रशिया यूरोप सीमा पर स्थित ‘कॅलिनिनग्राड’ में प्रगत मिसाइल तैनात करेगा – रशिया के वरिष्ठ सीनेटर का इशारा

मोस्को: दक्षिण यूरोप सीमा पर स्थित ‘कॅलिनिनग्राड’ में सुरक्षा अड्डे पर नया ‘इस्कंदर’ मिसाइल तैनात करने का इशारा वरिष्ठ सीनेटर ने दिया है। अमरिका को ओर से पोलैंड में बढती लष्करी तैनाती को प्रत्युत्तर देने के लिए यह कदम उठाया गया है, ऐसा सीनेटर ने स्पष्ट किया है। रशिया ने पिछले साल ‘कॅलिनिनग्राड’ अड्डे पर पहली बार ‘इस्कंदर’ मिसाइल यंत्रणा तैनात करने की घोषणा की थी।

‘कॅलिनिनग्राड’अमरिका और नाटो ने पिछले कुछ महीनों में यूरोप में लष्करी तैनाती बार बार बढाई है। पिछले महीने में रशिया के ‘झापड़’ युद्धाभ्यास की पृष्ठभूमि पर अमरिका ने पोलैंड में सेंकडो टैंक और तोपें तैनात की थी। साथ ही अमरिका के पैदल सेना की एक टुकड़ी भी पोलैंड में तैनात है। रशियन सीमा के पास अमरिका की यह तैनाती मतलब रशिया और नाटो के बीच अनुबंध का भंग है, ऐसा आरोप रशिया ने लगया है।

रशियन संसद के ‘डिफेन्स कमिटी’ के प्रमुख निवृत्त जनरल व्लादिमिर शामानोव्ह ने अमरिका की इस तैनाती को प्रत्युत्तर देने के लिए ‘इस्कंदर-एम’ मिसाइल यंत्रणा तैनात की जाएगी, ऐसा इशारा दिया है। ‘कॅलिनिनग्राड’ में वर्तमान में ‘इस्कंदर’ मिसाइल यंत्रणा पहले से ही तैनात है। लेकिन नई यंत्रणा तैनात करके रशिया अमरिका और नाटो को इशारा देने की कोशिश कर रहा है। मिसाइल यंत्रणा के साथ साथ लष्करी टुकड़ी भी तैनात की जाएगी, ऐसा शमानोव्ह में इशारा दिया है।

‘कॅलिनिनग्राड’‘इस्कंदर-एम’ मिसाइल यंत्रणा रशिया के प्रगत मिसाइल यन्त्रणा में से एक है और इससे सात विविध प्रकार के मिसाइलों को दागा जा सकता है। इससे ‘क्रूज़ मिसाइल्स’ के साथ परमाणु मिसाइल्स दागना संभव है। यह यंत्रणा करीब ५०० किलोमीटर्स तक लक्ष्य को निशाना करने के लिये उपयुक्त है, ऐसा कहा जा रहा है। ‘कॅलिनिनग्राड’ में ‘इस्कंदर-एम’ की तैनाती की वजह से यूरोप के बहुतांश देश रशियन यंत्रणा के लक्ष्य में आ रही हैं।

‘कॅलिनिनग्राड’पिछले साल ‘कॅलिनिनग्राड’ में मिसाइल यंत्रणा तैनात करते समय रशिया ने अमरिका और नाटो ने लगाए हुए ‘मिसाइल भेदी यंत्रणा’ का कारण बताया था। अमरिका ने रोमानिया और पोलैंड में ‘मिसाइल’ डिफेन्स यंत्रणा तैनात की है। उसके बाद अमरिका और नाटो सदस्य देशों की ओरसे यूरोप में बार बार नई लष्करी तैनाती शुरू है। पिछले हफ्ते में रोमानिया में ‘ब्लैक सी फ़ोर्स’ इस लष्करी टुकड़ी को कार्यरत किया गया है। उसमे अमरिका के साथ १० देशों के लश्करी पथक का समावेश है, जिसकी क्षमता चार हजार सैनिक है।

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