जिनपिंग का लंबा एकाधिकार कम्युनिस्ट पार्टी के पतन का कारण साबित होगा – विश्‍लेषकों का इशारा

बीजिंग – चीन की शासक कम्युनिस्ट पार्टी पर शी जिनपिंग का एकाधिकार लंबे समय तक रहना पार्टी के पतन का कारण साबित होगा, यह दावा विश्‍लेषक कर रहे हैं। १ जुलाई के दिन कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना के १०० वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर शासक हुकूमत ने महत्वाकांक्षी और विशाल एवं आकर्षक कार्यक्रमों की तैयारियों की जानकारी साझा हो रही है। इस पृष्ठभूमि पर जिनपिंग के नेतृत्व को लेकर विदेशी अभ्यासक एवं विश्‍लेषकों का दावा ध्यान आकर्षित कर रहा है।

xinping-ccp-china-2जिनपिंग ने कम्युनिस्ट पार्टी का नियंत्रण स्वीकारने के १० साल अगले वर्ष पूरे हो रहे हैं। कम्युनिस्ट पार्टी के मूल संविधान के अनुसार जिनपिंग ने अगले वर्ष अपना उत्तराधिकारी घोषित करना एवं ऐसे संकेत देने की उम्मीद है। लेकिन, बीते कुछ वर्षों में जिनपिंग द्वारा कम्युनिस्ट पार्टी में किए गए बदलावों पर गौर करें तो उनके ऐसे निर्णय करने की संभावना दिखाई नहीं देती। वर्ष २०१२ में सत्ता संभालने के बाद जिनपिंग ने कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख के तौर पर पार्टी पर अपनी पकड़ मज़बूत करने की लगातार कोशिश की है।

इसमें विरोधियों को खत्म करने के लिए भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम का इस्तेमाल, पार्टी के प्रमुख पद के लिए तय की गई समय सीमा हटाना, स्वयं को ‘कोर लीडर’ घोषित करना एवं अपनी विचारधारा पार्टी के संविधान में शामिल करना, ऐसी गतिविधियों का समावेश है। यह करते हुए जिनपिंग ने पार्टी में चुनौती देनेवाला नेतृत्व तैयार नही होने दिया। इतना ही नहीं, बल्कि पार्टी से वरिष्ठ एवं अहम पद संभालनेवाले सदस्यों को भी निकाल दिया। इस वजह से जिनपिंग के बाद कम्युनिस्ट पार्टी में अस्थिरता निर्माण हो सकती है, ऐसी चिंता जताई जा रही है।

xinping-ccp-china-1जिनपिंग का वारिस कौन होगा, इस की प्रक्रिया एवं रचना उचित तरीके से ना होना कम्युनिस्ट पार्टी के भविष्य के लिए हानिकारक साबित होगा, ऐसा इशारा ‘युनिवर्सिटी ऑफ लंदन’ के अभ्यासक स्टीव त्सैंग ने दिया है। ‘मर्केटर इन्स्टिट्यूट ऑफ चायना स्टडिज्‌’ के विश्‍लेषक निस ग्रुएनबर्ग ने इसकी पुष्टी की है। ‘जिनपिंग ने अपना नज़रिया पार्टी और देश पर थोंपने के लिए नेतृत्व के लिए तय की गई समय सीमा हटाई। लेकिन, उनके निर्णय की वजह से नेतृत्व का चयन करने से संबंधित यंत्रणा में अनिश्‍चितता निर्माण हुई है। जिनपिंग के जाने के बाद यह बात पार्टी के लिए बड़े झटके देनेवाली साबित हो सकती है’, ऐसा ग्रुएनबर्ग ने कहा है।

अमरीका और ऑस्ट्रेलिया के अभ्यासगुटों ने भी जिनपिंग के नेतृत्व से जुड़े मुद्दे पर एक रपट जारी की है। इसमें जिनपिंग ने सिर्फ स्वयं का नेतृत्व मज़बूत करने पर जोर दिया, लेकिन पूरे देश को अस्थिरता के संकट में धकेला, यह आरोप लगाया गया है। ‘सेंटर फॉर स्ट्रैटजिक इंटरनैशनल स्टडीज्‌’ और ‘लोवी इन्स्टिट्यूट’ ने तैयार की हुई इस रपट में जिनपिंग के एकाधिकार की वजह से चीन का राजनीतिक भविष्य अनिश्‍चितता के कोहरे से घिरा होने का दावा किया जा रहा है। चीन के नेतृत्व की समस्या के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होनेवाले परिणाम काफी गंभीर और लंबे समय तक बरकरार रहनेवाले हो सकते हैं, इस ओर इन अभ्यासगुटों ने ध्यान आकर्षित किया है।

बीते वर्ष से कम्युनिस्ट पार्टी के अलग अलग स्तरों पर जिनपिंग का विरोध बढ़ने की खबरें माध्यमों के ज़रिये सामने आ रही हैं। कम्युनिस्ट पार्टी के ज्येष्ठ नेता वेन जिआबाओ रेन झिकिआंग, वरिष्ठ सदस्य ‘काई शिआ’, लष्करी अधिकारी जनरल ‘दाई शी’ समेत प्रधानमंत्री ली केकिआंग ने भी जिनपिंग के एकतंत्री कारोबार के खिलाफ नाराज़गी व्यक्त की थी। वरिष्ठ सदस्य ‘काई शिआ’ ने तो सीधे जिनपिंग से तंग आकर कम्युनिस्ट पार्टी के कई सदस्य एवं नेता बाहर निकलने के लिए तैयार होने का इशारा दिया था।

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