्ट किया है। उसके बाद भी इस अमरिकी कंपनी ने भारत को खुलकर प्रस्ताव देकर लड़ाकू विमानों के लिये विकल्प देने में बढत बनाई है।

वर्तमान में दुनिया भर में अमरिकी वायु दल के साथ साथ २५ देशों के हवाई दल में लगभग तीन हजार ‘एफ-१६’ लड़ाकू विमान कार्यरत हैं।

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