भारत और ब्रिटेन के रक्षाबलों को संयुक्त युद्धाभ्यास

नई दिल्ली – अमरीका और रशिया के बाद भारतीय रक्षाबलों के साथ युद्धाभ्यास करनेवाला ब्रिटेन तीसरा देश है। अरब सागर के कोंकण क्षेत्र में दोनों देशों की नौसेनाएं, थलसेनाएं और वायुसेनाएं ‘कोंकण शक्ति’ नामक युद्धाभ्यास में शामिल हुई हैं। कुछ दिन पहले बंगाल की खाड़ी में भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाओं ने संयुक्त युद्धाभ्यास किया था। इसके बाद भारत का ब्रिटेन के साथ युद्धाभ्यास ध्यान आकर्षित कर रहा है। इस युद्धाभ्यास के जरिये इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में वर्चस्व स्थापित करने की फिज़ूल महत्वाकांक्षा रखनेवाले चीन को इसके ज़रिये संदेश दिया जा रहा है।

संयुक्त युद्धाभ्यास‘गहरे समुद्र में रहने की क्षमता और एक से अधिक विमान वाहक युद्धपोत रखनेवाले विश्‍व के चुनिंदा देशों में भारत और ब्रिटेन का समावेश है। ऐसी स्थिति में ब्रिटेन के विमान वाहक युद्धपोत का बेड़ा भारतीय नौसेना के साथ युद्धाभ्यास कर रहा है, यह बात दोनों देशों का सामरिक सहयोग व्यापक बनने का दाखिला देता है। नियमों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और मुक्त एवं खुले व्यापार और गहरे समुद्री क्षेत्र की स्वतंत्रता के प्रति इन दोनों देशों की कटिबद्धता इस युद्धाभ्यास से स्पष्ट हो रही है’, ऐसा बयान ब्रिटेन के नौसेनाप्रमुख एडमिरल टोनी रडाकिन ने किया है।

संयुक्त युद्धाभ्यास

ब्रिटेन के नौसेनाप्रमुख का यह बयान ध्यान आकर्षित कर रहा है। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में नियमों पर आधारित व्यवस्था के अलावा इस क्षेत्र के खुले और मुक्त व्यापारी परिवहन को चीन से काफी बड़ा खतरा होने की बात लगभग सभी ज़िम्मेदार देशों ने स्वीकारी है। अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने तो इसके खिलाफ ‘क्वाड’ का गठन करके चीन पर लगाम कसने की कोशिश शुरू की है। साथ ही ऑकस यानी ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमरीका ने लष्करी संगठन बनाकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की वर्चस्ववादी गतिविधियों को सीधे चुनौती दी है। फ्रान्स और अन्य यूरोपिय देश भी इंडो-पैसिफिक में चीन की गतिविधियों को खतरे के तौर पर देख रहे हैं। ऐसी स्थिति में ब्रिटेन भी चीन से होनेवाले खतरे के खिलाफ भारत के साथ सामरिक सहकर्या मज़बूत कर रहा है, यह काफी बड़ी बात है।

भारत में स्थित ब्रिटेन के उच्चायुक्तालय ने दोनों देशों के तीनों रक्षाबलों का अब तक का सबसे बड़ा महत्वाकांक्षी युद्धाभ्यास होने का बयान किया है। दोनों देशों का द्विपक्षीय रक्षा सहयोग अधिक मज़बूत बनाने की दिशा में उठाया गया यह बड़ा अहम कदम साबित होता है। इस वजह से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के दोनों देशों के सामरिक सहयोग को नया बल प्राप्त होगा, यह विश्‍वास ब्रिटेन के उच्चायुक्तालय ने व्यक्त किया है।

इसी बीच, ब्रिटेन की नौसेना के इस युद्धाभ्यास में नेदरलैण्ड के विध्वंसक भी शामिल हुए हैं। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की अहमियत काफी बढ़ी है और ऐसे में इस समुद्री क्षेत्र पर चीन अपना नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। हिंद महासागर और उसके आगे के क्षेत्र में पूरी सुरक्षा प्रदान करने की क्षमता वाले देश के तौर पर भारत की अहमियत इससे अधिक बढ़ी है।

इस वजह से विश्‍व की प्रमुख देशों की नौसेनाएं भारतीय नौसेना के साथ द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय युद्धाभ्यास का आयोजन करके संपर्क एवं समन्वय अधिक बढ़ाते हुए दिख रहे हैं। इसका भारतीय नौसेना को बड़ा लाभ हो रहा है। इन संयुक्त युद्धाभ्यासों की वजह से भारतीय नौसेना की क्षमता और ताकत नए से रेखांकित हो रही है और इससे चीन की बेचैनी अधिकाधिक बढ़ रही है।

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