सबसे बड़ा स्वदेशी ‘रीऐक्टर’ पॉवर ग्रिड़ से जुड़ा – परमाणु ऊर्जा सचिव की जानकारी

नई दिल्ली – देश के सबसे बड़े स्वदेशी ‘रीऐक्टर’ को पॉवर ग्रिड से सफलता के साथ जोड़ा गया है। गुजरात के काक्रापार में इस स्वदेशी ‘रीऐक्ट’ का निर्माण किया गया है। परमाणु ऊर्जा निर्माण की क्षमता बढ़ाने के लिए भारत ने व्यापक योजना तैयार की है। इसके अनुसार स्वदेशी ‘रीऐक्ट’ की तकनीक पर भी जोर दिया जा रहा है। इस पृष्ठभूमि पर काक्रापर में विकसित किए गए स्वदेशी ‘रीऐक्ट’ का पॉवर ग्रिड़ से जुड़ना बड़ी कामयाबी समझी जा रही है। देश में विकसित और निर्माण की गई तकनीक का यह उत्कृष्ट नमूना होने का दावा भी किया जा रहा है।

power-gridकाक्रापार में निर्माण किए गए ७०० मेगावाट परमाणु बीजली केंद्र का स्वदेशी ‘रीऐक्टर’ न्युक्लिअर पॉवर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआयएल) ने पॉवर ग्रिड़ से जोड़ा है, यह जानकारी परमाणु ऊर्जा सचिव के.एन.व्यास ने साझा की। परमाणु ऊर्जा का अधिकाधिक निर्माण होने से देश को कार्बन उत्सर्जन घटाना संभव होगा, यह बयान भी व्यास ने किया। साथ ही इस सफलता की वजह से स्वदेशी ‘रीऐक्टर’ का निर्माण करने की योजना को गति प्राप्त होगी और अगले दौर में अधिक संख्या में स्वदेशी ‘रीऐक्टर’ का निर्माण हो सकेगा, यह बयान भी व्यास ने किया।

देश में १६ स्वदेशी ‘रीऐक्टर’ निर्माण करने की योजना पर सरकार काम कर रही थी। इस योजना का यह पहला ‘रीऐक्टर’ है। इसके साथ ही देश में निर्माण किया गया यह सबसे बड़ा ‘रीऐक्टर’ है। ‘प्रेशराइज्ड हेवी वॉटर’ तकनीक के आधार पर इस ‘रीऐक्टर’ का निर्माण किया गया है और ऐसे १५ ‘रीऐक्टर’ निर्माण करने की योजना पर काम हो रहा है, यह बात व्यास ने रेखांकित की।

वर्ष २०२७ तक देश में और पांच स्वदेशी रीऐक्टर निर्माण किए जाएंगे। इसके बाद वर्ष २०३१ तक अन्य १० स्वदेशी ‘रीऐक्टर’ कार्यरत होंगे। इस योजना के लिए करीबन डेढ़ लाख करोड़ रुपये (२०.४ अरब डॉलर्स) की लागत होगी। काक्रापार में ही २२० मेगावाट के २ और ७०० मेगावाट का १ रीऐक्टर निर्माण किया जाएगा।

पैरिस क्लायमेट समझौते के अनुसार भारत कार्बन उत्सर्जन कम करने पर जोर दे रहा है। इसके लिए अपारंपरिक ऊर्जा निर्माण पर अधिक ध्यान केंद्रीत किया जा रहा है। इसके अनुसार सौर, पवन ऊर्जा के साथ परमाणु ऊर्जा निर्माण की क्षमता बढ़ाने की कोशिश हो रही है। भारत ने अगले दस वर्षों में ६३ गिगावाट परमाणु ऊर्जा निर्माण का लक्ष्य तय किया है और इसी दिशा में तेज़ी से काम हो रहा है। रशिया और फ्रान्स की सहायता से भी देश में परमाणु केंद्र का निर्माण हो रहा है।

वर्ष २००६ में भारत ने अमरीका के साथ परमाणु समझौता किया था। इसके बाद फ्रान्स, रशिया, कनाड़ा, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटिना, श्रीलंका, ब्रिटेन, जापान, वियतनाम, बांगलादेश, कज़ाकस्तान और दक्षिण कोरिया के साथ भारत ने परमाणु समजौते किए हैं। साथ ही फ्रान्स, कज़ाकस्तान, ऑस्ट्रेलिया, कनाड़ा और रशिया के साथ युरेनियम की आपूर्ति से संबंधित समझौते भी हुए हैं।

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