अमरिका के सुरक्षा सलाहकार के पदपर जॉन बोल्टन की नियुक्ति मतलब युद्ध की तैयारी – अमरिका के साथ साथ दुनिया भर की मीडिया का दावा

वॉशिंग्टन: अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने वर्तमान के ‘सीआईए’ के प्रमुख माईक पॉम्पिओ की विदेश मंत्री पद पर नियुक्ति करने का फैसला लिया है। यह ट्रम्प के आक्रामक दांवपेचों का हिस्सा है, ऐसी चर्चा शुरू है, ऐसे में ट्रम्प ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार पद पर जॉन बोल्टन की नियुक्ति की घोषणा की है। यह सीधे युद्ध की तैयारी होने का दावा करके अमरिकी और अन्य देशों की मीडिया उसपर जोरदार चर्चा कर रहे हैं। बहुत ही तीखे विचारों के लिए प्रसिद्ध जॉन बोल्टन की नियुक्ति के बाद अमरिका उत्तर कोरिया, पाकिस्तान और ईरान इनमें से किसी को भी बर्दाश्त नहीं करेगा, ऐसे दावे किए जा रहे हैं।

संयुक्त राष्ट्रसंघ में अमरिकी राजदूत के तौर पर जॉन बोल्टन ने बहुत समय तक काम किया था। अमरिका की भूमिका बहुत ही आक्रामकता से रखने वाले जॉन बोल्टन यह पद छोड़ने के बाद भी अपने विचार भी स्पष्ट रूपसे रखते थे। उत्तर कोरिया के साथ चर्चा करने में समय न गंवाएं, इस देश पर परमाणु बम गिराएं, इस तरह की सलाह बोल्टन ने समय समय पर अमरिकी प्रशासन को दी थी। इसकी याद दिलाते हुए अमरिकी मीडिया बोल्टन की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के तौर पर की हुई नियुक्ति ‘भयंकर बात साबित होती है’ ऐसी टीका कर रही है। कुछ लोगों ने तो बोल्ट मतलब अमरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है, ऐसा दावा किया है। उग्र विचारों के बोल्टन के निर्णय की वजह से अमरिका खतरे में आ सकता है, ऐसा दावा बोल्टन की नियुक्ति को विरोध करने वाले कर रहे हैं।

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दौरान, कुशल राजनीतिक अधिकारी और प्रचंड अनुभव वाले बोल्टन सुरक्षा सलाहकार के तौर पर प्रभावी काम करेंगे और वर्तमान के चुनौती भरे समय में उनके जैसे मजबूत नेता की आवश्यकता होने का दावा अमरिकी मीडिया का एक समूह कर रहा है। उसी समय इजराइल जैसे अमरिकी मित्र देश ने जॉन बोल्टन के चुनाव का स्वागत किया है। ईरान से बोल्टन की नियुक्ति मतलब युद्ध की घोषणा है, ऐसी प्रतिक्रिया आ रही है। उत्तर कोरिया, ईरान इन अमरिका के खिलाफ गए देशों के खिलाफ कठोर निर्णय लेने की माँग बोल्टन कुछ दिनों से कर रहे हैं। विशेषतः मीडिया में विश्लेषक के तौर पर बोलते समय बोल्टन ने ईरान का परमाणु कार्यक्रम, उत्तर कोरिया की चुनौती भरी कार्रवाइयों के बारे में अपना मत उतना ही कठोर है, यह दिखा दिया था।

इस पृष्ठभूमि पर, जॉन बोल्टन राष्ट्रीय सुरक्श सलाहकार के पद पर आने के बाद कौनसा निर्णय लेंगे, इस बात की तरफ जानकारों का ध्यान लगा है। विदेश मंत्री के तौर पर माईक पॉम्पिओ और सुरक्षा सलाहकार के तौर पर जॉन बोल्टन और ‘सीआईए’ प्रमुख के पदपर जिना हॅस्पल को चुनकर राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने अपनी नीतियाँ उदार और नर्म नहीं होंगी, यह विरोधी देशों को दिखा दिया है। इन आक्रामक दांवपेचों का अमरिका के कुछ विश्लेषक स्वागत कर रहे हैं और कुछ लोग इसपर तीव्र चिंता व्यक्त कर रहे हैं।

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पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम पर बोल्टन ने कुछ दिनों पहले लक्षवेधी विधान किया था। पाकिस्तान के परमाणु गलत हाथों में लग सकते हैं, इसका एहसास बोल्टन ने कराके दिया था। यह सबसे बड़ा खतरा है, ऐसा कहकर पाकिस्तान पर कट्टरपंथियों नियंत्रण होने का दाग लगाया था। साथ ही पाकिस्तानी गुप्तचर संगठन पर भी कट्टरपंथियों का नियंत्रण है, इस बात की तरफ भी बोल्टन ने ध्यान आकर्षित किया था।

अफगानिस्तान में अमरिका ने आतंकवादियों के खिलाफ छेड़े युद्ध की सफलता-असफलता पूरी तरह से पाकिस्तान की भूमिका पर निर्भर है। पाकिस्तान तालिबान की मदद न करे। इसके लिए पहले के ओबामा प्रशासन ने पाकिस्तान पर पर्याप्त दबाव नहीं डाला है, ऐसा कहकर बोल्टन ने इस पर नाराजगी जताई थी। लेकिन अब ट्रम्प प्रशासन इसके लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहरा रहा है, यह उचित है और आने वाले समय में पाकिस्तानपर दबाव अधिक बढाने की आवश्यकता है, ऐसा दावा बोल्टन ने किया था।

उनके इस उच्चरण का प्रमाण देकर पाकिस्तानी मीडिया बोल्टन की नियुक्ति पर पाकिस्तान को अधिक ख़राब परिस्थिति सामना करना पड़ सकता है, ऐसा कह रही है।

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