किसिंजर भारत के स्थाई सदस्यत्व को अनुकूल थे – अमरिका ने उजागर किए दस्तावेज में दावा

वाशिंगटन: १९७२ में अमरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार होते हुए हेनरी किसिंजर ने भारत एवं जापान को संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्यत्वं मिलना चाहिए, ऐसा मत व्यक्त किया था। अमरिका के विदेश मंत्रालय ने उजागर किए दस्तावेजों की वजह से यह जानकारी अब दुनिया के सामने आई है। शीतयुद्ध के समय में किसिंजर ने भारत के विरोध में प्रखर भूमिका ली थी। उसी समय किसिंजर ने भारत के स्थाई सदस्यत्व के बारे में व्यक्त किया यह विधान चकित करने वाला माना जा रहा है।

किसिंजर, स्थाई सदस्यत्व, भारत, अनुकूल, उजागर, दस्तावेज, दावा, अमरिका, संयुक्त राष्ट्रसंघअमरिका के जापान में स्थित राजदूत रॉबर्ट इंगरसोल इनके साथ किसिंजर ने ३ अप्रैल १९७२ के रोज मुलाकात हुई थी। इस मुलाकात में इंगरसोल ने जापान के संयुक्त राष्ट्रसंघ में स्थाई सदस्यता का मुद्दा उपस्थित किया था। इसपर अमरिका की भूमिका क्या होगी, ऐसा प्रश्न इंगरसोल ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार किसिंजर को किया था। इसपर किसिंजर ने जापान को स्थाई सदस्यता मिलना अपरिहार्य होने की बात स्पष्ट की थी। भारत एवं जापान को संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्यत्व मिलना चाहिए, ऐसा हमें लग रहा है ऐसा किसिंजर ने कहा था।

फिलहाल इस दिशा से प्रयत्न शुरू नहीं है। फिर भी भारत एवं जापान को स्थाई सदस्यत्वं मिलना चाहिए, ऐसा किसिंजर ने उस समय कहां था। अमरिका के विदेश मंत्रालय ने इस संदर्भ में उजागर किए दस्तावेजों की वजह से यह जानकारी सामने आई है। भारत ने स्थाई सदस्यता के लिए दावा किया है और इसके लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ में आवश्यक बदलाव किए जाएं, ऐसी मांग की जा रही है। भारत के इस मांग को चीन को छोड़कर अमरिका, रशिया, ब्रिटेन और फ्रान्स इन देशों का समर्थन है। भारत के साथ जापान, जर्मनी यह देश भी सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्यत्व के लिए प्रयत्न कर रहे हैं।

चीन को १९७१ के वर्ष में स्थाई सदस्यत्व मिला था। उसके पीछे किसिंजर इनकी मुत्सद्दी बर्ताव होने की बात इतिहास में दर्ज हुई है। सोवियत रशिया पर आलोचना करने के लिए किसिंजर ने चीन से संगठन किया था। इस राजनीतिक कृति के तौर पर अमरिका ने चीन को स्थाई सदस्यत्व बहाल किया था। पर उसके बाद भारत के स्थाई सदस्यता के लिए किसिंजर अनुकूल थे, यह बात भारतीय विश्लेषकों को उलझन में डालने वाली मानी जा रही है।

अमरिका एवं सोवियत रशिया इन में शीत युद्ध के समय में भारत ने अलिप्ततावाद स्वीकारा था, फिर भी भारत सोवियत रशिया के पक्ष से झुका होने की बात उस समय अमरिका को लग रही थी। इसकी वजह से अमरिका ने पाकिस्तान को लष्कर एवं आर्थिक सहायता प्रदान करके भारत की बाधाएं बढ़ाई थी। बांग्लादेश के स्वतंत्रता युद्ध शुरू होते हुए अमरिकन नौदल का पथक भेजकर भारत पर दबाव लाने का प्रयत्न अमरिका ने किया था।

साथ ही बांग्लादेश का स्वतंत्रता युद्ध शुरू होते हुए किसिंजर ने भारतीय नेतृत्व के बारे में कई आक्षेप लेने वाले विधान किए थे। इसकी वजह से उसके बाद के समय में भारत को संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्यता देने की योजना को किसिंजर अनुकल थे, यह बात चकित करने वाली मानी जा रही है। पर भारत स्थाई सदस्यता को प्रबल दावेदार के तौर पर दुनिया के सामने आते हुए, किसिंजर ने इनका अब प्रसिद्ध हुआ यह विधान भारत के प्रयत्नों को अधिक बल देने वाला माना जाएगा।

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