शहरी माओवादियों के गिरफ्तारी के पीछे राजनीतिक हेतु नहीं – सर्वोच्च न्यायालय का बयान

नई दिल्ली – भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार किए गए शहरी माओवादियों को शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय ने झटका दिया है। पुलिस जांच में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने यह जांच विशेष जांच पथक एसआईटी को सौंपने की आवश्यकता ना होने की बात कही है। तथा उनपर हो रही कार्रवाई राजनैतिक हेतु से प्रेरित होने का शहरी माओवादियों ने जडा आरोप भी सर्वोच्च न्यायालय ने नामंजूर किया है। पर उनका कब्जा पुलिस को देने की सरकारी पक्ष की मांग न्यायालय ने ठुकराई है। एवं उनके स्थानबद्धता में चार हफ्तों की बढ़ोतरी की गई है। इस निर्णय का महाराष्ट्र सरकार एवं पुलिस बल ने स्वागत किया है।

पिछले महीने में पुणे पुलिस ने दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद इन जगहों पर छापे मारकर माओवादियों के समर्थकों को तथा कथित बुद्धिमानों को गिरफ्तार किया था। इनमें वरावरा राव, सुधा भारद्वाज, वर्नन गोंजाल्विस, गौतम नौलखा एवं अरुण फरेरा इन ५ लोगों का समावेश प्रधानमंत्री की हत्या का षड्यंत्र एवं देश में अराजक निर्माण करने के षड्यंत्र में था, ऐसा पुणे पुलिस का कहना है। इसके प्रबल सबूत होने का दावा पुलिस ने किया है। इस संदर्भ में पुलिस ने सर्वोच्च न्यायालय में शपथ पत्र भी सा प्रस्तुत किया था।

शुक्रवार को सर न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायाधीश ए.एम.खानविलकर एवं न्यायाधीश डी.वाय. चंद्रचूड़ इनके अदालत के सामने इस मामले की सुनवाई हुई। पुणे पुलिस ने किए गिरफ्तारी के पीछे राजनीतिक मतभेद एवं बदला होने का आरोप इन ५ लोगों से किया जा रहा था। तथा कई लोगों ने इस आरोप को समर्थन किया था। पर गिरफ्तार हुए इन पांच लोगों की बंदी होनेवाले माओवादियों के संगठनों से संबंध होने के प्राथमिक सबूत मिलने की वजह से ही उनपर पुणे पुलिस ने यह कार्रवाई की है। उसके पीछे राजनैतिक बदले के भावना का भाग नहीं है, ऐसा बयान सर्वोच्च न्यायालय ने दिया है।

इस मामले की जांच एसआईटी को सौंपी जाए, ऐसी याचिकाकर्ताओं की मांग सर्वोच्च न्यायालय ने बहुमत से ठुकराई है। कौनसे जांच संस्था से जांच करनी है, यह अपराधी नहीं ठहरा सकते, ऐसी टिप्पणी सर्वोच्च न्यायालय ने लगाई है। तथा सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की जांच शुरू रखने के आदेश पुलिस को दिए हैं। उसके साथ अपराधियों के जमानत की मांग भी न्यायालय ने ठुकराई है।

पर न्यायालय ने इन सभी को पुलिस कस्टडी में भेजने की मांग से इनकार किया है और ५ लोगों के स्थानबद्धता में ४ हफ्तों की बढ़ोतरी की है।

दौरान इस निर्णय का महाराष्ट्र सरकार ने स्वागत किया है। इस मामले में पुलिस ने की कार्रवाई योग्य थी, ऐसा इससे स्पष्ट हो रहा है। इन सभी ने देश के विरोध में षड्यंत्र रचा था। गिरफ्तार किए गए लोगों के विरोध में बलपूर्वक सबूत है एवं अधिक सबूत जमा होने पर ही अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है, ऐसा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है। पुणे पुलिस के आयुक्त के.व्यंकटेशम ने भी सर्वोच्च न्यायालय के सुनवाई पर समाधान व्यक्त किया है और जांच अधिकारियों का अभिनंदन किया है।

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