‘साउथ चाइना सी’ क्षेत्र में – जापान की पनडुब्बियों का पहला युद्धाभ्यास शुरू

टोकियो: जापान की ‘मेरीटाइम सेल्फ डिफेन्स फ़ोर्स’ की नौसेना की ‘कुरोशियो’ इस पनडुब्बी ने ‘साउथ चाइना सी’ में युद्धाभ्यास में शामिल हुई, ऐसी जापान के रक्षा मंत्रालय ने घोषणा की है। इसके पहले ही जापान के हेलिकॉप्टरवाहक युद्धपोत इस समुद्री क्षेत्र में अमरिकी युद्धपोतों के साथ युद्धाभ्यास कर रहे हैं। उसमें जापान की पनडुब्बी भी शामिल होने की वजह से चीन की तरफ से प्रतिक्रिया आ सकती है।

साउथ चाइना सी, क्षेत्र, जापान, पनडुब्बियों, पहला युद्धाभ्यास, शुरू, टोकियो, अमरिकापिछले हफ्ते से अमरिका ने ‘साउथ चाइना सी’ के क्षेत्र के समुद्री क्षेत्र में बड़े युद्धाभ्यास की घोषणा की। अंतर्राष्ट्रीय समुद्री क्षेत्र में यह अभ्यास चलने वाला है, ऐसा कहकर अमरिका ने अपना विमान वाहक युद्धपोत, विध्वंसकों के साथ युद्धाभ्यास शुरू किया था। २१ सितम्बर तक चलने वाले इस युद्धाभ्यास में जापान के युद्धपोतों ने भी सहभाग लिया है। जापान के इझुमो श्रेणी के तीन हेलिकॉप्टरवाहक युद्धपोत अमरिका के युद्धपोत के साथ अभ्यास कर रहे हैं।

जापान के कुरोशियो पनडुब्बी का इस युद्धाभ्यास में शामिल होना नियोजित था, ऐसा जापान के रक्षा मंत्रालय ने घोषित किया है। साउथ चाइना में चल रहा यह अभ्यास पनडुब्बी विरोधी है। सोनर तकनीक की सहायता से दुश्मनों की पनडुब्बियां ढूंढ निकालने का अभ्यास इस अभ्यास का एक हिस्सा है और जापान की कुरोशियो उसीके लिए ही इस समुद्री क्षेत्र में दाखिल हुई है और ऐसा जापान के एक दैनिक ने कहा है।

चीन की नौसेना में ७० से अधिक पनडुब्बियां हैं। इस वजह से अमरिका और जापान की नौसेना का यह युद्धाभ्यास चीन विरोधी होने का दावा अंतर्राष्ट्रीय विश्लेषक कर रहे हैं। लेकिन अमरिका और जापान ने इस पर प्रतिक्रिया नहीं दी है। साथ ही साउथ चाइना सी के तटीय क्षेत्र में यह अभ्यास चल रहा है, इस वजह से चीन इसपर आपत्ति नहीं जाता सकता है, ऐसा अमरिका और जापान का कहना है।

दौरान, साऊथ चाइना सी क्षेत्र की अमरिकी युद्धपोतों के साथ का यह अभ्यास खत्म होने के बाद जापान के युद्धपोत अगले दो महीनों की यात्रा के लिए एशियाई देशों के दौरे पर रवाना होने वाले हैं। जापान के युद्धपोत अपने इस दौरे की शुरुआत व्हिएतनाम से करने वाले हैं। व्हिएतनाम के ‘कैम रान्ह’ बंदरगाह को जापान की पनडुब्बी भेंट देने वाली है। उसके बाद जापान के युद्धपोत और पनडुब्बियां एशियाई देशों के लिए रवांना होंगी। इसमें भारत का भी समावेश है।

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