भारत और फ्रान्स की नौसेनाओं का संयुक्त युद्धाभ्यास

नई दिल्ली – अरबी सागर में भारत और फ्रान्स की नौसेनाओं का ‘वरुण-२०२१’ युद्धाभ्यास शुरू हो चुका है। हर साल दोनों देशों की नौसेनाओं द्वारा संयुक्त युद्धाभ्यास का आयोजन किया जाता है और यह इस युद्धाभ्यास का १९वाँ साल है। इस अभ्यास में हवाई सुरक्षा, पनडुब्बी विरोधी युद्धतंत्र का समावेश होगा। इससे पहले फ्रेंच नौसेना ने ऑस्ट्रेलियन नौसेना के साथ युद्धाभ्यास किया था। आनेवाले समय में फ्रान्स की नौसेना जापान की नौसेना के साथ अभ्यास करनेवाली है। इससे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में फ्रान्स अपना प्रभाव जानबूझकर बढ़ाता हुआ स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है।

संयुक्त युद्धाभ्यास

कुछ दिन पहले फ्रान्स ने क्वाड देशों की नौसेनाओं के साथ बंगाल की खाड़ी में अपना ‘ला पेरूस’ यह युद्धाभ्यास किया था। उसके बाद अब फ्रान्स का विमानवाहक युद्धपोत ‘चार्ल्स-दे-गॉल’, ‘रफायल-एम’ लड़ाकू विमानों समेत भारतीय नौसेना के साथ युद्धाभ्यास कर रहा है। ‘वरूण-२०२१’ नामक इस युद्धाभ्यास में भारत के ‘आयएनएस कोलकता’, गायडेड मिसाइलों से लैस होनेवाले ‘आयएनएस तरकश’ और ‘आयएनएस तलवार’ ये विध्वंसक और चेतक हेलिकॉप्टर्स सहभागी हुए हैं। रविवार से शुरू हुआ यह युद्धाभ्यास तीन दिन का होगा। इससे भारत और फ्रान्स की नौसेनाओं में सहयोग अधिक ही व्यापक बननेवाला होकर, दोनों देशों की नौसेनाओं में समन्वय इससे अधिक ही बढ़ेगा।

पिछले कुछ महीनों से फ्रान्स ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया है। इस क्षेत्र में फ्रान्स के द्वीप होकर, इस क्षेत्र में दस लाख फ्रेंचों का निवास है। उनकी रक्षा की जिम्मेदारी फ्रान्स पर है, ऐसा कहकर फ्रान्स इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है। इस मोरचे पर फ्रान्स को भारत से बहुत बड़ा सहयोग अपेक्षित है। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में संपूर्ण सुरक्षा की आपूर्ति करनेवाले विश्‍वासार्ह देश के रूप में फ्रान्स भारत की ओर देखता है, ऐसा फ्रान्स के रिअर ऍडमिरल फेयॉर्ड ने हाल ही में कहा था। भारत और फ्रान्स के बीच यह सहयोग, चीन का विस्तारवाद मद्देनजर रखकर विकसित किया जा रहा है।

भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इन क्वाड देशों के साथ अपनी नौसेना का सहयोग विकसित करने के लिए फ्रान्स उत्सुकता दर्शा रहा है। इस कारण, जल्द ही ‘क्वाड’ का रूपांतरण ‘क्वाड प्लस’ में हो जाएगा और उसमें फ्रान्स भी सहभागी होगा, ऐसे दावे किए जाते हैं। इसके लिए फ्रान्स ने गतिविधियाँ शुरू कीं हैं। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में परिवहन की आज़ादी का पुरस्कार करने के लिए फ्रान्स की नौसेना ने इस क्षेत्र में गश्त शुरू की है।

इसीलिए भारत का फ्रान्स के साथ सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होने लगा है। भारत के साथ ही जापान और ऑस्ट्रेलिया इन क्वाड के सदस्य होनेवाले देशों के साथ भी फ्रान्स लगातार युद्धाभ्यास कर रहा है , जिससे कि चीन की विस्तारवादी नीति के विरोध में नया त्रिपक्षीय गठबंधन सामने आ रहा होने के संकेत मिल रहे हैं।

अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने क्वाड के लिए पहल करके पहली ही बार क्वाड देशों के प्रमुखों की ऑनलाईन बैठक आयोजित की थी। लेकिन वास्तव में राष्ट्राध्यक्ष बायडेन चीन के विरोध में ठोस फैसलें करके क्वाड को बढ़ावा नहीं देंगे, ऐसी चिंता कुछ विश्लेषक जाहिर कर रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में फ्रान्स जैसे प्रभावशाली देश का निवेश बढ़ रहा है, यह बात गौरतलब साबित हो रही है।

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